अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन पकवाड़ा” वैशाली के इस्लामपुर Gorul स्कूल के प्रांगण में मनाया गया।
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार ।
वैशाली, : महिला एवं बाल विकास निगम बिहार और जिला प्रशासन वैशाली के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन पखवाड़ा का आयोजन वैशाली जिले के इस्लामपुर के गोरौल स्कूल प्रांगण में किया गया। इस पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के प्रति हिंसा के सभी रूपों को समाप्त करने और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने हेतु जागरूकता फैलाना था।
कार्यक्रम में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की व्यापक परिभाषा पर प्रकाश डाला गया। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को लिंग आधारित हिंसा के रूप में परिभाषित किया गया, जिसमें शारीरिक, यौनिक, मानसिक और भावनात्मक क्षति या पीड़ा शामिल है, या होने की संभावना है। इसमें किसी भी तरह की धमकी, जबरदस्ती, या मनमाने ढंग से स्वतंत्रता से वंचित करना शामिल है, चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी जीवन में।
कार्यक्रम में जीविका दीदी समूहों के माध्यम से बाल विवाह रोकथाम पर विशेष जोर दिया गया। जिला परियोजना प्रबंधक, जुलेखा हसमत ने बाल विवाह के विरुद्ध शपथ दिलाकर प्रतिभागियों को जागरूक किया और इसके दुष्परिणामों से अवगत कराया। उन्होंने बाल विवाह को रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया और समुदाय की भागीदारी को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक, श्रीमती प्रियंका कुमारी ने महिला सशक्तिकरण के संबंध में वन स्टॉप सेंटर द्वारा किये जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने, उन्हें सहायता प्रदान करने और हिंसा के शिकार महिलाओं को सुरक्षित आश्रय प्रदान करने की केंद्र की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में महिलाओं के बीच कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस प्रतियोगिता में जीविका समूह की दीदियों, जीविका अधिकार के समन्वयक दीदियों, सक्षम दीदियों और स्कूल की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह प्रतियोगिता महिलाओं के बीच टीम भावना और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने का एक माध्यम बन गया। यह कार्यक्रम महिलाओं को खेलों के माध्यम से सक्रिय रूप से भाग लेने और अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर भी प्रदान करता है।
C-3 क्षेत्रीय प्रबंधक, प्राची प्रिया ने बालिकाओं और बालकों के बीच लिंग समानता पर प्रकाश डाला। उन्होंने लिंग भेदभाव के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और समावेशी समाज के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि लिंग समानता एक मौलिक मानवाधिकार है और समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों की समान भागीदारी आवश्यक है।
कार्तिक कुमार ने प्रतियोगिता आयोजन में सहयोग प्रदान किया। उनके योगदान को कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण माना गया।
यह कार्यक्रम महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। यह न केवल जागरूकता फैलाने में सफल रहा, बल्कि महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का भी प्रयास किया गया। इस तरह के कार्यक्रमों को आगे भी आयोजित करने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं के प्रति हिंसा को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके और एक समावेशी और न्यायसंगत समाज का निर्माण हो सके। इस कार्यक्रम ने दिखाया कि समुदाय की भागीदारी और सरकारी पहलों के संयुक्त प्रयास से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है। यह एक सराहनीय पहल थी जिसने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक मजबूत संदेश दिया।