खबर शहर , बदलता मौसम चक्र: अलीगढ़ शहर में कम होती हरियाली, बनते मकान, 3469 हेक्टेयर में बस गईं नई बस्तियां – INA

अलीगढ़ महानगर के आसपास का वह हिस्सा जो कभी हरा भरा दिखता था, अब वहां बस्तियां नजर आ रही हैं। तीन दशक में शहरी क्षेत्र 2260 से बढ़कर 5729 हेक्टेयर हो गया है। इस दौरान 3469 हेक्टेयर में नई बस्तियां बसीं हैं। लेकिन वन क्षेत्र 98 हेक्टेयर और कृषि क्षेत्र 7221 हेक्टेयर कम हुआ है। इसका सीधा असर यहां के मौसम पैटर्न पर पड़ रहा है।

जिले में खाली भूमि (बंजर-सट्टा भूमि) में 2918 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इन बदलावों का सीधा असर मौसम पर हुआ है। तापमान, आर्द्रता और सतह के खुरदरेपन में वृद्धि हो रही है। हवा की गति और वाष्पीकरण कम हो रहा है। सतही जल निकायों में 11 प्रतिशत की कमी आई है। शहर क्षेत्र में 153 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह खुलासा अलीगढ़ मुस्लिम विवि के भूगोल विभाग के अलीगढ़ की जलवायु परिवर्तन पर किए शोध में हुआ है। भूगोल के विभागाध्यक्ष डॉ. शहाब फजल, प्रोफेसर सुल्ताना, फजल और डॉ. वशिष्ठा का यह शोध पेपर गत अप्रैल माह में एक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इस शोध में वर्ष 1990 से 2020 तक के नासा के मौसम संबंधित रिमोट सेंसिग डाटा का उपयोग किया गया है। विश्व मौसम अनुसंधान और पूर्वानुमान के क्षेत्रीय जलवायु मॉडल के आधार पर उसका आकलन किया गया। साथ ही प्राधिकरण, नगर निगम और राजस्व विभाग के आंकड़ों के साथ उनका तुलनात्मक अध्ययन किया गया।
अध्यक्ष डॉ. शहाब फजल का कहना है कि वैसे तो हर साल तापमान और मौसम चक्र बदलता रहता है। यह बदलाव यहां भी है। लेकिन विश्व में हो रहे जलवायु परिवर्तन से अलीगढ़ के मौसम ट्रेंड में कुछ अलग बदलाव दिख रहे हैं। गर्मियों और सर्दियों के न्यूनतम तापमान की अधिकतम सीमा में वृद्धि हो रही है। जनवरी और मई माह में जब मौसम शुष्क होना चाहिए, तब आर्द्रता बढ़ रही है। कभी कम तो कभी ज्यादा बारिश हो रही है। वह उदाहरण देते हुए बताते हैं कि इस साल ही जब धान की फसल को बारिश की जरूरत थी तो कम हुई, जब फसल तैयार हुई तो अधिक बारिश हो गई। इन बदलावों का प्रतिकूल जनजीवन पर पड़ रहा है। किसानों को उभरती चुनौतियों के अनुरूप कृषि में बदलाव करना पड़ रहा है।

स्थानीय स्तर पर मौसम की चरम स्थितियां और सामान्य से विचलन की ओर इशारा कर रहे हैं। इन बदलावों का सीधा असर पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है। मानसून के महीने में स्पष्ट बदलाव और देरी देखी गई है। -डाक्टर एस फजल, विभागाध्यक्ष भूगोल, अलीगढ़ मुस्लिम विवि

हर साल छह प्रतिशत की दर से बढ़ रही आबादी


ग्रामीण क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा शहरी क्षेत्र में तब्दील हुआ है। हर साल छह प्रतिशत की दर से आबादी बढ़ रही है। शहर के मध्य भाग यानी वार्ड संख्या पांच 67, 70 और उत्तरी भाग वार्ड 53, 68 व 69 में आवासीय और जनसंख्या की दर उच्च घनत्व वाले स्तर पर पहुंच गई है। बढ़ती आबादी की जरूरत पूरा करने के लिए भूउपयोग में परिवर्तन किए जा रहे हैं।

खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा वायु प्रदूषण
एएमयू के पूर्व छात्र एवं वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ डाक्टर आशीष शर्मा ने बताया कि स्थानीय स्तर पर जलवायु में परिवर्तन हो रहे हैं और वायु प्रदूषण भी खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है। डाक्टर दानिश खान के एक शोध का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि अलीगढ़ के वनस्पति आवरण (हरियाली) में 24 प्रतिशत तक की कमी आई है और इससे भूमि के सतह के तापमान 11 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक पराली जलाने वालों जिलों में अलीगढ़ भी शामिल है। हाल ही में अलीगढ़ का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए हरित और स्वच्छ अलीगढ़ बनाने की जरूरत है। आशीष शर्मा अलीगढ़ के रहने वाले हैं और सरे विवि यूके में वायु प्रदूषण के प्रभावों पर शोध कर चुके हैं। 

आर्द्रता
जुलाई, अगस्त और सितंबर (वर्षा ऋतु) के महीनों में उच्च सापेक्ष आर्द्रता थी, जबकि मार्च, अप्रैल के महीनों में कम आर्द्रता थी। सर्दियों में भी उच्च आर्द्रता देखी गई। शहर में सबसे कम आर्द्रता वर्ष 2000 और सबसे ज्यादा 2010 में देखी गई। औसत वार्षिक सापेक्ष आर्द्रता 44.75% है, इसके मुकाबले अधिकतम वार्षिक आर्द्रता 55.75 प्रतिशत तक पहुंची है।

हवा के प्रवाह में भी आई पांच प्रतिशत की कमी


जमीन के पास दस मीटर की ऊंचाई पर हवा की गति पर अध्ययन किया गया। 1990 और 2020 के बीच अलीगढ़ में औसत हवा की गति 2.5 से 3.5 मीटर/सेकेंड के बीच थी।1995 से 2000 के बीच हवा स्थिर थी, इसके बाद 2010 तक इसमें कमी देखी गई। हवा की मासिक गति के आंकड़ों में जनवरी, फरवरी और जून के महीनों दस प्रतिशत की गिरावट देखी गई। मार्च और मई के महीनों यह एक प्रतिशत कम थी। अगस्त से दिसंबर के महीनों में दस प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। पूरे साल में पांच प्रतिशत की गिरावट थी।

2005 में 48.71 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था तापमान
जलवायु परिस्थितियों के पंचवर्षीय मूल्यांकन से पता चला है कि अलीगढ़ शहर का न्यूनतम तापमान 1990-1995 के दौरान स्थिर था। 2000 के दौरान इसमें कमी देखी गई। 2005 में इसमें वृद्धि देखी गई और 48.71 तक पहुंच गया। वर्ष 2020 को कम तापमान के कारण सबसे ठंडा वर्ष माना गया। गर्मियों के दिनों में अलीगढ़ शहर का अधिकतम औसत तापमान 46 डिग्री सेल्सियस रहता है। पूरे साल में न्यूनतम तापमान तीन से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। वार्षिक औसत न्यूनतम तापमान 2.88 डिग्री सेल्सियस है। इसमें 3.04 डिग्री सेल्सियस का विचलन देखा गया।
 

2010 में सबसे ज्यादा और 2019 में सबसे कम हुई वर्षा


सबसे अधिक वर्षा जुलाई और अगस्त के महीनों में देखी गई। नवंबर और दिसंबर के महीने में सबसे कम वर्षा हुई है। 2010 में सबसे अधिक 910 मिमी, 2019 में 556 एमएम वर्षा हुई थी। औसत वार्षिक वर्षा 720.05 मिमी है। औसत वर्षा में कमी का ट्रेंड देखा गया है।

शोध की खास बात

  • बढ़ते शहरीकरण से बदल रहा मौसम चक्र
  • एएमयू के शोध में हुआ 30 महानगर में हो रहे जलवायु परिवर्तनों का खुलासा
  • जनवरी और मई में जब मौसम शुष्क होना चाहिए, तब अलीगढ़ वातावरण में नमी देखी गई
  • हवा की गति और वाष्पीकरण कम होने को अलीगढ़ में बारिश कम होने की एक वजह माना
  • तापमान और आर्द्रता में हो रही वृद्धि
  • बारिश और हवा की गति कम हुई
  • 2918 हेक्टेयर खाली भूमि पड़ी है
  • 90 हेक्टेयर की कमी वन क्षेत्र में आई


Credit By Amar Ujala

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