खबर शहर , UP: FCI के गोदाम में 145 बंदरों की मौत, अधिकारी ने सभी को गड्ढा खोदकर दबवाया; गैस चढ़ने गई बेजुबानों की जान – INA

Table of Contents

यूपी के हाथरस स्थित कलवारी रोड स्थित भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदाम में 145 बंदरों की मौत होने का मामला सामने आया है। मृत बंदरों को परिसर में ही गड्ढा खोदवाकर दफना दिया। नौ दिन तक एफसीआई अधिकारियों ने घटना को छिपाए रखा। जानकारी होने पर बुधवार को बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं ने गोदाम पर पहुंचकर हंगामा किया। इसके बाद पुलिस व प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज कराकर जांच शुरू कर दी है।


दरअसल, गेहूं को घुन लगने से बचाने के लिए एल्युमिनियम फॉस्फाइड (सल्फास) लगाया गया था। ऐसे में गोदाम में बनी गैस चढ़ने से बंदरों की मौत होने की बात कही जा रही है। कलवारी रोड पर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का 17 हजार मीट्रिक टन की क्षमता का गोदाम है। यहां 12 हजार मीट्रिक टन गेहूं रखा हुआ है। यहीं से जिले भर के राशन डीलरों को वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न की आपूर्ति होती है।


बुधवार की सुबह करीब 10.30 बजे बजरंग दल व विहिप के पदाधिकारी एफसीआई गोदाम पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया। बजरंग दल के विभाग सह संयोजक हर्षित गौड़ थाने पर दर्ज कराई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि एफसीआई कर्मचारियों की लापरवाही से 145 बंदरों की मौत हुई है। सूचना पर एडीएम न्यायिक शिव नारायण शर्मा, एएसपी अशोक कुमार, एसडीएम सदर नीरज शर्मा, वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई। जिस स्थान से बंदर गोदाम के अंदर घुसे, उस स्थल को देखा और बंदरों को दफनाने वाले स्थल का भी निरीक्षण किया। 


गोदाम के प्रबंधक नीरज शर्मा भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि 12 नवंबर को उनकी बेटी की शादी थी। इस कारण एक नवंबर से 21 नवंबर तक अवकाश पर हैं। उन्होंने अपना चार्ज क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर बाबू लाल मीणा को दे रखा था। जिस समय घटना हुई है, उस दौरान वह छुट्टी पर थे।


सात दिन तक रहता है रसायन का असर, तीन दिन बाद ही बंदरों ने फाड़ दी पैकिंग
एफसीआई अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों ने गेहूं को घुन और अन्य कीड़े लगने से बचाने के लिए नौ नवंबर को एल्यूमिनियम फॉस्फाइड लगाया था। इसे लगाने के बाद गोदाम में रखे गेहूं को पैकिंग से ढक दिया गया था। सात दिन तक इसका असर रहता है, बंदरों ने तीन दिन के भीतर ही पैकिंग फाड़ दी थी।


गोदाम प्रबंधक नीरज शर्मा ने बताया कि उन्हें स्टॉफ ने जानकारी दी थी कि 11 नवंबर को गोदाम में गैस चढ़ने के कारण 145 बंदरों की मौत हो गई है। गोदाम में ऊपर लगे रोशन दान और टूटे गेट से बंदर अंदर घुस गए और गेहूं पर लगी पैकिंग को फाड़ दिया। पैकिंग के फाड़ने की वजह से निकली गैस से बंदरों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि रसायन कम से कम तीन दिन में फ्युमिगेशन होता है। इस वजह से सात दिन बाद पैकिंग को खोला जाता है। 11 नवंबर को जब स्टॉफ आया तो उसे बंदर मृत अवस्था में पड़े हुए मिले, जिन्हें हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार दफना दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि परिसर में मरम्मत का कार्य चल रहा है। एफसीआई के क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर बाबूलाल मीणा ने बताया कि सल्फास को गेहूं की बोरियों के बीच और ऊपर रखा जाता है। नमी और ऑक्सीजन के संपर्क में आने से इनमें गैस बनने लगती है।


मामला सुर्खियों में आने के बाद छुट्टी पर गए क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर
हाथरस। इस घटना के दौरान क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर बाबू लाल मीणा पर गोदाम का चार्ज था, लेकिन जैसे ही यह मामला सुर्खियों में आया वह 19 नवंबर को ऑनलाइन छुट्टी का आवेदन कर चले गए। बुधवार को प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे तो उन्हें बताया कि बाबू लाल मीणा छुट्टी पर हैं। अलीगढ़ कार्यालय से जानकारी की तो पता चला कि उनका अवकाश स्वीकृत नहीं हुआ है। बाबू लाल मीणा को तत्काल बुलाया गया।

बंदरों की मौत के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है। विधिक कार्रवाई जाएगी। -योगेंद्र कृष्ण नारायण, सीओ सदर।
इस मामले में एफसीआई स्टाफ की लापरवाही तो रही है। इस लापरवाही के क्रम में जिम्मेदाराना अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी। -शिव नारायण शर्मा, एडीएम न्यायिक।


Credit By Amar Ujala

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News