यूपी – UP: आगरा में बनेगा सूबे का पहला खारे पानी का झींगा बीज बैंक, ये पांच ब्लॉक हुए चिह्नित – INA

आगरा में ‘राजा’ के दिन लदने वाले हैं। अब झींगा डालर बरसाएगा। किसानों की खुशहाली और कमाई का नया जरिया बनेगा। इसके लिए सूबे में आगरा में पहला खारे पानी का झींगा बीज बैंक बनने जा रहा है। मंगलवार को थाईलैंड की कंपनी से सहमति बन गई। जल्द करार होगा। खारे पानी का झींगा व बीज उत्पादन के लिए पांच ब्लॉक चिह्नित हो गए हैं।
केंद्रीय मत्स्य राज्यमंत्री प्रो.एसपी सिंह बघेल और सूबे के मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने मंगलवार को फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में दुनिया की सबसे बड़ी झींगा उत्पादन कंपनी एवीपी-सीपीएफ, थाईलैंड के प्रतिनिधियों संग बैठक की। कंपनी ने आगरा में बड़े निवेश की इच्छा जताई। आंध्र प्रदेश में यह कंपनी खारे व मीठे पानी का झींगा व पंगेसियस मछली के व्यावसायिक उत्पादन, बीज उत्पादन के लिए नर्सरी व प्रोसेंसिंग प्लांट चला रही है। दूसरा बैंक व प्रोसेसिंग प्लांट आगरा में लगाने की तैयारी है।
जिले में वर्तमान में 8.5 हेक्टेयर में झींगा व मछली उत्पादन हो रहा है। किसानों को आंध प्रदेश से बीज लाना पड़ता है। जिस वजह से 50 प्रतिशत बीज खराब हो जाता है। एक हेक्टेयर में करीब 1.5 से 2 टन उत्पादन हो पा रहा है। उप निदेशक मत्स्य प्रशांत गंगवार ने बताया कि आगरा में खारे व मीठे पानी का झींगा बीज बैंक बनने से 90 प्रतिशत बीज सुरक्षित रहेगा। उत्पादन बढ़कर 5 से 6 टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा। थाईलैंड की यह कंपनी 72 देशों में झींगा उत्पादन व निर्यात करती है। उन्होंने बताया कि आगरा में शमसाबाद, फतेहपुर सीकरी, बरौली अहीर, अछनेरा व फतेहाबाद ब्लॉक चिह्नित किए हैं। जहां तालाबों में नई तकनीक से खारे पानी का झींगा तैयार होगा। अभी तक आगरा सब्जियों के राजा आलू के उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है।
यह होगी उत्पादन की तकनीक
खारे पानी का झींगा उत्पादन के लिए चिह्नित तालाबों में विशेष प्रकार का रसायन मिलाया जाएगा। कॉन्क्रीट से पक्का कर तालाबों में पॉलिथीन बिछाई जाएगी। पानी में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाकर थाईलैंड की तकनीक से उत्पादन किया जाएगा। एक झींगा का औसत वजन 30 से 40 ग्राम तक हो सकता है। चार महीने में बीज से झींगा बन जाता है।
मछुआरों को दी जाए वरीयता
केंद्रीय मत्स्य राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि मछुआरा समाज के लोगों को इस कार्य में वरीयता दी जाए। प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बताया कि प्रदेश में ताजे पानी की झींलों, तालाबों, नहरों व नदियों का बुनियादी मॉडल है। बैठक में सीडीओ प्रतिभा सिंह, महानिदेशक मत्स्य राकेश प्रकाश, निदेशक एनएस रहमानी, उप निदेशक राजेंद्र सिंह मौजूद रहे।
 


Credit By Amar Ujala

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