खबर फिली – सड़कों पर पटाखे बीनने वाला ये लड़का आज है बॉलीवुड का बड़ा सितारा… बस स्टॉप पर मिला था पहला ब्रेक – #iNA @INA

हिंदी सिनेमा में कई एक्टर्स आते और जाते हैं. इस इंडस्ट्री के बारे में ये कहा ही जाता है कि यहां हर किसी का सिक्का नहीं चलता, लेकिन जिसका चलता है… वो छा जाता है. मगर, इस भीड़ में कई ऐसे भी चेहरे हैं जिनकी एक अलग ही पहचान है. उनको उनकी फिल्मों से ज्यादा उनके अलग अंदाज और शानदार पर्सनालिटी के लिए जाना जाता है. ऐसे कई नाम है जैसे- गोविंदा, कादर खान, सुनील शेट्टी. आज हम आपको एक ऐसे ही एक्टर की कहानी बताने जा रहे हैं जिनको हर कोई उनकी अतरंगी पर्सनालिटी के लिए जानता है. इस एक्टर ने मुंबई के एक चॉल से निकलकर ना सिर्फ हिंदी बल्कि लगभग 14 अलग-अलग भाषाओं में काम किया और वो भी अपनी शर्तों पर. हम बात कर रहे हैं प्यार से जग्गू दादा कहलाए जाने वाले एक्टर जैकी श्रॉफ की.

जैकी को उनकी फिल्मों से कहीं ज्यादा उनकी बातों और अतरंगी स्टाइल के लिए जाना जाता है. किसी जमाने में जैकी, मोस्ट हैंडसम मैन की कैटेगरी में भी आया करते थे. जैकी ने काफी सालों से कोई बड़ी हिट मूवी नहीं दी जिसमें उन्हें किसी लीड एक्टर के तौर पर देखा गया हो, लेकिन फिर भी जग्गू दादा अपने कभी ना हार मानने वाली हिम्मत के बल पर आज भी फिल्में कर रहे हैं और इंडस्ट्री में रेलिवेंट हैं. जैकी, जल्द ही वरुण धवन की मच अवेटिड फिल्म बेबी जॉन में नजर आने वाले हैं, ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि मुंबई की एक चॉल में रहकर काम करने वाले जग्गू दादा ने जैकी श्रॉफ बनने तक का सफर कैसे तय किया?

जड़ों को कभी नहीं भूलते जैकी दादा

आज जैकी श्रॉफ भले ही बॉलीवुड के बड़े स्टार्स में शुमार किए जाते हों, लेकिन वो अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलते. जैकी को करीब से जानने वाले लोगों का कहना है कि जैकी एक बड़ी अजीब आदत है कि वो ‘ना’ नहीं बोल पाते. जैकी कभी थिएटर के बाहर मूंगफली बेचा करते थे. कभी फिल्मों के पोस्टर भी चिपकाते थे. सड़कों पर दिवाली में फोड़े गए पटाखों को बीनकर, वो अगले दिन अपने दोस्तों के साथ फोड़ते थे, इस बात का जिक्र खुद जग्गू दादा ने एक इंटरव्यू में किया था.

जैकी का पूरा नाम जयकिशन श्रॉफ था. जैकी अपने माता-पिता और बड़े भाई के साथ, तीन बत्ती के चॉल में रहते थे. जैकी या तब के जयकिशन के पिता का नाम काकूभाई श्रॉफ था, जोकि एक ज्योतिषी भी थे. वहीं मां रीटा, कजाकिस्तान की रहने वाली थीं. कहा जाता है कि जैकी की मां कई साल पहले तब कजाकिस्तान से भागकर लाहौर आ गई थीं, जब वहां तख्तापलट हुआ. जैकी का परिवार काफी आर्थिक तंगी का शिकार था. उनका घर उनके पिता की ज्योतिष विद्या से ही चलता था. जैकी के एक बड़े भाई भी थे जिनका 17 साल की उम्र में निधन हो गया था.

भाई की मौत ने बदल दी जिंदगी

जैकी की लाइफ में एक बहुत बड़ा मोटिवेशन उनके भाई हेमंत थे. एक इंटरव्यू में बातचीत के दौरान जैकी ने उस हादसे के बारे में बताया था जब उनके भाई हेमंत पानी में डूब रहे थे, वो बस वहां खड़े हो गए और पैर तक नहीं पाए. जैकी के भाई की मौत के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. बेफिक्री से जीवन जीने वाले जैकी, अब एक जिम्मेदार बेटे बनना चाहते थे. परिवार की मदद के लिए वह कभी मूंगफली बेचते तो कभी कोई फिल्म रिलीज होने पर थिएटर के बाहर उसके पोस्टर चिपकाते. इस काम से उन्हें जो पैसे मिलते, उससे घर चलाने में मदद मिलती. पैसों कि किल्लत कितनी ज्यादा थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैकी श्रॉफ को 10वीं क्लास कराने के लिए मां को साड़ी और बर्तन बेचने पड़े थे.

घर को सपोर्ट करने के बाद जैकी श्रॉफ ने एक ट्रैवल एजेंसी में काम करना शुरू किया, इसी दौरान जब वो एक दिन बस स्टैंड पर खड़े थे तो किसी ने उन्हें तस्वीरें खिंचवाने के लिए कहा. साथ ही कहा कि इसके लिए उन्हें पैसे मिलेंगे. जैकी ने पैसे मिलने की बात पर हामी भर दी और फोटोशूट करवाया. बाद में पता चला कि वो फोटो एक एडवर्टाइजमेंट एजेंसी ने लिए थे, और ऐसे ही जैकी ने मॉडलिंग शुरू कर दी. इस तरह जैकी श्रॉफ की शुरुआत हुई. जैकी को जब लगा कि इस काम में ज्यादा कमाई है तो उन्होंने ट्रैवल एजेंसी में काम करना बंद कर दिया. इसी बीच उनकी दोस्ती देव आनंद के बेटे सुनील आनंद से हुई.

वो फिल्म जिससे ‘हीरो’ बन गए दादा

जैकी की लाइफ में सुनील एक बड़ा टर्न लेकर आए. सुनील ने जैकी को देवानंद से मिलवाया. जैकी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि देव साहब ने उन्हें कहा कि वो उन्हें फिल्म में एक सेकेंड लीड के तौर पर साइन करेंगे, हालांकि बाद में वो रोल मिथुन चक्रवर्ती को दे दिया गया और जैकी को एक साइड रोल ही मिला, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और काम करते रहे. उनकी किसी को मना ना करने वाली आदत की वजह से उन्हें जो फिल्म मिलती वो करते जाते. इसके बाद जैकी ने वो फिल्म की जिसने उन्हें ‘हीरो’ बना दिया.

14 भाषाओं में 220 से भी ज्यादा फिल्में

जैकी श्रॉफ को मशहूर डायरेक्टर सुभाष घई ने फिल्म ‘हीरो’ में लीड रोल में लिया. इस फिल्म ने जैकी को रातोंरात सबकुछ दे दिया. नेम-फेम पैसा… जैकी के पास सबकुछ आ गया. उसके बाद से जैकी श्रॉफ ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अपने चार दशक से भी लंबे करियर में जैकी श्रॉफ ने लगभग 14 भाषाओं में 220 से भी ज्यादा फिल्में कीं और आज भी कर रहे हैं. जैकी को जानने वाले बताते हैं कि फिल्में मिलने और एकल जाना पहचाना नाम होने के बाद भी जैकी उसी चॉल में काफी साल रहे और बड़े-बड़े डायरेक्टर उन्हें नैरेट करने के लिए वहीं आया करते थे.


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