सेहत – लोग आदर्श क्यों हैं? इसके पीछे क्या है विज्ञान,रोना सिर्फ इंसानों में क्यों, जानिए सब कुछ

इंसान क्यों रोता है: हम इस धरती के इकलौते जीव हैं जो रोने के समय फूल मनाते हैं। ये तूफ़ान सिर्फ़ इंसानों में पाए जाते हैं किसी और परत में नहीं. चाहे राजा हो या रंक, इस धरती पर सब किसी न किसी कारण से एक जैसे हैं। कभी दुख में भी फूल निकल आते हैं, कभी दुख में भी फूल निकल आते हैं, कभी दुख में भी फूल निकल आते हैं। कुछ अन्य आँखों की आँखों से भी टूटे हुए अवशेष होते हैं लेकिन आभूषणों का अनुभव होता है कि वे दाँतों की आँखों की सुरक्षा के लिए चिकनाई युक्त होते हैं। इंसान किसी के न किसी के मन में स्थिति में होते हैं और इस समय आने वाले पर्यटकों की आंखों की सुरक्षा के लिए नहीं होते हैं। इसके पीछे जानिए विज्ञान क्या है और हमारे साथ ऐसा क्यों होता है, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

सिर्फ इंसानों में पौधे

न्यूयॉर्क टाइम्स एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रसेल ने इस विषय पर परदा हटाने की कोशिश की है। हालांकि यूनेस्को का मानना ​​है कि हमारी भावनाओं से जो फूल निकले हैं, उसके बारे में न्यूरोसायटिस्ट ने सोचा था, यह कहीं ज्यादा जटिल है। तो यह है कि हमारे दिमाग में कोई एक ऐसा क्षेत्र नहीं है जो बात करता है या टूटा हुआ है जैसा कि भावनाओं के लिए जिम्मेदार है। अभी भी फिल्म को इस बात का पहला मतलब यह है कि जब हम दिखते हैं तो उस समय हमारे दिमाग का कौन सा हिस्सा जिम्मेदार होता है होता है.दारा-दरा इस मामले में कुछ प्रगति हो रही है और इन गुंडों की समझ की कोशिश की जा रही है. लेकिन अब तक हम ये नहीं समझ पाए हैं कि इंसानों में ये दरारें क्यों होती हैं. दंभ का मानना ​​है कि इंसानों में तीन तरह के फूल होते हैं। व्यावहारिक रूप से, लगभग हर जीव पास से बाहर निकलता है, और दोनों के दो सेट पैदा होते हैं। बेसल और रिफ्लेक्स। बेसल फ़्लोट्स आई को नाम बनाए रखते हैं, जबकि रिफ़्लॉक्स फ़्लोट्स आई को धूल-मिट्टी की तरह बाहरी नीड़ से बचने के लिए रखा जाता है। ये जानवर हर जीव के पास पाए जाते हैं लेकिन इंसान के तौर पर तीसरी तरह के पौधे भी मिलते हैं, जिनमें अविश्वसनीय जानवर भी शामिल हैं। यह सबसे ज्यादा खुशी, दुख, बर्बादी, टूटना, किसी से भी स्वीकारोक्ति पर बहाए जाते हैं। यह अन्य जीव में नहीं होता है।

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कई जानवर संकट के समय चिल्लाते हैं। कुत्ते का मानना ​​है कि समय के साथ जीवित रहने के लिए हम और जानवर भी यह चीज़ सीख गए हैं। पूर्वी, बचपन में स्तनधारी जीव, पक्षी केवल अपने माता-पिता पर अनुशासित रहते हैं। वे संकट के समय अपने भाव-भंगिमा से ऐसी क्रिया करते हैं जिससे वे अपने माता-पिता को इस संकट से उबरने के लिए मजबूर करते हैं। उदाहरण के लिए चुजे या बकरियों के बच्चे को जब भूख लगती है या किसी अन्य व्यक्ति को लगता है कि या उसे किसी कारण से दर्द होता है, तो वे उस समय रोने जैसी आवाजें दोहराते हैं। लेकिन मजेदार बात यह है कि ये जानवर जब दिखते हैं तो इंसानों की तरह नहीं होते. ये तूफानी तूफ़ान नहीं होते. लेकिन जब इंसानों का नवजात शिशु सड़ता है तो उसमें जीव-जन्तु उत्पन्न होते हैं और इससे आपका कलेजा पासिज हो सकता है। वह काफी जोर से रोता है.

