खबर फिली – कहानी Kanguva के उस योद्धा की, जिससे टक्कर लेकर बॉबी देओल बन जाएंगे पैन इंडिया विलेन – #iNA @INA

Kanguva एक पैन इंडिया फिल्म है. फिल्म में बॉबी देओल विलेन के रोल में हैं. इससे उन्हें काफी उम्मीदें हैं. फिल्म में उन्हें तमिल सुपरस्टार सूर्या से टक्कर लेनी है. इस फिल्म की कहानी दो कालखंडों में बंटी हुई है. एक में सूर्या मॉडर्न अवतार में हैं और दूसरे में वो 700 साल पहले घटी कहानी के राजा बने हैं.

कुछ समय पहले ये खबर आई थी कि फिल्म वेल परी नाम के राजा पर बेस्ड है. हालांकि मेकर्स ने इस पर किसी तरह की कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं दी है. लेकिन उन्होंने इसे नकारा भी नहीं है.

‘कंगूवा’ में सूर्या बने हैं राजा वेल परी?

दरअसल ‘वेल परी’ एक तमिल नॉवेल भी है. इसी में एक राजा का नाम वेल परी है. कुछ दिन पहले डायरेक्टर एस. शंकर ने कहा था कि ‘वेल परी’ के राइट्स उनके पास हैं, इस पर कोई और फिल्म नहीं बना सकता. उस वक्त ‘देवरा’ पर ये आरोप लगा था कि ये फिल्म ‘वेल परी’ पर बेस्ड है. लेकिन फिल्म आई और बात खत्म हो गई. पर ‘कंगूवा’ को लेकर ऐसा ही कहा जा रहा है कि कहानी ‘वेल परी’ नॉवेल से भले न उठाई गई हो, लेकिन सूर्या का किरदार वेल परी नाम के राजा पर ही लूजली बेस्ड है. खैर जो भी हो, आइए बताते हैं कि क्या है राजा वेल परी की कहानी?

कौन थे वेल परी?

आज से सैकड़ों साल पहले एक जगह थी तमिलाकाम. ये तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के सदर्न पार्ट को मिलाकर बनी थी. तमिलाकाम में परांबूनाडु नाम का एक राज्य था. यहां वेलीर वंश राज्य करता था. इसी वंश के एक राजा हुए वेल परी. वेल परी के मित्र थे कपिलार. वो कवि थे. उन्होंने वेल परी के जीवन पर आधारित एक काव्य लिखा. ये तमिल महाकाव्य ‘पुराणानुरू’ का हिस्सा है. इसमें उन्होंने वेल परी के जीवन की कहानियों का उल्लेख किया है. दरअसल ‘पुराणानुरू’ में 400 ओजपूर्ण गीत हैं. इन्हें 157 कवियों ने लिखा है. इसमें तमिल राज्य के 48 राजाओं का जिक्र है. इन्हीं में से ही एक राजा हैं वेल परी.

चोल, चेर और पंड्या साम्राज्य के सामने नहीं टेके घुटने

कहते हैं कि वेल परी बहुत उदार थे. उन्होंने रथ पर जाते हुए एक बार एक बेल का पौधा देखा, जो बढ़ नहीं रहा था. उन्होंने उस पौधे को सहारा देने के लिए अपना रथ वहीं छोड़ दिया. उदार होने के साथ वेल परी बड़े योद्धा भी थे. तमिलाकाम में उस समय चोल, चेर और पंड्या वंश का शासन था. इन्हीं से अलग वेलीर वंश परांबूनाडु में अपना स्वतंत्र शासन करता था. इस राज्य में करीब 300 गांव आते थे. आराम से उनका राज्य चल रहा था.

कहा जाता है फिर चोल, चेर और पंड्या वंश में साम्राज्य विस्तार की होड़ लगी. इन तीनों ने तमिलाकाम में मारकाट मचानी शुरू की. जो राजा इनके सामने समर्पण नहीं करता, उसे मार दिया जाता. वेल परी का राज्य भी इनके निशाने पर आया. तीनों परांबूनाडु को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहते थे. लेकिन वेल परी नहीं माने. उन्होंने तीनों राजाओं के पास अपना दूत भेजा. बात बनी नहीं. इसके बाद घमासान युद्ध हुआ. इस युद्ध में वेल परी बहुत वीरता से लड़े. उनका नाम तमिल इतिहास में सदा के लिए अमर हो गया.


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News