खबर शहर , नहीं रहे बनारस के दादा… : जनसमस्याओं को लेकर कर देते थे अनशन, सपा भी हो गई थी सरेंडर; पढ़ें रोचक कहानी – INA

भाजपा के वरिष्ठ नेता श्याम देव राय चाैधरी दादा का सोमवार की सुबह रवींद्रपुरी स्थित ओरियाना हॉस्पिटल में निधन हो गया। बनारस के लोगों से उनका काफी जुड़ाव रहा। यही कारण है कि लोग उन्हें बड़े भाई की तर्ज पर दादा कहते थे। मिलनसार और व्यक्तित्व के धनी श्याम देव दादा विधायक का पद चले जाने के बाद भी लोगों की मुसीबत में खड़े रहते थे। उनका साथ देते थे।
22 जून 1939 को जन्में श्याम देव राय चाैधरी दादा बचपन से ही जुझारू प्रवृत्ति के थे। अपनी सादगी के कारण वे पूर्वांचल के लोकप्रिय नेता बने। वे मूलरूप से पूर्वी बंगाल के रहने वाले थे और अपने पिता के साथ काशी आए थे। अपनी विचारधारा को और विस्तारित करने के लिए वे संघ से जुड़ गए और निरंतर सक्रिय रहे। भाजपा से 2017 विधानसभा के चुनाव का टिकट कटने के बाद उनकी नाराजगी को देखते हुए पीएम मोदी ने उनसे खास मुलाकात की थी।
टिकट कटने के बाद उन्होंने राजनीति से ही संन्यास ले लिया। बावजूद इसके लोग उनके पास राजनीतिक सलाह लेने जाते थे। टिकट कटने के बावजूद दादा ने भाजपा के विरोध में कभी भी बयानबाजी नहीं की। उनके समर्थकों ने भी अपनी नाराजगी दिखाई थी।
बनारस में 2017 की विधानसभा के लिए भाजपा ने जब अपना रोड शो किया तो श्याम देव राय चाैधरी दादा भी इसमें शामिल रहे, लेकिन दूर-दूर थे। पीएम मोदी ने विश्वनाथ मंदिर के पास उनका हाथ पकड़ लिया और दोनों नेता साथ-साथ गभगृह जाकर बाबा का दर्शन-पूजन किए।
शहर दक्षिणी ही नहीं श्याम देव राय चाैधरी पूरे बनारस को अपना मानते थे। यही कारण था कि कहीं भी जनमस्या होने पर वे जनता के साथ खड़े दिखते थे। यही नहीं समस्या का समाधान न होने पर वे अनशन और भूख हड़ताल पर भी बैठ जाते थे।
2015 में शहर में हुए बिजली समस्याओं को लेकर उन्होंने एक बार लंबा अनशन किया। इसी दाैरान तत्कालीन सपा सरकार से बिजली समस्याओं के निराकरण की त्वरित मांग की। उनकी जिद के . सपा शासन को झुकना पड़ा। सपा नेता अखिलेश यादव ने जिले में बिजली की बड़ी समस्या को लेकर श्याम देव राय चाैधरी दादा से सदन में मुलाकात कर आश्वासन दिया था।
दादा समस्याओं के निराकरण को लेकर अधिकारियों के . अड़ जाते थे। सरकारी विभागों के पास धरने पर बैठना… अनशन कर देना… उनके लिए आम बात थी। यही बात उन्हें जनता से जोड़ती भी थी। अब समय काफी बदल गया है। दादा नहीं रहे… सोमवार की सुबह एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम श्वांस ली। कोदई चाैकी स्थित उनके मकान पर भाजपा के प्रमुख नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। विधि-विधान से उन्हें अंतिम सलामी दी गई।