खबर शहर , कानपुर हादसा: संकेतक न चेतावनी बोर्ड, ट्रॉला के पहियों से हटी मिली ब्रेकिंग प्रणाली, पढ़ें अमर उजाला की पड़ताल – INA

कानपुर में एनएच-19 पर संकेतकों की कमी, एलिवेटेड रोड पर गड्ढेदार सड़क और उल्टी दिशा में दौड़ते वाहन आए दिन हादसों के कारण बन रहे हैं। इसका खुलासा अमर उजाला की पड़ताल में हुआ। सोमवार को चार सड़क हादसे में चार छात्रों की मौत के बाद अमर उजाला की टीम ने मंगलवार को जाजमऊ विश्वकर्मा द्वार से लेकर सचेंडी तक के हाईवे की पड़ताल की।

इस दौरान कई खामियां सामने आईं। विश्वकर्मा द्वारा से भौंती बाईपास के बीच करीब 27 किमी का एलिवेटेड रोड है। इस रोड पर दोनों पटरियों पर बजरी फैली पड़ी है। वहीं, भौंती बाईपास से रामादेवी के बीच एलिवेटेड हाइवे से उतरने और चढ़ने के लिए रैंप बने हुए हैं। इन रैंप पर वाहन सवार उल्टी दिशा से फर्राटा भरते हुए दिखाई दिए। जो अक्सर हादसे का सबब बन रहे हैं।


कहीं विपरीत दिशा में दौड़ रहे वाहन तो कहीं भरी जा रहीं सवारियां
ट्रैफिक विभाग के रिकार्ड के अनुसार एनएच-19 पर दो ब्लैक स्पॉट चिंहित किए गए हैं। इसमें एक भौंती बाईपास और दूसरा किसान नगर हैं। भौंती बाईपास शहर की सीमा में आता है। वहीं किसान नगर कानपुर देहात की सीमा में है। इसके बावजूद भी पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर ब्लैक स्पॉट पर न तो संकेतक लगाए गए हैं न ही कोई चेतावनी बोर्ड ही लगाया गया है। कोई पुलिस कर्मी भी वहां नहीं दिखा। स्थिति यह रही कि कोई वाहन सवार विपरीत दिशा से फर्राटा भरते दिखा तो कोई हाईवे पर ही वाहन खड़ा कर सवारियां भर रहा है। यह सब हादसों के प्रमुख कारण भी बनते हैं।


कोयला नगर से जाजमऊ की सड़कें बदहाल, सचेंडी थाने के पास भी बुरा हाल
हाईवे पर ओवर लोड वाहनों के चलते कोयला नगर से जाजमऊ तक एलिवेटेड हाईवे जगह-जगह से धंसा और ग्डढों से पटा नजर आया। इनकी चपेट में आने से अक्सर बाइक सवार गिरकर भारी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं और बड़ा हादसा हो जाता है। ऐसे ही सचेंडी थाने के सामने बन रहे ओवरब्रिज के दोनों ओर सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है। नाले की स्लैब भी करीब एक फिट ऊंची है। इससे भी वाहन सवार हादसे के शिकार हो रहे हैं।


टी और वाई जंक्शन व तीव्र मोड़ पर हो रहे हादसे
यातायात निदेशालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021, 22 व 23 में उत्तर प्रदेश में क्रमश: 37729, 41746 व 36476 हादसे हुए हैं। इनमें क्रमश: 21227, 22595 व 19290 लोगों ने अपनी जानें गंवाईं हैं। वहीं 24897, 28541 व 25618 लोग घायल हुए हैं। इनमें 70 प्रतिशत से अधिक हादसे राष्ट्रीय राज्यमार्गों व प्रांतीय राज्यमार्गेां पर पड़ने वाले करबों, संपर्क मार्गों के टी व वाई जक्शन एवं तीव्र मोड़ पर हुए हैं। ऐसे में यातायात निदेशालय ने कानपुर समेत प्रदेश के सभी पुलिस कमिश्नर, एसएसपी और एसपी को ऐसे स्थानों को चिन्हित कर आवश्यकतानुसार रोड साइनेज, रम्बल स्टि्रप व यलो ब्लिंकर लगवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन कई प्रमुख स्थानों पर ऐसे कोई इंतजाम नहीं दिखे।


कानपुर में हुए हादसों के आंकड़े

वर्ष        हादसे    मौत    घायल
2020    1321    653    868
2021    1546    740    1017
2022    1075    494    761
2023    1103    519    816
2024    721    271    417 (छह माह)


ब्रेकिंग सिस्टम भी मिला कमजोर
भौंती हाईवे से पहले एलिवेटेड रोड पर सोमवार को भीषण हादसा वाहनों द्वारा उचित दूरी न बनाने के साथ-साथ मामूली फायदे के लिए जानबूझकर भारी वाहनों के ब्रेकिंग सिस्टम को कमजोर किए जाने से हुआ था। पीएसआईटी छात्रों की कार को पीछे से जिस 16 पहियों वाले ट्रॉला ने टक्कर मारी, उसके चार पहियों से ब्रेकिंग प्रणाली हटी हुई थी। तकनीकी भाषा में इसे ब्रेक एक्चुएटर को हटाना कहते हैं।


