खबर फिली – Sharda Sinha: भाभी की सीख बनी शारदा सिन्हा की लाइफ का टर्निंग प्वाइंट, एक गलती की और 4 घंटे धूप में खड़ी रहना पड़ा – #iNA @INA
आज भले ही मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा जीवन और मौत से जूझ रही हैं, लेकिन यह भी सच है कि बिहार में चाहे वह कोई मांगलिक आयोजन हो या फिर छठ पूजा, उनके द्वारा विभिन्न भाषाओं में गाए हुए गीत के बिना पूरा नहीं समझा जाता है. आज पूरा देश उनकी बेहतर सेहत के लिए कामना कर रहा है. बिहार के सुपौल जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा के जीवन का टर्निंग प्वाइंट वह लम्हा था, जब पहली बार उनकी भाभी ने उन्हें एक नेग यानि रस्म का गीत गाना सिखाया था.
शारदा सिन्हा ने भोजपुरी गीतों को गाकर जिस तरह से नाम कमाया, वह बहुत कम लोगों को नसीब होगा. शारदा सिन्हा भोजपुरी के अलावा हिंदी, मैथिली और अंग्रेजी भाषा में समान पकड़ रखती हैं. खुद शारदा सिन्हा ने एक बातचीत में यह स्वीकार किया था कि बचपन से ही उनको गीत गाने का बहुत शौक था. वह अपने घर के आंगन में ही गाती रहती थीं. उन्हें पहली बार उनकी भाभी ने नेग का गीत गाना सिखाया था. उस गीत के बोल कुछ ऐसे थे- द्वार के छैकाई नेग पहले चुकाइयों एक दुलरूवा भइया था. यही वो गाना था जिसे शारदा सिन्हा ने पहली बार गाया और यही उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित.
गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो का गाना पसंदीदा
वैसे तो शारदा सिन्हा ने कई भोजपुरी फिल्मों और एल्बम में गाने गाए थे, लेकिन उनका अपना पसंदीदा भोजपुरी गाना था, भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो’ का ‘लाली लाली होठवां से बरसे ललइया हो कि रस चुएला, जैसे अमवा के मोजरा से रस चुएला था.’ पान खाने की शौकीन शारदा सिन्हा का पसंदीदा भोजन चूड़ा, मलाई वाली दही और हरी मिर्च है.
जब गुरूजी ने दिया था दंड
शारदा सिन्हा अक्सर कहा करती थीं कि अगर किसी को भोजपुरी सीखना है तो उसका सबसे आसान रास्ता भोजपुरी में बात करना है. अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए भी उन्होंने एक बार कहा था कि जब वह स्कूल में पढ़ती थीं तो अपनी सहेलियों के साथ अपने प्रिंसिपल को बिना बताए सूर्य ग्रहण के दिन गंगा नहाने चली गई थीं. जब वापस लौटी तब तक प्रिंसिपल को यह बात पता चल चुकी थी. तब प्रिंसिपल ने उनको लगातार चार घंटे तक धूप में खड़े रहने की सजा सुनाई थी. और शारदा सिन्हा लगातार चार घंटे तक धूप में खड़ी रहीं. भोजपुरी में शारदा सिन्हा की सबसे पसंदीदा कहावत ‘गाछे कटहर ओठे तेल’ है.
साफ-सुथरे गाने से बनेगी पहचान
शारदा सिन्हा ने कई मंचों पर इस बात को कहा है कि भोजपुरी में जो नई पीढ़ी के गायक आ रहे हैं, उन सभी में बेहतरीन क्षमता है. उन सभी को अपनी इस क्षमता को रचनात्मक दिशा में लगाने की जरूरत है. अगर वह बढ़िया और साफ सुथरा गाना गाएंगे तो उनकी बेहतर पहचान बन सकती है.
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