खबर फिली – क्यों आज भी खाली पड़ा है राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘भूत’ वाला फ्लैट? – #iNA @INA

हॉरर एक ऐसा जॉनर है जिसको पसंद तो बहुत सारे लोग करते हैं लेकिन देखने की हिम्मत बहुत कम लोगों में होती है. हॉरर फिल्में और भारत ये एक ऐसा कॉम्बिनेशन है जिसको साथ में बोलने में लोग जरा हिचकिचाते हैं. हमारे देश में हर साल कई फिल्में बनती हैं और हिट-फ्लॉप के पैमाने पर मापी जाती हैं, लेकिन हॉरर के साथ मामला जरा अलग है. इंडिया के हिंदी बेल्ट वालों को इस बात को लेकर निर्देशकों से बहुत शिकायत रहती है कि हॉरर जॉनर में ऐसी फिल्में कम बनाई जाती हैं जो वाकई में लोगों को वो चिलिंग एक्पीरियंस दे सकें. हालांकि कुछ ऐसी फिल्में बनी हैं जो लोगों की उम्मीदों पर खड़ी उतरीं. इन्हीं में से एक फिल्म है राम गोपाल वर्मा की साल 2003 में आई ‘भूत’.

‘भूत’ राम गोपाल वर्मा की एक ऐसी फिल्म थी जिसने रामसे ब्रदर्स के हॉरर युनिवर्स को लोगों की नजर में पूरी तरह से बदल कर रख दिया और उन्हें एक ऐसी कहानी दिखाई जिसने उनका हॉरर देखने का तरीका ही बदल दिया. 30 मई 2003 को जब ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई तो फिल्म का पहला सीन आने से पहले एक चेतावनी स्क्रीन पर आई. इसमें लिखा था ‘गर्भवती महिलाओं और दिल से कमज़ोर लोगों को चेतावनी देता हूं कि अपने रिस्क पर ये फिल्म देखें’.

ये सिर्फ इसलिए नहीं थी क्योंकि ये एक हॉरर फिल्म थी, बल्कि इसलिए भी थी क्योंकि इस फिल्म को जिस तरह से बनाया गया था वो पहले इंडियन सिनेमा में नहीं हुआ था. फिल्म के कलर पैलेट से लेकर एक्टिंग और लगभग सभी तरह के डिपार्टमेंट में अलग थी. ना कोई गाना
और ना ही कोई ग्लैमर, बल्कि पहले ही सीन से सीधा कहानी. फिल्म को डरावना बनाया ही गया था और उसे और डरावना बनाया उसके म्यूजिक और एक्टर्स की एक्टिंग ने.

हॉरर फिल्म सुनकर नहीं मिलती थी लोकेशन

इस फिल्म को एक फ्लैट में शूट किया गया था. इस फ्लैट की कहानी भी काफी अलग थी. पहले राम गोपाल वर्मा इस फिल्म को थोड़े अलग तरीके से बनाना चाहते थे, लेकिन ऐसा फिर उनको समझ आया कि लोगों को अलग फिल्म दिखाने के लिए कहानी भी अलग ही होनी चाहिए इसलिए फिल्म को शूट करने के लिए एक फ्लैट ढूंढा जाने लगा, लेकिन हर फ्लैट वाला फिल्म का हॉरर जॉनर जानकर शूट के लिए मना कर देता. ऐसा करते-करते लगभग 9 फ्लैट के ओनर ने मना कर दिया.

क्या फिल्म देखकर हो गई किसी की मौत?

इसके बाद RGV की टीम दसवें फ्लैट ऑनर के पास पहुंची. आखिरकार वह मान गया और शूट की पर्मिशन दे दी. फिल्म रिलीज़ होने के बाद दिल्ली से खबर आई कि भूत की स्क्रीनिंग के बाद एक आदमी का शव सिनेमाघर में मिला है. पुलिस ने अपनी जांच में बताया कि 50 साल के शख्स के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे. हालांकि ये भी साबित नहीं हो सका कि उनकी मौत का फिल्म से कोई वास्ता था या नहीं. लेकिन फिल्म की मार्केटिंग के लिए ये एक बड़ी खबर बन गई जिसने लोगों को इस फिल्म को देखने के लिए और मजबूर किया. आज भी भूत को इस दुर्घटना से याद किया जाता है.

बिल्डिंग ऑनर को झेलना पड़ा तगड़ा नुकसान

फिल्म तो हिट हो गई लेकिन फ्लैट वाले को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा. फिल्म की शूट के बाद किसी ने भी उस फ्लैट को दोबारा खरीदा नहीं. कोई हिम्मत ही नहीं कर पाया उस फ्लैट में रहने की. हालत ये हुई कि आज भी वह फ्लैट खाली पड़ा है. बिल्डर ने फिल्म की टीम से कहा कि तुम लोगों ने मुझे बर्बाद कर दिया. आज भी भूत को हिंदी सिनेमा की सबसे भूतहा फिल्मों में से एक माना जाता है. ये एक ऐसी फिल्म है कि आप अगर आज भी इसे देखेंगे तो डर जाएंगे. हैरानी की बात तो ये है कि इस फिल्म के बाद बहुत सी फिल्में आईं लेकिन भूत एक ही बनी और फिर हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्मों की लिस्ट में एक कहानी बनकर दर्ज हो गई.


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