माइलेज बढ़ाने और मेंटीनेंस घटाने का फायदा
इस वजह से ट्रॉला तेज गति से कार में टकराया। ब्रेकिंग सिस्टम दुरुस्त होने पर ट्रॉला रुक भी सकता था और न भी रुकता तो धीमा तो हो ही सकता था। ऐसे में हादसा इतना भीषण न होता और शायद चार बीटेक छात्रों और ड्राइवर की जान भी बच जाती। सबसे बड़ी बात यह है कि 70 फीसदी बड़े वाहनों के माइलेज बढ़ाने और मेंटीनेंस घटाने जैसे छोटे-छोटे फायदों के लिए ब्रेकिंग सिस्टम से छेड़छाड़ की जाती है।


क्षमता 50 टन की थी, सरिया 70 टन लदी थी
सर्वेयर एंड लॉस एसेसर ऑटोमोबाइल इंजीनियर निर्मल त्रिपाठी के अनुसार, भारी वाहनों के पहियों के एक सेट (चार पहिये, दोनों तरफ दो-दो) से ब्रेकिंग सिस्टम हटाने पर ब्रेक की क्षमता 17 प्रतिशत घट जाती है। यही ट्रॉला के साथ हुआ। फिर ट्रॉला ओवरलोड भी था। क्षमता 50 टन की थी, जबकि सरिया 70 टन (अनुमानित) लदी थी। ऐसे में उसका संवेग बहुत बढ़ गया और कमजोर कर दी गई ब्रेकिंग प्रणाली इसे संभाल नहीं पाई।


सेंसर सिस्टम में भी छेड़छाड़ की गई थी
साथ ही, वाहनों के बीच दूरी भी कम होने से टक्कर भीषण हुई। . जिस डंपर में कार टकराई थी, उसके पहियों का एक सेट भी हवा में उठा हुआ था। सेंसर वाले इन मौजूदा डंपरों पहियों का एक सेट हवा में ऊपर उठा दिया जाता है, जो गाड़ी के लोडेड होने पर नीचे आ जाता है। लेकिन जिस डंपर में छात्रों की कार पीछे से भिड़ी, उसके सेंसर सिस्टम में भी छेड़छाड़ की गई थी।  इससे पहिए ऊपर उसमें भी ब्रेक एक्चुएटर नहीं लगा था।


दोबारा गति में लाने में कम डीजल की खपत होती है
इससे वाहन चालकों को फायदा सिर्फ इतना होता है कि एक सेट में टायर घिसते नहीं हैं। साथ ही सभी पहियों में ब्रेक न लगने से वाहन पूरी तरह रुकता नहीं है और उसे दोबारा गति में लाने में कम डीजल की खपत होती है। इससे मेंटीनेंस लागत भी घट जाती है। डिस्क की भी जरूरत नहीं पड़ती। सड़कों पर तेज रफ्तार के दौरान होने वाले हादसों के लिए ब्रेकिंग प्रणाली में यही छेड़छाड़ जिम्मेदार है। 70 फीसदी भारी वाहन कमजोर किए गए ब्रेकिंग प्रणाली पर ही दौड़ रहे हैं।


बीच के टायरों से हटाते हैं ब्रेकिंग प्रणाली
आधुनिक भारी वाहन कई टन माल लोडकर हजारों किलोमीटर का सफर करते हैं। आमतौर पर यह 10 से ज्यादा टायरों के होते हैं। ऑटोमोबाइल कंपनियां सुरक्षा दृष्टिकोण से गाड़ी में सेंट्रलाइज हाइड्रोलिक ब्रेकिंग सिस्टम लगाती हैं। टायर के हर सेट में ब्रेक एक्चुएटर फिट किए जाते हैं। तेज और लोड गाड़ी में ड्राइवर द्वारा ब्रेक लगाने पर सभी टायरों पर हाइड्रोलिक प्रेशर बनता है और गाड़ी रुक जाती है। माइलेज और मेंटीनेंस का खर्च बचाने के लिए मोटर मालिक ब्रेकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ कर कर बीच के टायरों से ब्रेकिंग प्रणाली हटा देते हैं, जबकि . और पीछे के टायरों में कंपनी फिटेड ब्रेकिंग प्रणाली बनाए रखते हैं।


विशेषज्ञ ने किया तकनीकी ऑडिट
  • बेहतर माइलेज पाने व मेंटीनेंस लागत घटाने के लिए भारी वाहनों के ब्रेकिंग सिस्टम में कर रहे छेड़छाड़।
  • पहियों के एक सेट से ब्रेकिंग सिस्टम हटाने से घट जाती है 17 फीसदी ब्रेकिंग क्षमता।
  • जिस डंपर से कार भिड़ी उसके पहिये भी हवा में उठे मिले, ब्रेकिंग प्रणाली भी हटी मिली।
  • ट्रॉला ओवरलोडेड होने से कमजोर ब्रेकिंग सिस्टम उसे रोक नहीं पाए, हुआ भीषण हादसा।
  • सभी पहियों में ब्रेकिंग सिस्टम होने पर ट्रॉला की गति कम हो सकती थी, हादसा बच जाता।


Credit By Amar Ujala

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