दुनियां – अमेरिका और दुनिया के 7 अहम मुद्दों पर कमला हैरिस और ट्रंप का रुख कैसे अलग है? – #INA

बस अब से एक दिन बाद यानी 5 नवंबर, मंगलवार को अमेरिकी जनता अपना अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट डालेगी. वोटर्स को डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप में से किसी को एक चुनना होगा. तो वहीं अपनी-अपनी जीत पक्की करने के लिए दोनों उम्मीदवार जोर शोर से प्रचार में लगे हैं.
7 करोड़ से ऊपर अमेरिकी पहले ही मतदान कर चुके हैं. इस बीच आइए एक नजर अमेरिका के उन बड़े मुद्दों पर डालते हैं जिन्हें ट्रंप और हैरिस ने अपने चुनावी कैंपन का हिस्सा बनाया है. और इन अलग-अलग मुद्दों पर दोनों उम्मीदवारों की राय एक दूसरे से कैसे और कितने अलग है?
1. इमिग्रेशन पॉलिसी
इन चुनावों में इमिग्रेशन यानी आप्रवासन का मुद्दा छाया रहा. चुनावी सर्वेज में भी ये बात सामने आई कि वोटरों के लिए भी आप्रवासन एक अहम मुद्दा है जो दोनों पार्टियों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है.
कमला हैरिस- हैरिस ने अपने भाषणों में सीमा सुरक्षा को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया है. जब कमला उपराष्ट्रपति बनी थी तब उन्हें देश की दक्षिणी सीमा पर आप्रवासियों की भीड़ को नियंत्रित करने का जिम्मा दिया गया था. उन्होंने वहां उन इलाकों में अरबों डॉलर का निजी निवेश किया ताकि लोगों को उत्तर की ओर आने से रोका जाएगा. मगर कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई. उनकी इस नाकामी को ट्रंप भुनाने में कामयाब रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप- ट्रम्प के चुनावी कैंपन का केंद्र ही इमिग्रेशन रहा है. उन्होंने अक्सर भाषणों और रैलियों में आप्रवासियों पर सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि अगर वो जीतते हैं तो अमेरिका के इतिहास में बगैर दस्तावेजों वाली अब तक की सबसे बड़ी आप्रवासी आबादी को वापस भेजा जाएगा. उन्होंने सदियों पुरानी एलियन एनिमीज एक्ट को भी लागू करने का वादा किया है जिसके तहत सरकार को प्रवासियों को उन देशों में भेजने की इजाजत मिल जाएगी, जिनके खिलाफ अमेरिका जंग लड़ रहा होगा.
2. अर्थव्यवस्था
अर्थव्यवस्था ऐसा दूसरा मुद्दा है जिस पर ट्रंप कमला हैरिस पर भारी पड़ते दिख रहे हैं. पब्लिक ओपिनियन से भी पता चलता है कि अमेरिकी जनता खाने और ईंधन की बढ़ी कीमतों के साथ-साथ ब्याज दरों से नाखुश हैं, जिससे घर खरीदना कम किफायती हो गया है.
कमला हैरिस- हैरिस ने इस बात को बार बार दोहराया है कि राष्ट्रपति बनने के पहले दिन से ही उनकी प्राथमिकता खाने पीने की चीजों और मकान की कीमतों को कम करने की रहेगी. उन्होंने साथ ही ये भी कहा है कि वो पहली बार घर खरीद रहे लोगों की मदद के लिए कदम उठाएंगी.
डोनाल्ड ट्रंप- ट्रंप ने तो यहां तक चेतावनी दे दी है कि अगर हैरिस चुनी गईं तो अमेरिका में साल 1929 जैसी आर्थिक मंदी आ सकती है. ट्रंप ने अपनी हर रैली और भाषणों में अमेरिकी जनता से वादा किया है कि वो महंगाई को खत्म करेंगे. उन्होंने अमेरिका को एक बार फिर से वैसा देश बनाने का वादा किया है जहां लोग सस्ती चीजें खरीद सकें.
3. गर्भपात
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में गर्भपात यानी ऑबर्शन का अधिकार अहम चुनावी मुद्दों में से एक है. ये डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों पार्टियों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है.
कमला हैरिस– हैरिस गर्भपात अधिकारों का लगातार समर्थन करती आ रही है. वे अबॉर्शन अधिकारों पर जारी बैन को स्वास्थ्य संकट के रूप में देखती हैं. दूसरे प्रेसिडेंशियल डिबेट में कमला ने इस आशंका पर जोर डाला था कि अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो गर्भपात अधिकारों पर देशभऱ में बैन लगा देंगे.
