खबर फिली – कितना भी बड़ा फिल्ममेकर हो जाऊं, सरकार के सामने झुकना ही पड़ता है…राज कपूर ने क्यों कही थी ये बात? – #iNA @INA

राज कपूर इंडियन सिनेमा के पितामह हैं. उन्होंने 24 साल की ही उम्र में आरके स्टूडियो बना दिया था. आगे चलकर वो भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक बन गए. उनकी रूस में अच्छी-खासी फैन फॉलोइंग थी. इंटेरनेशनल लेवल पर उन्होंने कई बार भारत को रिप्रेजेंट किया. कई लोग उनके बारे में कहते थे कि सरकार से उनकी अच्छी बनती है.

उन्होंने एक बार कहा था कि आप भले ही कितने बड़े और इन्फ्लुएंशियल पर्सनैलिटी हों, आपको सरकार के सामने तो झुकना ही पड़ता है. ऐसा उन्होंने एक्टर कबीर बेदी से कहा था.

“सेंसरशिप किसी भी फिल्म को बर्बाद कर सकती है”

बॉलीवुड हंगामा से बात करते हुए कबीर बेदी ने अपनी और राज कपूर की बातचीत का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “राज कपूर ने एक बार उन्हें बताया था कि कबीर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कितना भी बड़ा फिल्ममेकर हो जाऊं, मुझे सरकार के सामने झुकना ही पड़ता है, क्योंकि सेंसरशिप ऐसी चीज है, जो किसी भी फिल्म को बर्बाद कर सकती है. और अगर कोई भी फिल्ममेकर चाहता है कि उसकी फिल्में बर्बाद न हों, तो उन्हें ऐसी फिल्में बनानी पड़ेंगी, जो सरकार को पसंद आएं.”

दरअसल राज कपूर ने 50 के दशक में जो फिल्में बनाईं(श्री 420, आवारा), वो कई बार सरकार के निशाने पर भी रहीं. क्योंकि उनमें बेरोजगारी और अशिक्षा पर बात होती थी. चूंकि उस समय भारत को तुरंत आजादी मिली थी, इसलिए ऐसी फिल्मों की जरूरत भी थी. बाद के समय में राज ने समाज की अन्य समस्याओं पर फोकस किया, जो सीधे तौर पर सरकार की आलोचक नहीं थीं.

सरकार की आलोचना वाली फिल्में बननी चाहिए!

हालांकि कबीर का कहना है कि राज कपूर कभी ये नहीं कहते थे कि आप सरकार की आलोचना करने वाली फिल्में न बनाएं. कबीर बताते हैं, “राज ने कहा था, इस बात से उनका ये मतलब नहीं है कि फिल्ममेकर्स को सरकार को पसंद न आने वाली फिल्में नहीं बनानी चाहिए, ये सबका अधिकार है, और उन्हें एक डेमोक्रेसी में ये करना भी चाहिए. लोगों के पास खुलकर बोलने का अधिकार है.”


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