दुनियां – रूस ने दिया ‘धोखा’ तो भारत आया साथ, कैसे 30 लाख की आबादी वाले देश को बना रहा ‘बाहुबली’? – #INA

साल 2020 में अजरबैजान के खिलाफ जंग में रूस का भरपूर साथ नहीं मिलने के बाद आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि जंग में हमारे सहयोगी हमारी मदद करने में विफल रहे. उनके इस बयान के बाद समझा जाने लगा था कि आर्मेनिया रूस पर हथियार की निर्भरता को कम करेगा और अब हुआ भी वैसा ही. लंबे समय तक रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला ये देश अब भारत पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है.
यूरोप का ये छोटा सा मुल्क भारत से सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बन गया है. दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के कारण, भारत का रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो लगभग 21,083 करोड़ रुपये (लगभग 2.63 बिलियन डॉलर) है. यह 2022-23 की तुलना में 32.5 फीसदी ज्यादा है.
वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिनाका मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और आकाश एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम के सौदे के बाद 30 लाख की आबादी वाला देश आर्मेनिया भारत से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बन गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत तक आर्मेनिया द्वारा भारत से हथियारों की कुल खरीद 600 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई.
रूस का विकल्प बना भारत
आर्मेनिया लंबे समय से हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर रहा है. 2011 से 2020 के बीच आर्मेनिया ने अपने कुल हथियारों का 94% रूस से आयात किया. इसमें इस्कंदर मिसाइल सिस्टम, Su-30SM फाइटर जेट, एयर डिफेंस सिस्टम जैसे हथियार शामिल थे. एक तरह से रूस दशकों से आर्मेनिया की सैन्य क्षमता की रीढ़ रहा है. हालांकि 2020 में अजरबैजान से युद्ध के बाद आर्मेनिया का रूस पर से भरोसा उठने लगा. ऐसा इसलिए क्योंकि रूस ने युद्ध में आर्मेनिया की उस तरह से मदद नहीं की थी जैसी उसे उम्मीद थी.
तब आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने रूस का नाम लिए बिना कहा था, पिछले दो वर्षों में अनुबंध होने के बावजूद हमारे सहयोगी आर्मेनिया को हथियार पहुंचाने में विफल रहे. इसके बाद आर्मेनिया ने अपनी रक्षा जरूरतों के लिए वैकल्पिक साझेदारों की तलाश शुरू की और भारत की ओर रुख किया.
मजबूत होते गए रिश्ते
भारत और आर्मेनिया के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी 2020 में शुरू हुई जब आर्मेनिया ने भारत के साथ 2 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए. इससे दोनों देशों के रिश्ते साल दर साल मजबूत होते गए. अपने पड़ोसियों विशेषकर अजरबैजान से खतरे को देखते हुए, आर्मेनिया भारत से उन्नत हथियार खरीद रहा है.
भारत से ये हथियार खरीदता है आर्मेनिया?
अपनी रेंज और सटीकता के लिए मशहूर पिनाका सिस्टम आर्मेनिया की क्षमताओं को प्रभावी ढंग से बढ़ाएगा. इससे उसे पहाड़ी क्षेत्रों में रणनीतिक बढ़त मिलेगी. आर्मेनिया ने 2022 में 15 आकाश-1एस सिस्टम के लिए 720 मिलियन डॉलर का ऑर्डर दिया था. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित इस एयर डिफेंस सिस्टम की यह पहली अंतरराष्ट्रीय बिक्री थी, जिसे इस साल दिया जाना है. आकाश-1एस आर्मेनिया को लड़ाकू विमान, निर्देशित मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों से प्रभावी ढंग से बचाव करने में सक्षम करेगा.
डोर्नियर-228 विमान की आपूर्ति से आर्मेनिया की टोही और निगरानी क्षमताओं में वृद्धि होगी, जिससे वह अपने हवाई क्षेत्र की अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी और नियंत्रण कर सकेगा. भारत ने आर्मेनिया को एंटी-टैंक गाइडेड रॉकेट, बुलेट-प्रूफ जैकेट, नाइट-विजन चश्मे, तोपखाने और गोला-बारूद और उन्नत हथियार-पता लगाने वाले रडार भी दिए हैं.
आर्मेनिया के दुश्मन के साथ पाकिस्तान
आर्मेनिया को हथियार बेचकर भारत न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है, बल्कि ये दोनों देशों की साझेदारी जियोपॉलिटिकल स्ट्रैटजी का हिस्सा है. इसका उद्देश्य दक्षिण काकेशस में अपना प्रभाव बढ़ाना और पाकिस्तान और तुर्की के प्रभाव को संतुलित करना है. पाकिस्तान और तुर्की के बीच अजरबैजान से अच्छे संबंध हैं. 2020 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने खुलेतौर पर अजरबैजान का समर्थन किया. ऐसे में आर्मेनिया के साथ भारत की साझेदारी नैचुलर बैलेंस का काम करती है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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