सेहत – इन सफेद फूलों में मौजूद औषधियां हैं आयुर्वेदिक गुण, काढ़ा, गुण और लेप तीखा है उपयोगी, ठंड से बचाव का रामबाण इलाज

जयपुर:- द्रोणपुष्पी एक औषधीय औषधीय पौधा है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह आयुर्वेद में विभिन्न औषधीय मसालों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर पिंटू भारती ने लोकल 18 को बताया कि द्रोणपुष्पी एक छोटा, आकर्षक पौधा है, जिसका बेसमेंट लगभग 30-60 सेमी है। इसके पत्ते छोटे, संकरे और नन्हें रोएदार होते हैं। फूल सफेद रंग के और गुच्छों में लगे होते हैं, जो देखने में सुंदर होते हैं।

आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बताया कि द्रोणपुष्पी का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। यह बुखार को कम करने में सहायक है, इसके अलावा अपच और गैस्ट्रिक समस्याओं के इलाज में भी यह बहुत काम आता है। इसके अलावा द्रोणपुष्पी को आयुर्वेद में शीतल, कषाय और तिक्त गुण वाला माना गया है।

उपयोग करने की विधि
आयुर्वेद डॉक्टर पिंटू भारती ने लोकल 18 को बताया कि द्रोणपुष्पी वात, पित्त, कफ को शुरू करने में सहायक है। इसकी दुकान या फूल को पानी में भरकर बनाया जाता है। इसके अलावा विक्रेताओं के आभूषणों में विभिन्न प्रकार के आभूषणों का सेवन किया जाता है। वहीं घाव और सूजन पर भी इसका लेप तैयार किया जाता है।

द्रोणपुष्पी के आयुर्वेदिक फायदे
आयुर्वेदिक डॉक्टर पिंटू भारती ने बताया कि द्रोणपुष्पी को बुखार और मलेरिया के इलाज में असरदार माना गया है। यह शरीर को ठंड प्रदान करता है और तापमान को नियंत्रित करता है। इसका काढ़ा पीना ज्वर से राहत की छुट्टी है। यह सर्दी, खांसी, गले में खराश और दमा (अस्थमा) जैसे श्वसन में होता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सर्किट गुण होते हैं, जो श्वसन तंत्र को संक्रमण से बचाते हैं। इसका काढ़ा या रस शहद के साथ लेना आरामदायक है।

द्रोणपुष्पी अपच, गैस, पेट फूलना और दस्त जैसे पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने में उपयोगी है। यह अग्नि पाचन को भूख में सुधार करता है। पाचन तंत्र को घटकों के लिए केश या काढ़ा बनाये रखने के लिए इसका सेवन करना चाहिए। यह त्वचा संक्रमण, सूजन, घाव और बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण त्वचा को तेजी से ठीक करने में सहायक होते हैं। शिष्यों का पेस्ट अंतिम संस्कार पर लगाया जाता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता दोगुनी होती है। यह शरीर से विषैले पदार्थ को निकालने में मदद करता है। रोग उपकरण क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से इसका काढ़ा पी सकते हैं।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science