आगरा में स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग की संयुक्त टीम के निरीक्षण में अस्पतालों में चिकित्सकीय और अग्निशमन मानकों की पोल खुल गई। कमला नगर के 7 हॉस्पिटल बिना फायर एनओसी के चलते मिले। सार्थक नर्सिंग होम के संचालक ने फर्जी एनओसी दिखा दी, जिस पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) का नाम विवेक कुमार शर्मा लिखा हुआ था।
9 सितंबर वर्ष 2022 में एनओसी जारी करना दिखाया। तब विवेक कुमार शर्मा नाम के कोई सीएफओ नहीं थे। अस्पताल संचालक डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि ये एनओसी अग्निशमन विभाग से ही जारी हुई है। आवेदन के बाद अग्निशमन विभाग की टीम ने निरीक्षण भी किया था। रिपोर्ट बनाकर डीएम और सीएमओ को भेज दी है।
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि संयुक्त टीम ने कमला नगर स्थित हृदयम हॉस्पिटल, अभिलाषा हॉस्पिटल, बीएम हॉस्पिटल, ओम अशोक हॉस्पिटल और सर्वोदय हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। इन पर अग्निशमन विभाग की एनओसी नहीं थी। जांच टीम में नोडल अधिकारी डॉ. जितेंद्र लवानिया, डॉ. जगपाल चाहर, एसएफओ सोमदत्त सोनकर मौजूद रहे।
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डाॅक्टर नहीं मिले
भाटिया क्रिटिकल केयर यूनिट का क्लीनिक के तौर पर पंजीकरण है, लेकिन अस्पताल चलता मिला। लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया है। 10 बेड का आईसीयू था। अस्पताल में 4 मरीज भर्ती मिले। कोई डॉक्टर नहीं था। संचालक के रूप में बोर्ड पर डॉ. अमित सिंह लिखा था, ये भी मौजूद नहीं थे।
ये मिली अस्पतालों में स्थित
1- ह्रदयम हास्पिटल में करीब 10 मरीज भर्ती थे। संचालक डॉ. दीपक अग्रवाल नहीं मिले। कई बार फोन किया। मगर, नहीं आए।
2- सर्वोदय हॉस्पिटल में पीवीसी के पैनलों का प्रयोग मिला। टीम ने बताया कि ये अत्यधिक ज्वलनशील होता है। लाइसेंस का नवीनीकरण भी नहीं कराया था। इसमें 10 मरीज भर्ती थे। आईसीयू भी चलता मिला।
3- ओम अशोका हॉस्पिटल में कोई डॉक्टर नहीं मिला। अस्पताल में 4 मरीज भर्ती थे। लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं था।
4- बीएम हॉस्पिटल को अग्निशमन मानकों की कमी पर पहले नोटिस जारी हुआ था। फिर भी बिना एनओसी के चल रहा था। भवन भी मानकों के हिसाब से नहीं बना था। आईसीयू में मरीज भर्ती थे। बाहर निर्माण कार्य चल रहा था।
5- अभिलाषा हॉस्पिटल सुल्तानगंज पुलिया पर ऊपरी मंजिल को आवास के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। ऑफिस भी संचालित है। 10-12 कर्मचारी कार्य करते मिले। चार मरीज भर्ती थे। एक बेड का एनआईसीयू भी मिला।
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ये बोले मुख्य अग्निशमन अधिकारी
मुख्य अग्निशमन अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि अग्निशमन और स्वास्थ्य विभाग की टीम संयुक्त अभियान चला रही है। बिना एनओसी चलते मिले अस्पतालों की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है। –
जब एनओसी नहीं तो लाइसेंस कैसे हुए जारी
सीएफओ के मुताबिक, शासनादेश के तहत बिना अग्निशमन विभाग की एनओसी जारी हुए, किसी भी अस्पताल का पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है। अब सवाल उठ रहा है कि जब एनओसी नहीं थी तो अस्पताल कैसे संचालित थे? इनके लाइसेंस कैसे जारी हो गए?
Credit By Amar Ujala