खबर शहर , उपलब्धि: बीएचयू में सेरोगेट गाय ने दिया साहिवाल नस्ल की बछिया को जन्म, पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण – INA

बीएचयू के पशु वैज्ञानिकों को पहली बार भ्रूण प्रत्यारोपण में सफलता मिली है। सेरोगेट गाय ने साहिवाल प्रजाति की बछिया को जन्म दिया। बछिया का वजन 19.5 किलोग्राम है। गाय-बछिया स्वस्थ हैं। यह शोध मिर्जापुर स्थित बीएचयू के बरकछा साउथ कैंपस में हुआ था।

देसी नस्ल की गायों के संरक्षण और दूध क्षमता बढ़ाने के लिए पिछले एक साल से वैज्ञानिकों की टीम लगी थी। राष्ट्र्रीय कृषि विकास योजना के तहत पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान संकाय में डॉ. मनीष कुमार, डॉ. कौस्तुभ किशोर सराफ और डॉ. अजीत सिंह ने मिलकर शोध किया।
फरवरी में भ्रूण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले साहीवाल सांड के सीमन और भ्रूण को सफलतापूर्वक एक साथ लाया गया। इसमें कई विकासात्मक चरणों में आठ उच्च गुणवत्ता वाले भ्रूण शामिल थे, जिन्हें सेरोगेट गायों में प्रत्यारोपित किया गया। इसके बाद सेरोगेट गाय ने सफलतापूर्वक बछिया को जन्म दिया।

विंध्य क्षेत्र के दूध उत्पादकों को मिलेगी मदद


डॉ. मनीष कुमार ने कहा कि ये तकनीक साहिवाल के साथ ही गंगा तीरी नस्ल के गायों के संरक्षण में मददगार साबित होगी। अब उन्नत तकनीक के साथ भ्रूण प्रत्यारोपण की योजना पर काम चल रहा है। इससे सहायक प्रजनन तकनीक की प्रभावशीलता व दक्षता में और सुधार किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट से विंध्य क्षेत्र के दुग्ध उत्पादक किसानों के आर्थिक उत्थान में मदद मिलेगी। साहिवाल के साथ ही गंगा तीरी गाय के दूध उत्पादन में और सुधार, स्थिरता आएगी।

बड़ी होने पर रोजाना 12 लीटर दूध देगी बछिया
शोध का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि सामान्य तौर पर गाय जो बच्चा देती है, वो कम गुणवत्ता वाली नस्ल का होता है। लेकिन, प्रत्यारोपण के बाद जो बछिया पैदा होगी, वो बेहतर ही होगी। साहिवाल के भ्रूण से पैदा हुई है तो रोजाना 12 लीटर से ज्यादा दूध देगी। वहीं, भविष्य में कई तरह के रोगों से मुक्त होगी। एक गाय अपने जीवनकाल में 6-8 बच्चे ही दे पाती है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद बच्चों की संख्या कुछ और बढ़ सकती है। इस प्रक्रिया में एक बेहतर नस्ल की गाय का भ्रूण लेकर कई सेरोगेट गायों में एक साथ डाला जा सकता है।

सेरोगेट गाय के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं
वैज्ञानिक के मुताबिक भ्रूण प्रत्यारोपण सेरोगेट गाय के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जितना दूध पहले देती होगी, उतना ही बाद में भी देगी। ये गाय अपने पेट में बस बछिया को पाल सकती है। अभी इस प्रोजेक्ट में भ्रूण निकालने और सेरोगेट गाय में इंजेक्ट करने में खर्च होता है।


Credit By Amar Ujala

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