अररिया जिले में पंचायत भवन निर्माण पर उठ रहे विवाद: चंदा देवी ने लगाई न्याय की गुहार

मंटू राय संवाददाता अररिया

### अररिया जिले में पंचायत भवन निर्माण पर उठ रहे विवाद: चंदा देवी ने लगाई न्याय की गुहार

**अररिया, बिहार**: अररिया जिले के हरियाबड़ा के वार्ड नंबर 12 की निवासी चंदा देवी ने जिला पदाधिकारी को एक आवेदन देते हुए पंचायत भवन के निर्माण कार्य को निष्क्रिय करने की मांग की है। चंदा देवी का यह आवेदन इस बात का प्रतीक है कि आम जनता के हितों की सुरक्षा के लिए कानूनी तंत्र का सहारा लेना कितना महत्वपूर्ण है।

चंदा देवी ने बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से इस क्षेत्र में निवास कर रही हैं और अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए कठिनाई भरे संघर्षों का सामना कर रही हैं। स्थानीय मुखिया द्वारा पंचायत भवन का निर्माण जबरन करने के प्रयास के संबंध में चंदा देवी ने स्पष्ट किया कि यदि यह भवन बना तो उनकी जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

चंदा देवी, जिनका संबंध महादलित समुदाय से है, ने आगे कहा कि उनके परिवार की भूमि का बंटवारा तीन भाइयों (सूर्य नारायण पासवान, श्रवण पासवान, पंकज पासवान) के बीच हुआ है। यह बंटवारा स्वर्गीय मदन पासवान और स्वर्गीय गोविंद पासवान की विरासत पर आधारित है। उनके पास की भूमि मौजा हड़ियाबारा स्थित है, जहां स्पष्ट रूप से पंचायत भवन के निर्माण के लिए कोई वैध आधार नहीं है।

चंदा देवी ने यह भी कहा कि “हमारी भूमि पर पंचायत भवन का निर्माण एक अवैध और गैरकानूनी कार्य है।” उन्होंने जिले के अंचलाधिकारी को भी आवेदन देकर इस मुद्दे की गंभीरता जताई है।

इस मामले में ग्रामीण महिलाएं जैसे मंजू देवी, सुनीता देवी, गुंजन देवी, राधा देवी, नसमा खातून, सीमा देवी और चांदनी खातून भी आगे आई हैं। सभी महिलाओं ने एक स्वर में मुखिया के खिलाफ आवाज उठाई है और कहा है कि अगर पंचायत भवन का निर्माण होता है तो उन्हें अपने घरों से बाहर निकलना पड़ेगा।

ग्रामीणों का यह मानना है कि पंचायत भवन का निर्माण केवल उनके अधिकारों का हनन नहीं बल्कि उनके जीवन की रोजमर्रा की गतिविधियों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा। वे सभी जिला प्रशासन से निवेदन कर रहे हैं कि पंचायत भवन के निर्माण कार्य को तत्काल रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

इस पूरे मामले में स्थानीय प्रशासन और मुखिया के बीच क्या संज्ञान लिया जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या चंदा देवी और अन्य ग्रामीण विकास के नाम पर उनके अधिकारों का हनन होने से रोक पाने में सफल होंगे? यह प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है, लेकिन उनकी आवाज़ उठाना एक सकारात्मक पहलू है।

इस मामले ने स्थानीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है और यह स्पष्ट है कि हरियाबड़ा जितनी खूबसूरत है, उतनी ही जटिलताएं भी यहाँ विद्यमान हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा और स्थानीय लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा।

जिला पदाधिकारी अररिया के समक्ष प्रस्तुत चंदा देवी की गुहार इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय समुदायों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की आवश्यकता है, और यह जरूरी है कि उनकी आवाज सुनी जाए।

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