आपने अक्सर शारीरिक रूप से फिट लोगों को क्रिकेट खेलते हुए देखा होगा। यहां तक की अंतरराष्ट्रीय पुरुष एवं महिला क्रिकेटरों की टीम भी पूरी तरह से फिट होने पर ही चुनी जाती है। लेकिन, आपको बता दें कि दृष्टिहीन लोग भी क्रिकेट खेलते हैं। उनकी भी टीम है। उनके भी राष्ट्रीय मैच और रणजी मैच होते हैं।
लखनऊ में इन दिनों ऐसे ही टीमों के मैच खेले जा रहे हैं। राजधानी में एआर जयपुरिया स्कूल के स्पोर्ट्स गैलेक्सी ग्राउंड में राष्ट्रीय दृष्टिबाधित किक्रेट प्रतियोगिता खेली जा रही है। यहां विभिन्न राज्यों से आईं दृष्टिबाधित क्रिकेटरों की टीमें भाग लेने पहुंची हैं।
बल्लेबाज ध्वनि सुनकर ही शॉट मारते हैं
गुरुवार को पंजाब और महाराष्ट्र के बीच मुकाबला खेला गया। इसमें खेल रहे खिलाड़ी बॉल की आवाज सुनकर शॉट लगाते हैं। इसमें उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक की बॉल में कंचे भरे होते हैं। उससे निकलने वाली ध्वनि को सुनकर गेंदबाज गेंद फेंकते हैं। बल्लेबाज ध्वनि सुनकर ही शॉट मारते हैं।
फील्डिंग कर रहे दृष्टिबाधित खिलाड़ी गेंद से निकलने वाली ध्वनि सुनकर ही गेंद पकड़ते हैं। इस मैच में खिलाड़ियों को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है। कैटेगरी B1, B2 और B3। B1 कैटेगरी के खिलाड़ी पूरी तरह से दृष्टिबाधित होते हैं। उनकी आंखों पर काली पट्टी बांध दी जाती है। B2 कैटेगरी में तीन मीटर तक खिलाड़ी को दिखाई देता है।
गेंद अंडर आर्म एक्शन से फेंकता है
वहीं B3 कैटेगरी के खिलाड़ी को छह मीटर तक दिखाई देता है। इस खेल में पिच पर शॉर्ट लेंथ पर एक लाइन खींच दी जाती है। गेंदबाज लाइन से पहले ही गेंद अंडर आर्म एक्शन से फेंकता है। बल्लेबाज गेंद से निकलने वाली छन-छन की आवाज सुनकर शॉट लगाता है। यदि गेंद बनाई गई लाइन के पार गिरती है, तो गेंद को डेड करार दिया जाता है।
Credit By Amar Ujala