यूपी – मां ही नहीं पिता भी दे सकते हैं नवजात को केएमसी, नवजात शिशु देखभाल सप्ताह में विशेष – #INA

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नवजात के लिए औषधि साबित होता है कंगारू मदर केयर

प्री-टर्म बर्थ/ लो बर्थ वेट शिशु /एक स्थान से दूसरे स्थान बच्चे को संदर्भित करते समय ठंड से बचाव हेतु बच्चों को दी जाती है केएमसी

आगरा । समय से पहले बच्चे का जन्म हुआ हो (प्री-टर्म बर्थ), जन्म के वक्त कम वजन हो (लो बर्थ वेट) या हाइपोग्लेसिमिया से बचाव हेतु चिकित्सक मां के स्पर्श को औषधि के रूप में उपयोग करते हैं। इसे कंगारू मदर केयर कहा जाता है। लेकिन जब मां ही कठिन परिस्थिति में हो तो पिता भी केएमसी दे सकते हैं। जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लॉयल) स्थित केएमसी यूनिट में वर्ष 2024 में अब तक 896 से ज्यादा बच्चों को केएमसी के जरिए स्वस्थ किया गया है। इनमें से 25 बच्चों को उनके पिता, ताऊ, चाचा इत्यादि ने केएमसी दिया है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि कंगारू मदर केयर एक नर्सिंग तकनीक है, विशेष रूप से समय से पहले जन्मे शिशुओं सहित विभिन्न परिस्थितियों में नवजात की जान बचाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। जिला महिला चिकित्सालय में अलग से केएमसी यूनिट बनाई गई है, जहां पर नवजात को केएमसी दी जाती है और इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस प्रक्रिया में नवजात को उसकी मां के साथ सीधे त्वचा से त्वचा संपर्क में रखा जाता है, जिससे शारीरिक और भावनात्मक समर्थन मिलता है। यह तकनीक शिशु के स्वास्थ्य और विकास को बढ़ाने में मदद करती है। जब मां कठिन परिस्थिति में होती हैं तो पिता भी इसे दे सकते हैं।

जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लॉयल) की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. खुशबू केसरवानी बताती हैं कि जिला महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले औसतन 15 से 18 प्रतिशत बच्चे कम वजन के होते हैं। इन्हें केएमसी यूनिट में रखा जाता है। कंगारू मदर केयर ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिये, बच्चों के वजन को बढाया जा सकता है, साथ ही यह शरीर का तापमान व श्वास प्रक्रिया को स्थिर रखने में सहायक होता है। इसमें मां बच्चे को अपने से इस तरह से चिपकाकर रखती हैं जैसे कंगारू अपने बच्चे को अपने शरीर से चिपकाकर रखता है। केएमसी में मां बच्चों को कम से कम छह से आठ घंटे तक अपनी त्वचा से लगाकर रखती हैं और धीरे धीरे इस समय को बढ़ाना होता है। इससे बच्चे और मां का जुड़ाव बढ़ता है। बच्चा मां की खुशबू को पहचानने लगता है। मां बच्चे की धड़कन को पहचानने लगती है। इससे मां को दूध भी आने लगता है। इससे छह माह तक केवल स्तनपान भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने बताया कि जब बच्चे का वजन ढाई किलोग्राम हो जाता है तो बच्चा वातावरण में सर्वाइव करने लायक हो जाता है। कई बार मां की तबियत खराब हो या वो नवजात को केएमसी न देने की स्थिति में हो तो पिता या परिवार का कोई और सदस्य भी नवजात को केएमसी दे सकता है।

जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लॉयल) में तैनात नर्सिंग ऑफिसर प्रियंका सिंह ने बताया कि केएमसी यूनिट में हम मां और परिजनों को केएमसी का प्रशिक्षण देते है। हम यहां पर तकनीकों का प्रयोग कर टेलीविजन पर वीडियो दिखाकर उन्हें केएमसी का प्रशिक्षण देते हैं। केएमसी में मिले प्रशिक्षण को मां घर पर जाकर भी अपनाती हैं। इससे बच्चे स्वस्थ रहते हैं। इसके साथ ही जिन मां को दूध नहीं आता है उन्हें दूध आने की समस्या भी दूर हो जाती है। इसके अलावा यदि मां कंगारू मदर केयर करने में असमर्थ है तो अन्य सदस्य भी इसको कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक केएमसी यूनिट में 896 नवजात शिशुओं को केएमसी दी जा चुकी है, इनमें से 25 पुरुषों ने नवजात शिशुओं को केएमसी दी है।

ताजनगरी निवासी 30 वर्षीय मुश्ताक बताते हैं कि मेरी पत्नी शाजिया ने सात नवंबर 2024 को दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, जिनका वजन 1600 ग्राम और 1800 ग्राम था, जो काफी कम था। वजन कम होने की स्थिति में नर्सिंग ऑफिसर प्रियंका सिंह दोनों नवजात को कंगारू मदर केयर देने की जानकारी दी। उन्होंने जिला महिला अस्पताल स्थित केएमसी यूनिट में मेरी पत्नी शाजिया और मुझे केएमसी का प्रशिक्षण दिया। एक बच्चे को मेरी पत्नी और दूसरे को मेरे द्वारा केएमसी दी गई। यह एक अलग तरह का अहसास है। पहले मुझे लगा कि केवल मां ही केएमसी दे सकती हैं।

ब्लॉक सैंया के ग्राम सिकंदरपुर के निवासी 36 वर्षीय भोलाराम ने बताया कि मेरे भाई की पत्नी अंजलि ने दो नवंबर को निजी चिकित्सालय में बेटे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद जच्चा को अधिक रक्तस्राव होने लगा, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई थी। जब हम घर चले गए तो बच्चा ठंडा पड़ गया था, ऐसे में हम जिला महिला चिकित्सालय में आए, यहां पर डॉक्टरों ने बच्चे को उपचार दिया और उसे केएमसी यूनिट में भर्ती कराया गया। मेरा भाई विकलांग है, इस कारण मुझे वीडियो के माध्यम से स्टाफ ने केएमसी का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद मैंने बच्चे को केएमसी दी। अब बच्चा डिस्चार्ज हो गया है और डॉक्टर ने घर पर भी केएमसी देने की सलाह दी है। अब घर पर भी मैं ही बच्चे को केएमसी दे रहा हूं। बच्चा अब स्वस्थ है।

कंगारू मदर केयर के फायदे

बच्चे का तापमान स्थिर रहता है

मां और बच्चे का जुड़ाव बढ़ता है

बच्चे की ग्रोथ तेजी से होती है

नवजात का वजन तेजी से बढ़ता है

मां को दूध आने लगता हैपिता की भागीदारी के लाभ

शिशु के साथ मजबूत बंधन बनाने में मदद।

माता को आराम और समर्थन प्रदान करना।

शिशु की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना।

परिवार में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाना।

पिता की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक संतुष्टि।नवजात शिशु को यह दे सकते हैं केएमसी

दादी/नानी: यदि मां और पिता किसी कारणवश शिशु की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं, तो दादी/नानी कंगारू मदर केयर दे सकती हैं।

दादा/नाना: यदि मां और पिता किसी कारणवश शिशु की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं, तो दादा/नाना भी कंगारू मदर केयर दे सकते हैं।

परिवार के अन्य सदस्य: परिवार के अन्य सदस्य जैसे कि चाची, चाचा, भाई, बहन आदि भी कंगारू मदर केयर दे सकते

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यह पोस्ट सबसे पहले मून ब्रेकिं डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ ,हमने मून ब्रेकिं डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में मून ब्रेकिं डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
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