देश – Shukrayaan: जो कोई नहीं कर पाया वो करेगा भारत! मून-मार्स के बाद शुक्र पर इतिहास रचने की बारी, सुलझाएगा ये रहस्य #INA

Shukrayaan Mission: जो कोई नहीं कर पाया वो अब भारत करेगा. मून-मार्स के बाद अब शुक्र ग्रह पर इतिहास रचने की भारत जबरदस्त तैयारी कर रहा है. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) अब शुक्र के बारे में ऐसे रहस्यों को सुलझाएगा, जिनके बारे में दुनिया को पता नहीं है. इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने के लिए भारत 2028 में शुक्रियान मिशन को लॉन्च करेगा. इस प्रोजेक्ट को सरकार से मंजूरी मिल चुकी है. आइए जानते हैं कि इसरो का शुक्रयान मिशन क्या है. आखिर भारत शुक्र पर क्यों खोज करना चाहता है. ये भी जानेंगे कि मिशन में इसरो के सामने क्या चुनातियां आएंगी. 

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क्या है शुक्रयान मिशन? (What is the Shukrayaan mission?)

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  • इनके अलावा मिशन का मुख्य मकसद शुक्र के घने बादलों को समझना होगा, जो मुख्य रूप से कार्बन डाई ऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड से बने हैं

  • शुक्र बादलों की जानकारी से ज्वालामुख्यी संरचनाओं के किसी भी संभावित संकेत का पता लगाना होगा.

शुक्र पर खोज क्यों कर रहा है भारत?

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा पहले ही शुक्र पर जीवन की संभावनाएं से इनकार कर चुका है. हालांकि, ऐसा अनुमान है कि शुक्र के ऊपरी वायुमंडलीय परतों में सूक्ष्म जीव मौजूद हो सकते हैं, जहां स्थितियां पृथ्वी के सतह के दबाव के समान हैं. भारत की नजर इसी पहलू पर है. साथ ही शुक्र ग्रह की जलवायु का अध्ययन करके भारतीय वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे शुक्र की तुलना पृथ्वी से करके वे उसके वायुमंडल और जलवायु परिवर्तन आदि के बारे में अधिक समझ पाएंगे.

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ISRO के सामने क्या चुनौतियां?

हालांकि, इसरो के लिए शुक्रयान मिशन उतना आसान नहीं होगा. वजह, शुक्र ग्रह की विषम परिस्थितिया हैं. शुक्र ग्रह अपने खतरनाक एनवायरनमेंट कंडीशन के लिए जाना जाता है. शुक्र की सतह पर तापमान 475 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. इसकी सतह इतनी ग्रह होती है कि सीसा तक पिघल जाता है. शुक्र पर कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फूरिक एसिड से बने हैं. वहीं, शुक्र का वायुमंडल पृथ्वी की तुलना में 92 गुना अधिक प्रेशर डालता है. इन परिस्थितियों के बीच ISRO के लिए मिशन को सफल बना पाना आसान नहीं होगा.

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