खबर शहर , UP: राजनाथ सिंह बोले- तकनीक में भारत का टेकऑफ, ऊंचाइयों पर ले जाना आईआईटी की जिम्मेदारी – INA

आईआईटी कानपुर तकनीक का मंदिर है। मंदिर में जब कोई जाता है तो कुछ न कुछ मांगने के इरादे से ही जाता है। कोई धन संपदा तो कोई नाम और शोहरत मांगता है। इस मंदिर से मैं देश को तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने की मुराद मांगने आया हूं। तकनीक में भारत का टेकऑफ हो चुका है। अब इसे ऊंचाइयों पर ले जाने की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर की है। यह बातें आईआईटी कानपुर के 65वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि तकनीक के क्षेत्र में यूएसए और इजराइल के समान देश को अत्याधुनिक बनाने के लिए आईआईटी को अधिक से अधिक शोध कार्य करने होंगे।

रक्षामंत्री ने कहा कि तकनीक की वजह से दुनिया भर में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। तकनीकी विकास के आधार पर देशों के तीन समूह हैं। पहला एडवांस तकनीक में शिखर पर है, जिसमें यूएसए, साउथ कोरिया और इसराइल आते हैं। दूसरा स्थिर अवस्था में पहुंच गया है जिसमें यूरोप को शामिल कर सकते हैं। तीसरा ग्रुप जिसमें अपना देश आता है तकनीकी रूप से उड़ान भरने के चरण में है। अब देश को पहले ग्रुप में शामिल करने का भरसक प्रयास करना होगा।


रक्षामंत्री ने कहा कि ड्रोन, लेजर युद्ध, साइबर युद्ध, सटीक निर्देशित मिसाइलों और हाइपरसोनिक मिसाइलों के उपयोग ने युद्ध की प्रकृति को बदल दिया है। वर्तमान में ईरान-इजरायल, रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास के बीच युद्ध चल रहा है। इसमें ड्रोन, गाइडेड मिसाइल, साइबर हमले का तेजी से प्रयोग हो रहा है। ऐसे में स्पेस वार का खतरा बढ़ गया है। देश को भी अत्याधुनिक तकनीकों के रक्षा अनुप्रयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता है। रक्षा मंत्री ने आईआईटी के प्रयासों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण में सूत्र की भविष्यवाणी ने देश व समाज को आपदा से लड़ने की ताकत दी। सरकार ने इसी भविष्यवाणी से मेडिकल सुविधाएं समेत अन्य तैयारियों को अंतिम रूप दिया। सी3आई हब साइबर सिक्योरिटी पर बेहतरीन काम कर रहा है। मेडिकल कॉलेज देश को चिकित्सा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।

2030 तक रक्षा निर्यात 50 हजार करोड़ रुपये करेगा पार
राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता हासिल करने के सरकार के प्रयासों से परिणाम मिल रहे हैं। रक्षा निर्यात जो 10 साल पहले लगभग 600 करोड़ रुपये था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह प्रगति जारी रहेगी और 2029-30 तक रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। रक्षा मंत्री ने बताया कि किसी तकनीक के निर्माण में तीन प्रमुख चरण शामिल होते हैं – विचार, अनुप्रयोग और उत्पादन और आईआईटी कानपुर जैसे संस्थान विचारों को विकसित करने से लेकर उत्पादों के निर्माण तक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।


नकल अध्यादेश जीवन के बेहतरीन फैसलों में से एक
कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने कहा कि शिक्षक रहा हूं तो नकल के दलदल को भी जानता हूं। नकल अध्यादेश को लागू करना जीवन के बेहतरीन फैसलों में से एक रहा। हालांकि उस समय यूपी बोर्ड का रिजल्ट केवल 14 फीसदी गया, लोगों से गालियां भी मिलीं, लेकिन फर्क नहीं पड़ता। पढ़े लिखों की ऐसी फौज नहीं खड़ी करनी, जिसे असल में कोई जानकारी न हो। राजनाथ सिंह ने आईआईटी के पूर्व व वर्तमान छात्रों को गणित व फिजिक्स के फार्मूलों के माध्यम से भी सीख दी। कहा किसी हार से डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि मेहनत की है तो कामयाबी जिंदगी के किसी भी क्षण पर जरूर मिलेगी।

 


आईआईटी कानपुर की तरह बनें, बाहर से साधारण, भीतर ज्ञान का सागर
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज मैंने संस्थान में प्रवेश के दौरान बेहद खास बात नोटिस की, शायद आप लोगों ने भी की होगी। आईआईटी का मुख्य द्वार बेहद साधारण सा लगा, लेकिन जैसे जैसे . बढ़ता गया तो पर्यावरण, इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीक, शैक्षणिक वातावरण नजर आने लगा। इंसान को भी इससे सीख लेनी चाहिए। इंसान देखने में भले ही कितना साधारण हो, लेकिन भीतर ज्ञान की गहराई होनी चाहिए। इसका उपयोग देश व समाज के लिए हो। उन्होंने कहा कि आईआईटी कानपुर ने पूरी दुनिया को 45 हजार से अधिक मेधावी दिए हैं। मैंने 50 से अधिक देशों का भ्रमण किया, जहां विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में आईआईटी कानपुर का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने कहा कि आईआईटी ने हर चैलेंज को पूरा किया। पूर्व छात्रों ने दुनिया भर में छाप छोड़ी है। मेरे साथ काम कर रहे डिफेंस एंड प्रोडक्शन सेक्रेटरी संजीव कुमार, रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव भी इसी संस्थान के पूर्व छात्र हैं।

निदेशक से चॉकलेट न मिलें तो कर सकते शिकायत…
रक्षा मंत्री ने कहा कि संस्थान के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल का दुनिया भर में नाम है। आप आईआईटी कानपुर में ऐसे निदेशक की देखरेख में पढ़ रहे हैं। वह पहले अपने छात्रों को चॉकलेट देते थे। अब दे रहे हैं या नहीं, मुझे नहीं मालूम। चुटीले अंदाज में कहा कि आपको न मिले तो शिकायत कर सकते हैं।
 


Credit By Amar Ujala

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