देश- Ghazipur: नवंबर में ही खत्म हुआ बजट… अब कैसे होगा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार?- #NA
लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हुए समाजसेवी (फाइल)
लावारिस शव अगले 5 महीने तक पैदल ही मोर्चरी हाउस से पोस्टमार्टम हाउस और वहां से शमशान घाट जिसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर है जाएंगे. इसके पीछे की वजह ये है कि शासन के द्वारा उपलब्ध कराए गए शव वाहन के लिए मार्च महीने में 6 लाख रुपए का बजट जारी किया था और नवंबर महीना में ही 5.84 लाख खर्च कर हो चुके हैं. ऐसे में मात्र 14000 रुपए शेष बचे हैं. इसके बाद से शव वाहन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर पिछले कई दिनों से खड़ा है और लावारिस शवों को समाजसेवी और पुलिसकर्मी पैदल ही लेकर शमशान घाट तक जा रहे हैं और उनका अंतिम संस्कार करवा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वाले मरीज जो गरीब और असहाय परिवार के होते हैं. उनके शव को उनके घरों तक निशुल्क पहुंचाने के लिए शव वाहन उपलब्ध कराया गया है. इसे चलाने के लिए 6 लाख रुपए का बजट दिया गया है जिसमें ड्राइवर और डीजल दोनों शामिल हैं. इस बजट को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय ने जारी किया था. इसी बजट के आधार पर नवंबर तक शव वाहन लगातार चल रहा था. लावारिस शवों को मोर्चरी हाउस तक पहुंचाना फिर 72 घंटे बाद पोस्टमार्टम करवा कर अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट तक ले जाने ये सारे काम इसी शव वाहन से किए जा रहे थे.
बजट में बचे सिर्फ 14 हजार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील कुमार पांडे ने जब अपना पद संभाला और शव वाहन के बजट की जांच की तो पता चला कि नवंबर में ही बजट की 90% से ज्यादा राशि खर्च की जा चुकी है. अब सिर्फ 14000 रुपए का बजट ही शेष बचा है. इसी 14000 रुपए में अगले मार्च 2025 तक शवों को पहुंचने का कार्य किया जाना है. जिसको लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने शव वाहन को खड़ा करते हुए शव वाहन का बजट देखने वाले अकाउंटेंट और प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस जारी कर दिया है.
कार्रवाई पूरी होने तक शव वाहन को खड़ा कर दिया गया है लेकिन अब क्षेत्र में लावारिस लाशों को श्मशान तक ले जाने की समस्या खड़ी हो गई है. लावारिस शवों का दाह संस्कार करने वाले समाज सेवी कुंवर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि शव वाहन को जिला अस्पताल परिसर में खड़ा कर दिया गया है. अब लावारिस शवों को पुलिसकर्मियों की मदद से किसी तरह से दाह संस्कार करने का कार्य किया जा रहा है.
सीएमओ ने क्या कहा?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार पांडे ने बताया कि शासन की तरफ से शव वाहन उपलब्ध कराया गया है. जिसका मुख्य कार्य जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वाले गरीब और असहाय परिवार के शवों को उनके घरों तक पहुंचाने का है. लावारिस शव के दाह संस्कार की बात है तो इसकी जिम्मेदारी गृह विभाग और सोशल वेलफेयर विभाग की है. उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह लोग लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कैसे करेंगे? उन्होंने बताया कि शासन के द्वारा शव वाहन चलाने के लिए ₹6 लाख का बजट मिला था. जिसमें जब उन्होंने जांच कराई तो नवंबर महीने में ही 5.84 लाख डीजल के मद में खत्म कर दिए गए थे. जिसको लेकर उन्होंने शव वाहन के बजट की देखरेख करने वाले अकाउंटेंट और प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है.
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