डोनाल्ड ट्रंप- वहीं ट्रंप की छवि गर्भपात अधिकारों की विरोधी मानी जाती है. ट्रंप ने अपने कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में जिन तीन जजों को नियुक्त किया था उन्होंने 1973 के रो बनाम वेड केस में दिए गए उस फैसले को पलट दिया था जिसमें गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बना दिया गया था. इस मुद्दे पर ट्रंप इस बार अपना पक्ष रख पाने में काफी संघर्ष करते दिखे. उन्होंने इस बार के कैंपन में अपनी पुरानी राय से इतर कहा कि अबॉर्शन पर क्या फैसला लेना, यह राज्यों पर छोड़ देना चाहिए.
4.विदेश नीति
भले ही चार साल के लिए व्हाइट हाउस में कोई भी बैठे, अगले राष्ट्रपति को कई अंतरराष्ट्रीय संकटों का समाधान करना होगा. इसमें मध्य पूर्व में इज़रायल-हमास युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन व्यापार संबंध शामिल हैं.
कमला हैरिस- हैरिस कहती आईं हैं कि रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन को दी जाने वाली उनकी मदद जारी रहेगी. हैरिस इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर लंबे समय से दो देशों के सिद्धांत (टू-स्टेट सॉल्यूशन) की समर्थक रही हैं. उन्होंने कहा कि गाजा में जल्द से जल्द युद्ध खत्म हो.
डोनाल्ड ट्रंप- जबकि ट्रंप ने कहा है कि वह रूस से सौदेबाजी कर यूक्रेन युद्ध को 24 घंटे में खत्म करा देंगे. वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि इससे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और मजबूत होंगे. ट्रंप ने खुद को इजरायल के कट्टर समर्थक के तौर पर पेश किया है लेकिन इस बारे में बहुत कम बताया है कि वो एक साल से जारी गाजा युद्ध को कैसे खत्म कराएंगे.
5. जलवायु परिवर्तन
‘क्लाइमेट वोटर्स’ यानी जलवायु मतदाता कहने के लिए तो ये एक नया शब्द है. मगर चुनाव में ये वोटर्स अहम भूमिका निभा सकते हैं. प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार कुल मिलाकर 54 फीसदी अमेरिकियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन देश के लिए बड़ा खतरा है.
कमला हैरिस- हैरिस जलवायु परिवर्तन को असित्व के लिए खतरा बताती रही है. बतौर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने सीनेट में एक कानून पारित कराने में मदद की थी जिसका नाम है-इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट. इस एक कानून की वजह से सैकड़ों अरब डॉलर रिन्युबल एनर्जी सेक्टर, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स टैक्स क्रेडिट और रिबेट प्रोग्राम को दिए गए.
डोनाल्ड ट्रंप- जबकि ट्रंप जलवायु परिवर्तन को बस एक छलावा भर मानते हैं. अपने कार्यकाल में ट्रंप ने पर्यावरण संरक्षण के सैकड़ों नियमों को वापस ले लिया था. इनमें बिजली प्लांट और वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती का कानून भी शामिल था. अपने मौजूदा कैंपन में उन्होंने आर्कटिक में ड्रिलिंग बढ़ाने का वादा किया है.
6. व्यापार
डोनाल्ड ट्रंप- टैरिफ को अपने चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख नारा बनाया है. आयात को लेकर ट्रंप काफी सख्त रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वो विदेश से आने वाली चीज़ों पर 10 से 20 फीसदी टैरिफ लगाएंगे. जबकि चीन से आने वाले सामान पर इससे भी ज्यादा टैरिफ लगाया जाएगा.
कमला हैरिस- हैरिस ने हर आयात पर टैरिफ लगाने की ट्रंप की नीति की आलोचना की है. उन्होंने उसे एक नेशनल टैक्स करार दिया है, जिसका देश के परिवार पर सालाना चार हजार रुपये का बोझ पड़ेगा. हैरिस भी आयात पर टैरिफ लगा सकती हैं लेकिन वो इस मामले में चुनिंदा चीजों पर ये टैक्स लागू करना चाहेंगी.
7. टैक्स
कमला हैरिस- हैरिस बड़ी कंपनियों, उद्योगों और साल भर में चार लाख डॉलर कमाने वाले अमेरिकियों पर टैक्स बढ़ाना चाहती हैं. लेकिन उन्होंने मतदाताओं से ऐसे कई कदम उठाने का वादा किया है जिनसे अमेरिकी परिवारों पर टैक्स का बोझ कम होगा. इनमें चाइल्ड टैक्स क्रेडिट का दायरा बढ़ाने जैसा कदम भी शामिल है.
डोनाल्ड ट्रंप- इस मुद्दे पर ट्रंप ने खरबों डॉलर की टैक्स कटौती के कई प्रस्ताव रखे हैं. ट्रंप के मुताबिक़ 2017 में उनकी सरकार ने जो टैक्स कटौतियां की थीं उन्हें विस्तार दिया गया था. इन कटौतियों से ज्यादातर अमीरों को ही मदद मिली थी. विश्लेषकों का कहना है कि हैरिस और ट्रंप दोनों के टैक्स प्लान से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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