सेहत – पेट में दर्द, एसिडिटी सहित 5 मरीजों की पहचान न करें, शारीरिक बीमारी के ये हो सकते हैं लक्षण, तुरंत जांचें

पेट के कैंसर के लक्षण: उम्र के साथ-साथ लोगों पर खतरा बढ़ने का भी खतरा मंडरा रहा है। 60 साल की उम्र के बाद लोगों को स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए और किसी भी तरह की परेशानी दिखने पर डॉक्टर से मिलकर अपनी जांच करानी चाहिए। बुजुर्गों को बार-बार भूख न लगना, पेट में दर्द होना, एसिडिटी और पेट फूलना जैसी कई समस्याएं होती हैं, लेकिन बार-बार ये छोटी-छोटी बातें गंभीर भूख का संकेत हो सकती हैं। बार-बार खट्टी डकारें, पेट में दर्द और वजन कम होना जैसे कैंसर से ज्यादा देर तक लगें, तो ये पेट के संकेत हो सकते हैं।

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मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल के ऑन्किसिओन डॉ. दीपक छाबड़ा ने बताया गैस्ट्रिक कैंसर यानि पेट का कैंसर तब होता है, जब पेट में असामान्य असामान्य अनकंट्रोल रूप से बढ़ने लगते हैं। अत्यधिक तनाव, ख़राब खान-पान, कैंसर के परिवार समूह धूम्रपान, शराब का सेवन, मोटापा और जीवनशैली में बदलाव जैसे कारक पेट के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं। उम्र के साथ खतरा बहुत ज्यादा है. इसमें आम तौर पर भूख में कमी, मतली, उल्टी, सीने में जलन और वजन कम होना शामिल है। कई बार लोग इन पोर्टफोलियो को अंतिम रूप दे देते हैं, लेकिन इसे नामांकित से लेना चाहिए।

विद्वानों की राय तो पेट के कैंसर के लक्षण अक्सर लोगों द्वारा बताए जाते हैं। कई लोग इन परीक्षाओं को लेकर सामान्य समस्या मान लेते हैं और डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। जब कैंसर तीसरे या चौथे चरण में पहुंच जाता है, तब रोगी इलाज के लिए आते हैं। ऐसे मामलों में इलाज करना काफी मात्रा में होता है। यह कैंसर का ख़तरा 60 साल से ऊपर के लोगों को तो ज़्यादा होता है, लेकिन यह कैंसर युवाओं को भी अपनी चपेट में ले सकता है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक 40 साल के लोगों में पेट के कैंसर जैसी चिंताओं में 30% की वृद्धि हुई है। ऐसे में युवाओं को भी सावधान रहने की जरूरत है.

डॉक्टर छाबड़ा ने बताया कि पेट के कैंसर का इलाज करने के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी समेत कई तरह के इलाज की जरूरत होती है। रोगी की कंडीशन का इलाज इस प्रकार किया जाता है। इस कैंसर से बचने के लिए लोगों को समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए और डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। इस कैंसर से बचने के लिए लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार करना चाहिए और फल और अन्य चीजों से बचना चाहिए। जंक फूड्स से बचना चाहिए और फिजियोलॉजी सक्रिय रहना चाहिए। इसके अलावा वजन नियंत्रण रखना चाहिए और किसी भी तरह की समस्या होने पर जांच करानी चाहिए।

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