देश – जाति जनगणना जैसे मुद्दे न पड़ जाएं कमजोर, इसलिए EVM को निशाना बना रही कांग्रेस; महाराष्ट्र-झारखंड पर नजर – #INA

हरियाणा के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार तीसरी बार शिकस्त मिली है। पार्टी ने चुनाव परिणाम को अस्वीकार्य करार देते हुए ईवीएम में कथित गड़बड़ी के मुद्दे पर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि परिणाम घोषित होने के बाद पार्टी यह लड़ाई क्यों लड़ रही है।

हरियाणा में बीस विधानसभाओं में ईवीएम में कथित गड़बड़ी की शिकायत कांग्रेस की भविष्य की रणनीति का हिस्सा है। चुनाव परिणाम को आश्चर्यजनक करार देते हुए ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों के जरिए कांग्रेस अपने चुनावी मुद्दे बरकरार रखना चाहती है। पार्टी यह संदेश दे रही है कि मतदाताओं ने उसके मुद्दों पर समर्थन दिया था, पर ईवीएम में गड़बड़ी से हार मिली।

किसानों और जवानों का मुद्दा पूरी ताकत से उठाया

चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने किसानों और जवानों का मुद्दा पूरी ताकत के साथ उठाया था। हरियाणा में सेना के जवानों की बड़ी तादाद है और युवा सेना में भर्ती होने के लिए सालों मेहनत करते हैं। ऐसे में अग्निवीर योजना को लेकर नाराजगी है। वहीं, किसान एमएसपी की गारंटी की मांग करते रहे हैं। इन दोनों मुद्दों पर कांग्रेस लगातार भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार को घेरती रही है।

हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार से ये मुद्दे कमजोर पड़ सकते हैं। भाजपा की शानदार जीत के बाद यह यह संदेश जा सकता है कि अग्निवीर और किसानों की एमएसपी की गारंटी की मांग को लोगों का समर्थन नहीं है। जाति जनगणना भी कोई असर नहीं डाल पाई। क्योंकि, प्रदेश में ओबीसी ने कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को तरजीह दी है।

झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव पर नजर

कुछ दिन बाद ही महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी महाराष्ट्र में संविधान सम्मेलन कर सामाजिक न्याय की लड़ाई को मुद्दा बना चुके हैं। झारखंड में भी पार्टी जाति जनगणना को मुद्दा बनाएगी। इसलिए, पार्टी हरियाणा चुनाव परिणाम को अप्रत्याशित बताते हुए चुनाव आयोग में ईवीएम में गड़बड़ी की लड़ाई लड़ रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह सही है कि हरियाणा में कुछ विधानसभाओं में ईवीएम को लेकर कई तरह के संदेह पैदा हुए हैं। आगामी चुनाव के मद्देनजर इन संदेह को दूर करना जरूरी था, ताकि भविष्य में इस तरह के सवाल नहीं उठे। वहीं, पार्टी हार के लिए अंदरूनी लड़ाई को भी जिम्मेदार मानकर लोगों का चुनावी मुद्दों पर भरोसा बरकरार रखने की कोशिश कर रही है।

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