खबर मध्यप्रदेश – MP: पाड़ों का दंगल, 4 घंटे तक टकराए सींग से सींग; रोक के बावजूद शाजापुर में हुआ ये खतरनाक खेल – INA

मध्य प्रदेश में जानवरों के दंगल पर कड़े प्रतिबंध हैं. बावजूद इसके विभिन्न इलाकों में जानवरों और पशु पक्षियों को लड़ाने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे. ताजा मामला शाजापुर का है. यहां प्रशासन की नाक के नीचे 4 घंटे तक पाड़ों का दंगल होता रहा. इस दौरान आयोजकों ने कई पशुओं को लड़ाया. यह लड़ाई कई बार गंभीर स्थिति में भी पहुंच गई. हालांकि आयोजकों की ओर से लाठियों लेकर तैनात वालंटियर्स ने हालात को संभाल लिया. इस दंगल को देखने के लिए 3 हजार से अधिक लोग भी पहुंच गए, लेकिन पुलिस का कहना है कि उन्हें इसकी कोई खबर ही नहीं.

मामला शुजालपुर के बंजीपुरा पथरौड़ी मैदान का है. स्थानीय लोगों के मुताबिक परंपरा के मुताबिक इस मैदान में रविवार की दोपहर पांड़ों के दंगल का आयोजन किया गया था. इस तरह का आयोजन यहां हर साल होता है. कुछ साल पहले पशुओं के दंगल पर रोक लगने के बावजूद इसमें थोड़ी कमी आ गई है. बावजूद इसके कई जगह अभी भी इस तरह के आयोजन हो रहे हैं और इस आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भी पहुंच रहे हैं. शुजालपुर के पथरौड़ी में आयोजित इस दंगल में भी 3 हजार से अधिक लोग पहुंचे हुए थे.

ताकत आजमाइश के लिए होता है दंगल

यहां मैदान में पहले तो आयोजकों ने दंगल में उतारे जाने वाले पशुओं की विधिवत पूजन किया. इसके बाद एक-एक कर उन्हें मैदान में उतारा गया. स्थानीय लोगों के मुताबिक यह आयोजन पाड़ों की ताकत आजमाइश के लिए किया जाता है. इस दंगल का नियम है कि दो पाड़ों के बीच युद्ध उस समय तक जारी रहता है, जबतक कि कमजोर पाड़ा मैदान से बाहर ना भाग जाए. इस दौरान जीतने वाला पांडा भागने वाले पाड़े का पीछा भी करता है, लेकिन मैदान में मौजूद वालंटियर्स उसे घेर कर रोक लेते हैं.

पुलिस बोली: हमें खबर ही नहीं

गनीमत रही कि चार घंटे तक चले पाड़ों की इस लड़ाई में कोई अनहोनी नहीं हुई. बताया जा रहा है कि पिछले साल पांड़ों के इस दंगल में पशु विदक गए थे. उस समय कुछ लोग घायल भी हो गए थे. इस बार ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. इस आयोजन को लेकर सिटी थाना प्रभारी प्रवीण पाठक से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राज्य में कहीं भी पाड़ों का दंगल नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि इस दंगल के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. बल्कि उन्होंने खुद को सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में व्यस्त में व्यस्त बताकर सवाल को टाल गए.


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