खबर मध्यप्रदेश – ट्रेन कैसे लेट हो गई? जबलपुर में भड़के यात्रियों ने इंजन में की तोड़फोड़, जांच में जुटी RPF – INA

मध्य प्रदेश के जबलपुर के मदन महल रेलवे स्टेशन पर उस वक्त हंगामा मच गया जब एक ट्रेन निर्धारित समय से देरी से पहुंची. ट्रेन लेट होने से भड़के यात्रियों ने इंजन की खिड़कियों में तोड़फोड़ करते हुए लोको पायलट से जमकर गाली-गलौज की. वहीं इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो 15 नवंबर 2024 का जबलपुर के मदन महल स्टेशन का बताया जा रहा है. जिसमें सुबह 9 बजे के आसपास एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि यात्रियों की भीड़ गुस्से में ट्रेन के इंजन पर पत्थरबाजी और लोको पायलट से गाली-गलौज करती नजर आ रही है. वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि गुस्साए यात्रियों ने इंजन की खिड़की में लगे कांच तोड़ दिए, जिससे वहां का माहौल तनावपूर्ण हो गया.

वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि ट्रेन के इंजन के पास बड़ी संख्या में यात्री जमा हैं और लगातार गुस्से में अपनी नाराजगी जता रहे हैं. ट्रेन की देरी से यात्री काफी परेशान थे और उनका गुस्सा हंगामे में बदल गया. इस दौरान इंजन का कांच भी टूट गया. जिससे यह स्थिति और गंभीर हो गई. पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की है और रेलवे सुरक्षा बल ने मामले की जांच शुरू कर दी है. वीडियो के वायरल होने के बाद रेलवे प्रशासन भी जांच कर रहा है.

घटना की जांच के आदेश

पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हर्षित श्रीवास्तव ने कहा कि इस घटना की पूरी जांच की जा रही है. साथ ही साइबर एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों. रेलवे प्रशासन इस बात का भी ध्यान रखेगा कि यात्रियों को अपनी यात्रा में अधिक असुविधा का सामना न करना पड़े.

वीडियो वायरल होने पर रेलवे ने क्या कहा?

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद रेलवे ने कहा कि इस तरह की घटनाएं रेलवे की इमेज को नुकसान पहुंचाती हैं. यात्रियों को भी सुरक्षित यात्रा का अधिकार है. वहीं वीडियो में दिखाई दे रहे यात्री और रेलवे के कर्मचारियों के बीच इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन ने सभी पहलुओं की जांच शुरू कर दी है. इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि ट्रेनों की देरी और अन्य असुविधाओं के कारण कभी-कभी यात्रियों का गुस्सा रेल कर्मचारियों पर भी फूट सकता है, जिसे सुलझाने के लिए रेलवे को कदम उठाने की जरूरत है.


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