एक-दो महीने के बाद बच्चों में भी तूफान आ जाते हैं। यह एक रहस्य है कि हम अपसेट होने पर क्यों रोते हैं। नीदरलैंड्स के टिलबर्ग विश्वविद्यालय में क्लिनिकल साइकोलॉजी के एमेरिटस प्रोफेसर और इंसानों के रोने पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक एड विंगरहॉट्स के सुझाव हैं कि जब हम अनुभव करते हैं तो टैब पर अतिरिक्त दबाव डाला जाता है और इस कारण टियर ग्रंथि सक्रिय हो जाती है। यही कारण है कि जब हम तेज़ हँसी करते हैं या ऊँची या उल्टी होती हैं तो चाहते हैं कि हमारी आँखों से भी आँखें निकल जाएँ। बाकी रोने से भी फायदा होता है। एक बार हजारों लोगों से पूछा गया कि पिछली बार कब रोए थे और बाद में क्या महसूस किया तो लोगों ने कहा कि रोने के बाद उन्हें सबसे अच्छा लग रहा है।

उम्र के साथ रोने में बदलाव
हमारी ज़िंदगी के पहले वर्षों में, हम अपनी खुद की दोस्ती से जुड़े दोस्त बनते हैं। जैसे अगर सपने में कुछ बेचैनी हुई या मक्खी ने भूख के समय काट लिया आदि। लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है और हम अधिकतर सामाजिक और भावनाओं से जुड़ते हैं, रोने में बदलाव लगता है। तब हमें चोट लगती है या कटने के दौरान जो दर्द होता है या भावना में जो दुख होता है, उस समय हम कम जोर से चिल्लाते हैं तो दर्द बहुत कम ही होता है। बड़े होने पर रोने का सबसे सामान्य कारण तब होता है जब बचपन में हमारे घर की याद आती है या टीनएज़ में हमारा दिल टूट जाता है या किसी भी उम्र में किसी की मृत्यु हो जाती है। यदि हमारे लिए कोई विशेष महत्व का है तो हम अभिलेखों की सूची पर भी विचार करते हैं। ये सहानुभूति पूर्ण फूल इसलिए हो सकते हैं क्योंकि हम खुद को दस्तावेजों की स्थिति में महसूस करते हैं। वैज्ञानिक इसे लेकर अध्ययन कर रहे हैं। वे कुछ लोगों को दुखांत फिल्म दिखा रहे हैं और उस समय जो फ्लॉप हुए हैं उनका स्कैनिंग के माध्यम से विश्लेषण करते हैं। हालाँकि रोने का सबसे आम कारण है विश्वासपात्र के रूप में दुखी होना। इन सबके बीच एक और बड़ी वजह है ‘समुद्र या खुद को निराश करना’। यह मोरक्को का अहसास लगातार टूटने और आंसुओं के साथ आता है। साथ ही कुछ लोग जब वायरस रूप से नापसंद महसूस करते हैं, तो वह खुशी महसूस करते हैं, चिंता या चौंकने से हो जाते हैं, तब उन पर गुस्सा फूट पड़ता है।

क्यों कुछ लोग अधिकतर आँकड़े हैं
इन शोधों से पता चला है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा रोटी खाती हैं। तर्कशास्त्रियों का कहना है कि यह मुख्य रूप से सामाजिक दबाव और भाषाई सिद्धांतों से जुड़ा हो सकता है। कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. जोनाथन रॉटेनबर्ग का कहना है कि जब बच्चा पैदा होता है तो शुरुआत में वह बेकार लड़का या लड़की एक ही तरह से रोता है लेकिन बड़े होने पर लड़कियों की आंखें तुरंत ही निकल जाती हैं। संभवतः समाजशास्त्रियों को सबसे कठोर होना चाहिए। लड़के सामाजिक दबाव के कारण अपने कंधों को दबाना सीख जाते हैं। हार्मोन की भी अहम भूमि है। वैज्ञानिकों में एस्ट्रोजन हार्मोन हार्मोन का स्तर बढ़ता है जो कि दांतों को दबाता है, जबकि लड़कियों में एस्ट्रोजेन हार्मोन के फूलों को और अधिक बढ़ाया जाता है। हालाँकि इस पर और रिसर्च की आवश्यकता है।

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