अररिया – राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के अवसर पर अररिया समाहरणालय परिसर के परमान सभागार में विशेष कार्यक्रम आयोजित

मंटू राय संवाददाता अररिया

बिहार/अररिया:  राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के अवसर पर अररिया समाहरणालय परिसर के परमान सभागार में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस वर्ष का विषय ‘चेंजिंग नेचर ऑफ प्रेस’ यानी ‘बदलती हुई पत्रकारिता’ रहा। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला प्रशासन के अधिकारियों और पत्रकारों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान पत्रकारिता के बदलते स्वरूप और इसके महत्व पर गहन चर्चा हुई।

हालांकि, कार्यक्रम में जिला प्रशासन की दोहरी नीति भी सामने आई। आयोजन में प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को विशेष सम्मान दिया गया, जबकि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को नजरअंदाज किया गया। जिला जनसंपर्क। पदाधिकारी ने वरिष्ठ पत्रकारों का सम्मान किया, लेकिन सिर्फ प्रिंट के ही पत्रकारों को इस सम्मान का हिस्सा बनाया गया। इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को इस आयोजन से अलग रखा गया। इसके बावजूद किसी भी पत्रकार ने इस भेदभाव का विरोध नहीं किया, क्योंकि वे कार्यक्रम को बाधित नहीं करना चाहते थे।

कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने इस पर भी चर्चा की कि प्रेस को कैसे चलना चाहिए और कैसी खबरें प्रकाशित होनी चाहिए। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि अपराध से संबंधित खबरों की बाढ़ नहीं आनी चाहिए। इस पर वरिष्ठ पत्रकारों ने भी अपनी समस्याएं और विचार साझा किए। इन चर्चाओं के बीच जिला प्रशासन और पत्रकारों के बीच की खाई साफ नजर आई। जिला प्रशासन की सोच यह है कि पत्रकार सिर्फ प्रशासन के पक्ष में ही खबरें लिखें, जबकि पत्रकार जनसमस्याओं पर भी ध्यान देना चाहते हैं। लेकिन, इस दिशा में प्रशासन का सहयोग अक्सर नदारद रहता है। पत्रकारों ने जिला प्रशासन से मांग की कि महीने में एक बार संगोष्ठी का आयोजन किया जाए, ताकि दोनों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो सके। उनका मानना है कि संवाद बढ़ेगा तो अररिया का विकास भी सुचारू गति से हो सकेगा। इस सुझाव पर सभी वक्ताओं ने अपने विचार रखे और सहमति जताई।

कार्यक्रम में एक और बड़ी बहस उभरी। बिहार सरकार ने भले ही सोशल मीडिया को एक माध्यम के रूप में मान्यता दी हो, लेकिन डिजिटल मीडिया के प्रति जिला प्रशासन की सोच में बदलाव की आवश्यकता है। डिजिटल और सोशल मीडिया को कुछ पत्रकार और अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते। अक्सर कहा जाता है कि जिसके हाथ में मोबाइल है, वही पत्रकार बन जाता है। यह सोच बदलने की जरूरत है।

जिला प्रशासन की प्राथमिकता अब भी प्रिंट मीडिया को केंद्रित रखती है। डिजिटल मीडिया के पत्रकारों का कहना है कि यह भेदभाव पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को कमजोर करता है। अररिया की तरक्की के लिए सभी माध्यमों को समान महत्व देने की जरूरत है। प्रशासन को चाहिए कि वह डिजिटल मीडिया को भी गंभीरता से ले और समन्वय में सुधार करे।राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 ने पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य पर विचार-मंथन का मौका दिया, लेकिन इसने प्रशासन और पत्रकारों के बीच मौजूद मतभेदों को भी उजागर किया। विकास की गति तेज करने के लिए इस खाई को पाटना अनिवार्य है।

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