खबर मध्यप्रदेश – शस्त्र पूजा का महत्व आज पहले से ज्यादा… CM मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को विजयादशमी की दी बधाई – INA

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को विजयादशमी की बधाई दी और अहिल्या देवी की 300वीं जयंती दशहरा पर्व को समर्पित किया है. उन्होंने कहा कि युगों युगों से दशहरे का पावन पर्व हम सबको हमारी सनातन संस्कृति से जोड़ता है. देश का सनातन धर्म का पूरा समाज आज शस्त्र पूजन करके दशहरा पर्व मना रहा है. इसी के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर आज शस्त्र पूजा भी की.

मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि कई कारणों से आज शस्त्र पूजा का महत्व पहले से कहीं ज्यादा हो गया है. उन्होंने कहा कि आज खास करके हमारी राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी का भी जन्मोत्सव है. मैं उनको भी नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, उनके योगदान का स्मरण करता हूं.

Mohan Yadav Shastra Puja

राजमाता भाजपा के लिए थीं विशेष

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंघ के जमाने से लेकर आज तक राजमाता जी भाजपा के लिए विशेष स्थान रखती हैं. उनका स्वभाव मातृ स्वरूपा था. उन्हें किसी पद की लालसा नहीं थी. पार्टी को खड़ा करने में उन्होंने जो अपना योगदान दिया वो भाजपा और भाजपा वालों के मन में विशेष आदर का स्थान रखता है.

अहिल्या माता को भी किया स्मरण

इसी के साथ उन्होंने कहा कि आज के दिन अहिल्या माता को भी स्मरण करना चाहूंगा, जिनकी 300 वीं जयंती चल रही है. आज इस अवसर पर हमने पूरे प्रदेश में दशहरा उत्सव उनके नाम पर मनाने का निर्णय किया है.

उन्होंने कहा कि जिनके शासन में जनता की सेवा के साथ-साथ, सशस्त्र बल में भी संबल मिला. उनके शासन में राज्य पर कभी आक्रमण नहीं हुआ. उन्होंने सदैव अपने राज्य के साथ-साथ पूरे अखंड भारत की कल्पना करते हुए सभी प्रकार के सुशासन के सूत्र हाथ में लेकर शासन चलाया. ऐसी पुण्य अहिल्या माता के लिए भी आज हमने ये दशहरा उनको समर्पित किया है.

Mohan Yadav Puja

विजयादशमी पर शस्त्र पूजा

मोहन यादव ने आज के दिन मुख्यमंत्री आवास में शस्त्र पूजन भी किया. विजयादशमी अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक है. इस दिन शस्त्र पूजन का विधान है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पारंपरिक वस्त्र धोती कुर्ता धारण कर वैदिक विधि से शक्ति स्वरूपा मां काली की पूजा-अर्चना की.

इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विजयादशमी पर शस्त्र पूजन का अपना सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है.यह हिंदू सनातन परंपरा से संबद्ध है. यह व्यक्ति को उसके कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और अधर्म के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है.


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