सेहत – ग्लोबल हैंडवाशिंग डे: मैटरनिटी शब्द से क्यों शुरू हुआ हाथ धोने का नारा? हैंडवॉश का सही तरीका क्या है?

कोरोना के समय हर व्यक्ति बार-बार हाथ धोता था। तब लोगों ने समझ लिया था कि बीमारी दूर है तो हाथों को बीमारी ही होगी। लेकिन जैसे ही कोरोना के केस घटते हैं तो लोग भी पहले की तरह हाथ पकड़ना भूल गए। जबकि कोलेस्ट्रॉल हाथों से हमेशा से इंफेक्शन होता रहता है। आज यानी 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे और इस मशीन पर यह याद रखना जरूरी है कि हाथों को क्यों छीना जाए।

हाथों पर क्यों बने हुए हैं चन्द्रमा
सुरभि हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट में चिकित्सा चिकित्सा विभाग डॉ.अभिषेक वालिया ने कहा कि हाथों की त्वचा रफ़ होती है और कई जगह से दबी हुई जगहें होती हैं जिससे अवशेष बन जाते हैं। इस आकार की वजह से अनुयायी और वायरस हाथों में रहते हैं। जो 20 सेकंड तक हाथ धोने के बाद भी कई बार नहीं बिगड़ता। हालाँकि हैंड फैब्रिक 80 प्रतिशत तक स्थिर रह सकता है। अगर कोई गर्म पानी से हैंड रिचार्ज तो 10 सेकंड ही काफी है।

हाथों से कई रोग
हाथ खाना खाते हुए सीधे मुंह में जाते हैं साइंटिस्ट और वायरस सीधे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे 400 से अधिक प्रकार का संक्रमण हो सकता है। इससे खांसी, सर्दी, मुंह और कई तरह के सांस, आंख और पेट से जुड़े संक्रमण हो सकते हैं। जिन लोगों की रोग संरचना की क्षमता कम होती है और हाथ भी नहीं धोते तो अक्सर बीमार रहते हैं।

कब-कब धोना चाहिए हाथ
हाथ को हर बार शौचालय से पहले और बाद में धोना चाहिए। इसके अलावा बच्चे का बर्तन, सेनेटरी पैड लगाने के बाद, खाना पहले और बाद में बनाना, खाना पहले और बाद में बनाना, धूम्रपान के बाद, हाथ को ब्रश करना, बाहर से आने और बगीचे में रखने के बाद जरूर धोना चाहिए। वहीं, अगर खांसी और सर्दी है तो हर बार टिश्यू या रूमाल का इस्तेमाल करने के बाद भी हैंडवॉश जरूरी है।

दुनिया में 5 साल की छोटी उम्र के 18 लाख बच्चे के कोरियोग्राफी हाथ से होने वाले इंफेक्शन की वजह से जान गंवा देते हैं (इमेज-कैनवा)

हाथ धोने का इतिहास 177 साल पुराना है
हाथ धोने का उद्यम यूरोप के वियना जनरल हॉस्पिटल के मैटरनिटी वार्ड से शुरू हुआ है। 1847 में हंगरी के डॉ. इग्नाज सेमेलविस को लगा कि मां बनने वाली महिलाएं, नई मां और नवजात शिशु की अज्ञात बीमारी की वजह से उनकी जान बर्बाद हो रही है। बहुत विचार करने के बाद उन्होंने मैटरनिटी शब्द में हाथ का सामान अनिवार्य कर दिया जिससे मृत्यु दर कम हो गई। डॉ. इग्नाज सेमेलविस को फादर ऑफ हैंडवॉश कहा जाता है। इसके अलावा एसोसिएट्स के संस्थापक फ्लोरेंस नाइट एंगल ने सभी नर्सों के लिए हाथ का सामान अनिवार्य कर दिया।

