यूपी- मकान पर चल रहा था बुलडोजर, नींव में छिपा मिला 20 साल पुराना राज; अधिकारी रह गए हैरान – INA

अक्सर लोग अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा कर लेते हैं और फिर प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए कोर्ट का सहारा लेते हैं और फिर कोर्ट के आर्डर का धौंस देकर प्रशासनिक और स्थानीय लोगों पर रौब झाड़ते हैं. लेकिन जब कोर्ट का हथौड़ा चलता है तब सब कुछ साफ-साफ हो जाता है और ऐसा ही कुछ गाजीपुर के नगर पालिका इलाके में देखने को मिला. जब हाई कोर्ट के निर्देश पर एक मकान पर पिछले कई दिनों से हथौड़ा चलना शुरू हुआ तो उसी मकान के नीचे पिछले 22 सालों से लापता नाला मिला. इतना ही नहीं उस मकान के आड़ में कई दुकानें भी नाले के ऊपर बना ली गई थीं.

गाजीपुर के नगर पालिका इलाके के झंडातर मोहल्ले में सुमित्रा देवी पत्नी मानिकचंद वर्मा जिन्होंने साल 2002 में अपना मकान बनवाया और इसी दौरान मकान के बगल से बहने वाले नगर पालिका के बड़े नाले पर कब्जा करते हुए उस पर भी मकान बना लिया. उस वक्त स्थानीय लोगों ने विरोध किया, इसके बावजूद अपना पूरा मकान बनवा डाला. साल 2017 तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा. लेकिन उसके बाद नाला का बहाव धीरे-धीरे कम होने लगा और जल जमाव की स्थिति बनने लगी. स्थानीय लोगों ने एक बार फिर से विरोध करना शुरू किया. मकान मालिक मानिकचंद वर्मा ने अपने इस अवैधानिक कार्य पर पर्दा डालने के लिए हाई कोर्ट का सहारा लिया और यह बताना चाहा कि उनके मकान के नीचे नगर पालिका का नाला नहीं बहता है.

साल 2019 में हाईकोर्ट ने नगर पालिका और मानिकचंद वर्मा को एक सप्ताह का समय देते हुए इसकी जांच करने की बात कही थी. लेकिन नगर पालिका ने उस वक्त हाईकोर्ट के इस निर्देश को अनदेखा कर दिया. जिसके पीछे बताया जा रहा है की प्रशासनिक उदासीनता और राजनीति इसका मुख्य कारण रहा. जब भी कोई विरोध होता था तो मानिकचंद वर्मा की तरफ से हाई कोर्ट का स्टे आर्डर बताकर अधिकारियों को गुमराह कर दिया जाता था.

जल जमाव से परेशान थे लोग

लेकिन एक बार फिर जब 2024 में बारिश का मौसम शुरू होते ही इस बार भीषण जल जमाव की स्थिति बनने लगी. स्थिति तब, बत से बत्तर हो गई जब लोगों के घरों में भी पानी का जलजमाव होने लगा. कई लोग बीमारियों से ग्रसित हो गए और इसी दौरान दो से तीन लोगों की मौत भी हो गई. लोग इस जल जमाव से मुक्ति को लेकर नगर पालिका के अधिकारी, एसडीएम, जिलाधिकारी समेत कई अधिकारियों से गुहार लगाई. लेकिन उनकी गुहार को कोई भी नहीं सुना. तब इन लोगों ने हाई कोर्ट का सहारा लेते हुए एक जनहित याचिका डाली.

कोर्ट ने नोटिस का मांगा जवाब

जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 2019 के निर्देश के पालन की आख्या नगरपालिका से मांगी. नगर पालिका को सुध आया और उसे लगा की अब उन्हें उस नाले को खोजना चाहिए और उसके बाद से ही नगर पालिका नोटिस पर नोटिस देती रही. अंत में दीपावली की छुट्टी बीतने के बाद उस पर हथौड़ा चलाने का काम हुआ. हथौड़ा लगातार कई दिन तक चलता रहा लेकिन नाले का पता नहीं चला. तीसरे दिन ग्राउंड फ्लोर के फर्श को मजदूरों ने तोड़ा, तब पिछले 22 वर्षों से नगर पालिका का गायब हुआ नाला लोगों को दिखाई दिया. जिसके बाद स्थानीय लोगों के साथ ही अधिकारियों ने भी राहत का सांस ली.

22 साल से गुम था नाला

वहीं अब 22 साल से गुम हुआ नाला लोगों को दिखाई देना शुरू हो गया है. इसकी सफाई को लेकर एक बड़ा पेच और आने वाले दिनों में फसाने वाला है. क्योंकि इसी नाले के ऊपर कुछ दूर आगे एक मस्जिद भी है और इस मस्जिद के पास में करीब 5 से 6 दुकान नाले के ऊपर बनाई गई हैं. ऐसे में नाले की सफाई के दौरान उन दुकानों के गिरने की संभावना बढ़ गई है.


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