चंदौली: शिवमहापुराण कथा के प्रथम दिन शिवभक्ति में डूबे श्रोता, भजनों पर झूमीं महिलाएं…हर हर महादेव के उद्घोष से माहौल हुआ शिवमय
जिला चंदौली ब्यूरो चीफ अशोक कुमार जायसवाल

पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय के महाश्मशान के सामने स्थित मां गंगा के तट पर डोमरी में बने सतुआ बाबा आश्रम गौशाला में शनिवार को शिव भक्ति का एक अद्भुत अवसर बना। यहां पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यास पीठ पर विराजते ही “हर हर महादेव” के उद्घोष के साथ माहौल को शिवमय बना दिया। इस आयोजन का मुख्य विषय था शिवमहापुराण कथा का वाचन, जो श्रद्धालुओं को भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और आस्था को और अधिक गहराई से समझने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
कथा की शुरुआत एक भव्य थाल पूजन के साथ हुई, जिसमें भगवान शिव को अर्पित करने के लिए विभिन्न धार्मिक वस्तुओं को शामिल किया गया। श्रद्धालुओं ने भक्तिपूर्ण मन से भगवान शिव की कथा का आनंद लिया, जिससे कार्यक्रम का वातावरण पूरी तरह से शिवमय हो गया। कथा के समापन पर भगवान शिव की आरती उतारी गई, जो उपस्थित सभी लोगों के लिए एक अत्यंत भावुक अनुभव था।
महिलाओं ने इस अवसर पर नाच-गाकर अपनी भक्ति को प्रस्तुत किया, जो इस धार्मिक आयोजन की भक्ति भावना को और भी दृढ़ता से स्थापित करता है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर सतुआ बाबा ने पंडित प्रदीप मिश्रा का स्वागत किया, जिन्होंने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक क्षेत्र में भगवान शिव की कथा का वाचन कर रहे हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा के दौरान भगवान शिव की महिमा एवं उनकी क्षमाशीलता का उल्लेख करते हुए कहा, “एक लोटा जल सभी समस्याओं का हल है।” उनकी वाणी में एक गहरी शक्ति थी, जिसने श्रद्धालुओं के हृदय में भगवान शिव के प्रति अनन्य भक्ति का संचार किया।
इस दौरान उन्होंने भजन प्रस्तुत किया, “तेरी काशी में हो भोले दिल दीवाना हो गया,” जो भगवान शिव के प्रति भक्ति की गहराई को व्यक्त करता है। भजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया, और यह काशी एवं गंगा के महत्व को शिवभक्ति के संदर्भ में दर्शाया।
कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस प्रकार के आयोजनों में न केवल धर्म और आस्था की उपासना होती है, बल्कि यह वाराणसी की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक धरोहर को भी समर्पित किया जाता है।
समापन समारोह में, सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने एकजुट होकर प्रतिज्ञा की कि वे अपनी दैनिक जीवन में भी भगवान शिव की शिक्षाओं का पालन करेंगे और हमेशा भक्ति भाव के साथ जीने का प्रयास करेंगे।
यह आयोजन न केवल भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव था, बल्कि साथ ही यह वाराणसी की संस्कृति, परंपरा और धार्मिक महत्व को पुनर्स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी था। मातृभूमि के प्रति अपनी भावना और भक्ति को प्रकट करने का एक अद्वितीय अवसर, जहां भगवान शिव की महिमा का पुनरावलोकन हुआ। इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से हम अपने आध्यात्मिक मूल्य और धार्मिक भावनाओं को जीवंत रख सकते हैं।
इसी के साथ, यह आयोजन भगवान शिव की अनंत महिमा और भक्ति भावना को बढ़ाने का एक सफल प्रयास रहा, जिससे पूरे क्षेत्र में एकता और सद्भावना का संदेश फैलता है। भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का यह दीप जलता रहे, यही आशा और प्रार्थना है।