हाथ धोने का सही तरीका
कोरोना के बाद ज्यादातर लोगों को यह मालूम है कि हाथ 20 सेकंड तक धोना चाहिए लेकिन इतने सेकंड में हाथ धोने का एक खास तरीका होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (कौन) के अनुसार साबुन से पहले हाथों को अच्छे से गंध कर लें। फिर साबुन लेकर पेंसिल पर राँघे। दाई कलाई से बायें हाथ और बाई कलाई से डायन हाथ से साफ करें। कुंवारी को भी राँघें. हाथों को ऊपर से भी राँघें। इसके बाद तेज़ धार के पानी से हाथ को जब्त कर लिया गया। हाथ धोने के बाद हाथों को साफ-सुथरे तौलिये या हेयर ड्रायर से सुखा लें।

इस को ना चूँ
वीडियो हाथ के चेहरे की सुंदरता को निखारा जा सकता है। इन पर रहने वाले कील-मुहांसों का कारण बन सकते हैं इसलिए जब भी चेहरे को छूएं तो सबसे पहले हाथों को खरीदें। फेस वाश, फेस पैक या फेस मास्क से पहले हाथों को साबुन से धोना जरूरी है। मुहांसन के अलावा रेज़ेज, स्कीनल स्कीनेस, खुजली और सफेद पट्टियां जैसे स्कार्फ पर फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

चूड़ी और अंगूठी की बूंदें
कई चूड़ी-कड़े और अंगूठी पहने महिलाएं हाथ धोकर कपड़े पहनती हैं। वहीं पुरुष रिस्ट वॉच के हाथ धोते भी गलत हैं। हाथ धोते घड़ी, अंगूठी और चूड़ियों को निकलना चाहिए। असली इन सब में माइक्रो ऑर्गनिज्म रहते हैं जिससे हाथ धोने का फायदा नहीं मिलता। अंगूठी, चूड़ी जैसी चीजें फैब्रिक और वायरस का घर बन जाते हैं।

हाथ धोने से 58% तक डायरिया का खतरा होता है (छवि-कैनवा)

टॉवल से बेहतर पेपर टॉवल
कुछ लोग हाथ धोने के बाद तौलिए से हाथ पोंछते हैं लेकिन इन कपड़ों के तौलिए से पेपर तौलिए ज्यादा सुरक्षित होते हैं। कपड़े के कपड़े अगर इस्तेमाल किये जाते हैं तो उन्हें रोज धूप में सुखाएं। रिलेटेड पेपर टॉवल डिस्पोजल होते हैं जबकि कपड़ों के टॉवल री-यूज होते हैं इसलिए उन पर तेजी से तेजी से बढ़ते हैं। पेपर टॉवल से इंफेक्शन का जोखिम कम रहता है।

वफ़ाल्ट सोप सबसे बेहतर?
कुछ लोग साबुन से तो कुछ लोग बेजोड़ साबुन से हाथ धोते हैं। लेकिन साबुन से बार-बार हैंड रेस्टुरेंट स्किन के साथ मिल सकता है। इससे स्किन इरिटेट तारा रूखी, बेजान हो सकता है। साथ ही रीचेज भी हो सकता है। वहीं, ज्यादातर साबुनों में साबुन लगाने के लिए फ्यूम डाला जाता है जो त्वचा को खराब कर देता है। उदाहरण साबुन से हाथ का कपड़ा ठीक रहता है। गाँव में कुछ लोग राख या मिट्टी से भी हाथ धो लेते हैं जो ठीक नहीं है। इससे विखंडन समाप्त होने की बजाय वृद्धि हो जाती है।

ऑफिस में लोग हाथ नहीं धोते
न्यूज़ीलैंड में ऑफिस मैक्स एक सर्वे में पाया गया कि ऑफिस में लोग जल्दी से हाथ नहीं धोते। 33% लोगों का मानना ​​है कि वह शौचालय के बाद हाथ नहीं धोते। और जो लोग हाथ धोते भी हैं तो वह उन्हें सुखाते नहीं हैं। ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ने माना कि गीले हाथों में आसानी से फोटो खींचे जाते हैं।


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