खबर मध्यप्रदेश – ये टिकट नहीं खाद की लाइन, रात-रात भर जग रहे किसान; वहीं पर खा रहे खाना-पानी – INA

मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक बार फिर किसान खाद के लिए परेशान हो रहे हैं. जिले में रबी की फसल की बुआई का समय आते ही फिर से खाद की किल्लत शुरू हो गई है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक खाद विक्रय केंद्रों में किसानों की कतारें लग रही हैं. पाटन और पनागर के बाद अब सिहोरा से भी एक तस्वीर सामने आई. जिसमें सरकार की डबल लॉक गोदाम के बाहर किसानों ने अपने आधार कार्ड लाइन से लगा कर रखे हैं. सैकड़ों किसान खाद के लिए गोदाम के बाहर खड़े हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर पनागर ब्लॉक और कटंगी से सामने आई थी.

जिला प्रशासन ने किसानों को डीएपी वितरण के लिए लॉटरी का सहारा लेना शुरू कर दिया है. सरकार व प्रशासन सभी किसानों को डीएपी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. इसलिए अब किसान की लॉटरी निकाली जाएगी. लॉटरी के जरिए ही खाद दिया जाएगा. वहीं किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने सब्सिडी घटा दी है और देश में पर्याप्त मात्रा में डीएपी ना होने की वजह से यह संकट बना हुआ है.

महंगे दामों में खाद खरीद रहे किसान

गौरतलब है कि इस सप्ताह से धान की कटाई शुरू हुई है और अब गेहूं और मटर की फसल की बुआई होना है. जिसके लिए किसान खाद बीज इकट्ठा कर रहे हैं. ऐसे में किसानों को डीएपी खाद की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है और यही वो समय होता है जब किसान समय पर बुआई कर दें तो फसल अच्छी होती है. भारतीय किसान संघ का कहना है कि एक तरफ तो सरकारें किसानों से खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने का दावा करती हैं, लेकिन किसानों को जब खाद बीज की जरूरत होती है तब उन्हें कोई भी आवश्यक वस्तु नहीं मिलती. जिससे कई बार किसान की फसल खराब हो जाती है. सरकार का कहना है कि 80 प्रतिशत खाद शासकीय विक्रय केंद्रों से बेची जाती है, जबकि 20 प्रतिशत बाजार में मिलती है. वहीं हकीकत इसके विपरीत है, किसानों को मिलने वाली डीएपी की 80 प्रतिशत मात्रा में बाजार में मिल रही है. वह भी जो खाद 1350 की मिलनी चाहिए उसको किसान 1800 से दो हजार रुपए तक की कीमत में खरीदने को मजबूर हैं.

महिला किसान रुक्मणी पटेल का कहना है कि खाद न मिलने से जो फसल लगाई है वो बर्बाद हो रही है. साथ ही नकली खाद बाजारों में मिल रही है जिससे उनकी फसल के साथ-साथ बीज भी बर्बाद हो रहा है, जिसको लेकर सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए.

आंदोलन की कही बात

भारतीय किसान संघ के प्रचार प्रमुख राघवेंद्र पटेल ने कहा कि किसान 4 बजे रात से लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करता है लेकिन इसके बावजूद भी दो-दो दिन तक किसानों को खाद नहीं मिल रही है. खाद की कालाबाजारी जमकर हो रही है. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो किसान संगठन सड़क पर आंदोलन करेंगे.

खाद की समस्या को लेकर डीडीए एग्रीकल्चर एसके निगम का कहना है कि उर्वरक की कमी नहीं है, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. इस समय किसानों को डीएपी की आवश्यकता है लेकिन उसके स्थान पर एनपीके खाद उपलब्ध हैं. जिसके लिए प्रशासन एवं मुख्यमंत्री के द्वारा यही कहां जा रहा है कि एनपीके खाद बहुत अच्छी है. किसान इसका उपयोग करें, लेकिन किसानों का मानना है कि डीएपी ही अच्छी खाद है. जिले में 3000 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है.

जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने जबलपुर में कृषि विभाग के अधिकारियों और खाद विक्रेताओं से मीटिंग की. इसमें डीएपी के वितरण को लेकर एक अनोखी व्यवस्था बनाई गई है, जिसमें किसानों को लॉटरी के जरिए डीएपी दिया जाएगा.


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