खबर शहर , महंगाई ने गीला किया आटा: एक महीने में 30-32 रुपये से 35 रुपये किलो हुए गेहूं के भाव, चक्की पर और महंगा – INA

Table of Contents

गेहूं के भाव बढ़ने से आम आदमी के लिए रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा है। एक महीना पहले 30-32 रुपये किलो में मिल रहा गेहूं अब 35 रुपये किलो में बिक रहा है। चक्की पर पिसवाने पर आटा 38 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है। गेहूं का बीज भी 20 प्रतिशत महंगा हो गया है। कारोबारी कम हो रहे गेहूं के स्टॉक व मिनिमम सेल्स प्राइज (एमएसपी) से बाजार भाव ज्यादा होने को इसका कारण बता रहे हैं। उधर, कृषि विशेषज्ञ बदलते मौसम से कम हो रहे उत्पादन को बड़ी वजह बता रहे हैं। कारोबारियों के मुताबिक होली से पहले गेहूं और आटे के दाम घटने के आसार नहीं हैं।

यूपी रोलर फ्लोर मिल्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता का कहना है कि फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने इस वर्ष अप्रैल से गेहूं नहीं दिया है। अगस्त, सितंबर में ऐसा करने की बात कही गई थी, पर अभी तक गेहूं मिला नहीं है।
बाजार में स्टॉक कम है। वर्ष 2024-25 में गेहूं की एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल है। मंडी में थोक रेट 3000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है, जबकि फुटकर में गेहूं 3400-3500 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रहा है।
ये भी पढ़ें – किस वर्ग की कितनी रही कटऑफ, इस दिन होगा फिजिकल टेस्ट; 2.5 गुना अधिक सफल
ये भी पढ़ें – दिलजीत दोसांझ का लाइव कंसर्ट कल, पूरे शहर के ट्रैफिक में हुए बदलाव, अब उठ रहे हैं बड़े सवाल
आटा मिल मालिक विकास सिंघल का कहना है कि 40 प्रतिशत तक इंपोर्ट ड्यूटी लगने से विदेशों से भी आयात नहीं हो पा रहा है। होली तक नई फसल आने पर ही कीमतों पर लगाम लगेगी। न्यू हैदराबाद के चक्की संचालक व किराना व्यापारी संतोष गुप्ता बताते हैं कि फुटकर बाजार में गेहूं 35 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है।
कोरोना काल से लगातार बढ़ रहे दाम
वर्ष 2020 में गेहूं का एमएसपी 1925 रुपये प्रति क्विंटल था। बाजार में 3000 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं बिक रहा था। कोरोना महामारी के बाद से हर साल बाजार भाव में करीब 100-200 रुपये तक की तेजी आई।
शोधों को बढ़ावा न देने से कम हो रहा उत्पादन
कृषि वैज्ञानिक सत्येंद्र सिंह बताते हैं कि गर्मी बढ़ने से फसलों की बोवाई में देरी हो रही है। इस बार भी 15 दिन देरी से बुवाई हो सकेगी। अनुकूल मौसम न मिलने से गेहूं की बालियां सूखती गईं। बीजों का प्रबंधन न होने व अधिक उर्वरक के इस्तेमाल से उत्पादकता कम हो रही है। कृषि क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत है। गर्मी के कारण किसानों को बुवाई में पांच किलो प्रति एकड़ बीज बढ़ाना होगा, जिससे उत्पादन पर असर न पड़े। पिछले वर्षों के मुकाबले गेहूं का बीज 80 से 85 रुपये किलो हो गया है। अधिक उपज वाली प्रजातियां लोकवन, पीवीडब्ल्यू 343, पीवीडब्ल्यू 502, एचडी 2967 बीज केंद्रों पर उपलब्ध नहीं हैं।
सरकार लेकर आई सस्ता आटा
यूपी रोलर फ्लोर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेंद्र जैन ने कहा कि सरकार सस्ते दाम पर भारत आटा ले आई है। इसके साथ ही सरकार ने मिलवालों को खुले बाजार के जरिये गेहूं देने की बात कही है। इससे गेहूं व आटे की कीमतों पर लगाम लग सकेगी।


Credit By Amar Ujala

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News