खबर मध्यप्रदेश – कैसे होगी वसूली? ऊर्जा मंत्री के जिले में ही 1250 करोड़ बिजली बिल बकाया, विभाग ने खड़े कर दिए हाथ! – INA

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बकाया बिजली बिल वसूल करने के लिए बिजली विभाग अलग-अलग पैंतरे अपना रहा है. पहले बकाया बिजली बिल जमा नहीं करने पर बंदूक लाइसेंस निरस्त करने का आदेश दिया गया था और अब बकाया बिजली बिल वसूलने के लिए बिजली विभाग बैंकों की तरह ही बकाया बिजली बिल वसूलने की तैयारी में है, जिसका जिम्मा जिला प्रशासन को सौंप दिया गया है. अब बिजली विभाग कनेक्शन काटेगा और इन बड़े बकायादारों से तहसीलदार बिल की वसूली कराएंगे.
ग्वालियर शहर के बिजली बिल बकायेदारों से बाकी राशि वसूल करने के लिए बिजली विभाग अब नया पैंतरा अपनाने जा रहा है. बिजली विभाग अब एक लाख रुपए से ज्यादा के बिजली बिल वाले बड़े बकायादारों के कनेक्शन काटेगा. इसके बाद इन उपभोक्ताओं से बिल वसूलने का काम जिला प्रशासन के द्वारा किया जाएगा. राजस्व विभाग के तहसीलदार बड़े बकायादारों से वसूली के लिए बकायादारों की संपत्ति कुर्क कराएंगे.
उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के गृह जिले का यह हाल
इस तरह के आदेश को लेकर ग्वारियर के ही रहने वाले व प्रदेश की मोहन सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि एमपी में हम सस्ती और बिजली उपलब्ध करवा रहे हैं, लिहाजा बिजली बिल भरना भी लोगों की जिम्मेदारी है. बिजली विभाग वसूली के लिए अपने प्लान तैयार करता है. बकायादारों को भी सहयोग करना चाहिए.
1250 करोड़ रुपए बिजली बिल बकाया
गौरतलब है कि ग्वालियर में उपभोक्ताओं पर 1250 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया है. वसूली के लिए बिजली विभाग ने निजी गार्डों को वसूली टीम के साथ तैनात किया थे, लेकिन ये प्लान फेल हो गया. इसके बाद बिजली विभाग ने बड़े बकायादारों को नोटिस जारी कर उनके नाम सार्वजनिक रूप से चौराहे पर बोर्ड लगाकर टांग दिए थे. इसके बाद भी बिजली बकाया राशि की वसूली नहीं हो पाई.
बिजली विभाग ने प्रशासन को सौंपा वसूली का जिम्मा
आखिर में अब बिजली बिल की वसूली बैंकों की तरह प्रशासन के जिम्मे कर दी गई. लिहाजा ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के गृह जिले ग्वालियर में बिजली विभाग को बकाया 1250 करोड़ रुपए की वसूली के लिए कड़ी मशक्कत करना पड़ रही है. उपभोक्ताओं को नोटिस और फिर उनके नाम चौराहा पर सार्वजनिक करने के बाद फायदा नहीं मिला. अब नए पैंतरे के तौर पर वसूली का जिम्मा जिला प्रशासन और तहसीलदार को दिया गया है. देखना यह है कि अब ये पैंतरा बिजली विभाग की वसूली कराने में कितना कारगर साबित होता है.
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