खबर शहर , काशी विश्वनाथ : बाबा के पूजन के बाद ही चावल के आटे का महाप्रसाद बनाएंगे कारीगर, शुरू हुआ काउंटर; जानें खासियत – INA
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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा अपनी गत बैठकों में निर्णय लिया गया था कि मंदिर का स्वयं का निर्मित प्रसाद होना चाहिए जो उन सामग्रियों से बना होना चाहिए जो भगवान शिव को शास्त्रों में उल्लेखित वर्णन के अनुसार प्रिय हैं और उनको अर्पित किए जाते हैं। इसी का अनुरोध समूचे देश के श्रद्धालुओं के द्वारा भी काफी समय से किया जा रहा था।
इसी क्रम में कुछ महीनों से काशी और देश के कई जाने-माने विद्वानों के द्वारा अलग-अलग शास्त्रों, पुराणों व ग्रंथों का अध्ययन किया गया और उसमें भगवान शिव को प्रिय, चढ़ाई जाने वाली प्रसाद स्वरूपी वस्तुएं चिन्हित की गईं। जिन ग्रंथो और पुराणों का अध्ययन किया गया है उनमें शिव महापुराण, शिवर्चना चंद्रिका, वीर मित्रोदय:, लिंग पुराण,स्कन्द पुराण आदि सम्मिलित हैं।
इन सबके सार के रूप में तंडुल, अक्षत या चावल का प्रसाद शिव जी को अर्पित करना सर्वोत्तम बताया गया है। इसके आधार पर जो प्रसाद तैयार किया गया है उसे तंदूल महाप्रसाद का नाम दिया गया है।
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आज विजयादशमी के शुभ अवसर पर इस विशिष्ट प्रसाद को श्री काशी विश्वनाथ जी की भोग आरती में अर्पित करते हुए श्रद्धालुओं हेतु उपलब्ध करा दिया गया है। न्यास द्वारा सभी गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए सनातन, शास्त्रीय एवं परंपरागत मान्यताओं का समावेश कर यह विशिष्ट प्रसाद तैयार कराया गया है।