महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी खेल रहे मुस्लिम कार्ड! MVA के लिए कहीं खड़ी न हो जाएं मुश्किलें #INA

Maharashtra Chunav 2024: महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को नजरअंदाज करना बेवकूफी होगी. राजनीतिक विश्लेषकों के हिसाब से इस बार MVA के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. पिछले काफी दिनों से जारी इस चुनावी शोर के बीच वोट जिहाद, बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं, आरक्षण और संविधान की आवाज ज्यादा गूंज रही है. ऐसे में इसको लेकर जमकर वार-पलटवार चल रहा है. मुस्लिम वोटर्स को बड़ी पार्टियों में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है जिस वजह से उनके अंदर नाराजगी देखने को मिल रही है. 

बता दें कि ओवैसी की पार्टी ने इस चुनाव में कुल 16 उम्मीदवारों को उतारा है. हैदराबाद लोकासभा सीट से सांसद असदुद्दीन ओवैसी स्वयं को मुस्लिमों का सबसे बड़ा संरक्षक बताते हैं. वे कहते हैं कि बाकी पार्टियों ने हमेशा मुस्लिमों को वोट बैंक के तौर पर यूज किया है. महाराष्ट्र चुनाव में उन्होंने एमवीए से गठबंधन की बात की थी, लेकिन बात परवान नहीं चढ़ पाई. इसके बाद उन्होंने 16 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. इससे पहले 2019 के चुनाव में उनकी पार्टी ने 44 सीटों पर चुनाव लड़ा था. पार्टी को इसमें से सिर्फ 2 सीट पर जीत मिली थी, लेकिन वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी.

महाराष्ट्र में मुस्लिम की संख्या

महाराष्ट्र की आबादी में 11 प्रतिशत मुस्लिम है यानि करीब-करीब 1 करोड़ 30 लाख लोग. मुस्लिम प्रदेश में परंपरागत तौर पर कांग्रेस और शिवसेना उद्धव का सपोर्ट करते रहे हैं, लेकिन एनसीपी के बनने के बाद उनका झुकाव एनसीपी की तरफ भी हो गया. इस चुनाव में शिवसेना उद्धव गुट ने एक भी मुस्लिम को प्रत्याशी नहीं बनाया है. ऐसे में माना जा रहा है कि मुस्लिम शिवसेना से नाराज हैं. वहीं एनसीपी अजित पवार ने 4 मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका दिया है. वहीं एमवीए में कांग्रेस ने 9, एनसीपी शरद पवार गुट ने 1 और सपा ने 2 मुस्लिमों को टिकट दिया है.

ओवैसी ने भाजपा को दिया ये जवाब

ओवैसी ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर कहा कि हम बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि हम महाराष्ट्र में और अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन कम संसाधनों की वजह से पार्टी इस बार सिर्फ 16 सीटों पर मुकाबले में हैं. उन्होंने कहा कि कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने यूपी, बिहार और तेलंगाना में न तो मुस्लिम नेतृत्व खड़ा किया और न उनका मागदर्शन किया, ऐसे में वे मुझे अपनी बी टीम कैसे कह सकते हैं? उन्होंने कहा कि हमारी रणनीति है कि मुस्लिम और दलित वोटर्स का बंटवारा न हो.


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