खबर फिली – पहले हॉलीवुड और अब साउथ कंटेंट को कॉपी करता है बॉलीवुड…ये क्या बोल गए ‘कल हो न हो’ के निर्देशक – #iNA @INA

सोनी लिव की वेब सीरीज ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ की कहानी तो हमारे देश की ही है. लेकिन इस कहानी को जिन्होंने लिखा था वे दोनों ब्रिटिश राइटर थे. इन दो फॉरेन राइटर की किताब पर निखिल आडवाणी की टीम ने काम किया और इस पर इंडियन ऑडियंस के लिए एक वेब सीरीज बनाई. एक फॉरेन किताब को, एक फॉरेन नजरिये को इंडियन ऑडियंस के सामने पेश करने से पहले उस पर क्या काम किया जाता है ये सवाल पूछे जाने पर ‘कल हो न हो’ फेम निर्देशक निखिल आडवाणी ने बॉलीवुड के कंटेंट को लेकर बड़ा ही दिलचस्प जवाब दिया.

निखिल आडवाणी ने कहा कि पूरा बॉलीवुड तो फॉरेन कंटेंट को कॉपी करता है. पूरा बॉलीवुड ही इस बेस पर बना है कि हमने वेस्ट का कंटेंट कॉपी किया है. पहले हॉलीवुड और अब साउथ. लेकिन मैं आपकी बातों से सहमत हूं. मैं बिल्कुल भी इस सवाल का मजाक नहीं उड़ा रहा हूं. जब हमने बुक पढ़ा तब हम जानते थे कि उस वक्त माउंटबेटन थे, जो हमारे आखिरी वायसराय थे. उन्हें लैरी कॉलिन्स और डॉमिनिक लैपिएरे का काम बहुत पसंद था. उन्होंने उनकी ‘इज पेरिस बर्निंग?’ पढ़ी थी और फिर उनसे कहा था कि मैं आपको मेरी जर्नल, मेरे रिकार्ड्स, नोट्स, मेरे खत जो मैंने नेहरू को लिखे थे, या गांधी को लिखे थे, वो सब कुछ दे देता हूं, हमारी मीटिंग की रिकार्ड्स का भी एक्सेस दे देता हूं. आप सिर्फ किताब लिखें कि कैसे ये इतना बड़ा सत्ता का बदल हुआ, कैसे मैंने एक अच्छा काम किया.

निखिल आडवाणी का क्या कहना है?

निखिल ने बताया कि जब हमने ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ पर वेब सीरीज बनाने का फैसला किया तब मैं, हमारे राइटर, दानिश (सोनी टीवी के हेड) हम सबने तय किया था कि ये कहानी बनाने का तरीका हमें बदलना होगा. लेकिन इस किताब में कई महत्वपूर्ण बातें हैं. 16 अगस्त 1946 से लेकर 30 जनवरी 1948 तक जो इवेंट्स हुए हैं, जिनकी वजह से हमें स्वतंत्रता मिली, जिनकी वजह से हमारे देश के दो टुकड़े हुए. आज सालों बाद भी हम जिसके बारे में बात करते हैं और हमें आगे भी इसके बारे में बातचीत करनी चाहिए. क्योंकि हमें हमारा इतिहास कभी भी नहीं भूलना चाहिए. हमने इस किताब के रेफरेन्स का इस्तेमाल किया है, जिनके जरिए मैं ऑडियंस को उन कमरों में लेकर जाना चाहता था, जहां ये लोग बैठकर आपस में बातें कर रहे हैं.

बंटवारे के खिलाफ थे गांधी

आगे निखिल बोले कि आपको इस सीरीज में ये देखने मिलता है कि ये आपस में बातचीत कर रहे हैं कि अभी हम आगे क्या करें. डायरेक्ट एक्शन लेने से पंजाब, कोलकाता के लोग पागल हो गए थे, एक दूसरे को लोग मार रहे थे. लाहौर जल रहा था. रावलपिंडी में क़त्ल हो रहे थे. पूरे देश में तबाही मची हुई थी और इन लोगों को ये लग रहा था कि अगर हम मोहम्मद अली जिन्ना को उन्हें जो चाहिए वो दे देते हैं, तो ये हिंसा रुक जाएगी. सरदार पटेल इस बात को लेकर बहुत आश्वस्त थे, नेहरू को इस बात को लेकर मनाना पड़ा था. गांधी इस बात के लिए कभी राजी ही नहीं थे. क्योंकि उनका मानना था कि बंटवारे से और भी तबाही होगी. ये सारी बातें हम आपको सीरीज में बता रहे हैं.


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