सेहत – आईवीएफ से किस उम्र तक बन सकते हैं माता-पिता? यह रॉकेट स्टार्टअप, डॉक्टर से आसान भाषा में स्कोडा

आईवीएफ प्रक्रिया के बारे में सब कुछ: आज के समय में खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खान-पान से लोगों की प्रजनन क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इस वजह से बड़ी संख्या में लोगों को बच्चे पैदा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। संत सुख में बाधा आने पर लोग आईवीएफ का सहारा ले रहे हैं। कई लोगों को आईआईएफ के बारे में जानकारी नहीं है और इसी वजह से उनके माता-पिता का सपना टूट जाता है। आज फर्टिलिटी विशेषज्ञ बताएंगे कि आईवीएफ तकनीक क्या है और किस उम्र के लोगों के लिए यह तकनीक कमाल की साबित हो सकती है।

चंडीगढ़ के जिंदल आईएफवी सेंटर मेडिकल डायरेक्टर डॉ. शीतल जिंदल ने News18 को बताया इन विट्रो फर्टिलाइजर (आईवीएफ) एक रिप्रोडक्टिव तकनीक है, जिसका उपयोग प्राकृतिक रूप से मिश्रण न करने वाले कपल्स के लिए किया जाता है। इस अनोखे तरीके में महिला के अंडों को लैब में पुरुषों के स्पर्म के साथ मिलाया जाता है। फिर लैब में बनाया गया भ्रूण को गर्भपात में रखा जाता है। आईवीएफ तकनीक उन कपल्स के लिए है, जो मांगे गए तरीकों से बच्चे पैदा करने में असफल हैं। इन्फर्टिलिटी से जुड़े लोग आईवीएफ के माध्यम से माता-पिता बन सकते हैं।

डॉक्टर ने बताया कि अगर किसी महिला को गर्भपात में कोई समस्या है, कारण से बच्चा नहीं हो रहा है, तो आईवीएफ उनके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। जिन पुरुषों के स्पर्म की गुणवत्ता खराब है या स्पर्म की मात्रा बेहद कम है, वे भी आईवीएफ का सहारा ले सकते हैं। कई बार महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ-साथ एग्स की क्वालिटी भी कम हो जाती है। ऐसे में आईवीएफ का उपयोग एग्स की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया जा सकता है। आईवीएफ तकनीक के माध्यम से अधिक उम्र में भी संत सुख पाया जा सकता है। हालांकि इस अनोखे से बच्चे की भी कई कंडीशन होती हैं.

आईवीएफ के माध्यम से बच्चा किस उम्र से जन्म तक हो सकता है?

बेस्ट ने बताया कि आईवीएफ की मदद से महिला रजोनिवृत्ति की उम्र से जन्म तक हो सकती है। महिलाओं का रजोनिवृत्ति आमतौर पर 45 से 50 वर्ष के बीच होता है। इसके बाद आईवीएफ से कोई बच्चा पैदा नहीं हो सकता। हालाँकि इतनी कम उम्र में आईएफ़वी स्टूडियो की जाए, सैक्सेस रेटिंग ही सबसे ज़्यादा होती है। 35 और 40 साल की उम्र के बाद आईवी सैक्सफुल होने की संभावना कम लगती है। कुछ मामलों में 40 से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए डोनर एग्स का चयन किया जा सकता है यानी किसी अन्य महिला एग्स की मदद से गर्भवती हो सकती हैं। उम्र से केवल आईवीएफ की सफलता पर असर पड़ता है, बल्कि मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है।

आईवीएफ प्रक्रिया कितनी सफल है?

आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता में कई कारक शामिल हैं, जिनमें महिला की उम्र, बांझपन का कारण और उपयोग, एग्स और स्पर्म की गुणवत्ता शामिल है। एक अध्ययन के अनुसार 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में 50% आईवीएफ सोनिया की वजह से जीवित बच्चा हुआ। इसके अलावा सफलता दर के अलावा इस आधार पर यह भी अलग हो सकता है कि समुद्री डाकू या रेफ्रिजरेटरयुक्त एग्स का उपयोग किया जाता है। सही आईवीएफ़ फ़ोटोग्राफ़ी से भी इस स्टूडियो के सफल होने की आशा की जा सकती है। आईवीएफ के बेहतर परिणाम के लिए सभी मेडिकल जांच और प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

आईएफ़वी के स्टोर में क्या फ़ेल होता है?

डॉक्टर की सलाह तो बेहतर तकनीक और सभी सावधानियों के बावजूद कई मामलों में आईवीएफ स्टॉक फेल हो जाता है। इसका मुख्य कारण एग्स या स्पर्म की बुरी गुणवत्ता है, इसके कारण से भ्रूण नहीं बनता है। इसके अलावा उम्र भी एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि 35 से अधिक उम्र की महिलाओं में अंडों की गुणवत्ता कम हो जाती है, जिससे आईवीएफ एस्ट्रोजन फेल हो सकता है। गर्भाधान से जुड़े विकार जैसे कि एंडोमेट्रियम या विटामिन ए से भी संतान सुख में बाधा आ सकती है। भ्रूण में आनुवंशिक असामान्यताएं सफल गर्भावस्था को रोका जा सकता है, जिससे गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा तनाव, खराब गुणवत्ता या धूम्रपान जैसे फैक्टर भी आईवी के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।

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