खबर शहर , भाजपा के दांव से मुश्किल में सपा: धर्मेंद्र यादव के लिए बड़ा धर्म संकट, जीजा या भतीजा… किसका देंगे साथ? – INA

मैनपुरी की राजनीति ने मुलायम सिंह यादव के भतीजे और आजमगढ़ सीट से सांसद धर्मेंद्र यादव को फिर एक बार दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। सात साल बाद फिर धर्मेंद्र यादव धर्मसंकट में पड़ गए हैं। इसकी वजह करहल उप चुनाव है। एक तरफ सपा से भतीजे तेजप्रताप यादव प्रत्याशी हैं, तो वहीं भाजपा से उनके सगे बहनोई अनुजेश यादव चुनाव मैदान में हाेंगे। अब सबकी निगाहें धर्मेंद्र के निर्णय पर टिकी हैं। हालांकि अब तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई अभयराम यादव के बेटे धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से सांसद हैं। वे पहली बार मुलायम के मैनपुरी सीट से इस्तीफे के बाद 2004 में हुए उप चुनाव में सांसद बने थे। इसके बाद बदायूं और फिर आजमगढ़ से सांसद बने। 2015 में सैफई परिवार की पहली बेटी ने राजनीति में मैनपुरी से ही कदम रखा था। ये बेटी कोई और नहीं बल्कि मुलायम सिंह यादव की भतीजी और धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या उर्फ बेबी यादव थीं। सपा के समर्थन से वे जिला पंचायत अध्यक्ष चुनीं गईं थी।

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यहां से बन गईं सपा से दूरियां 
2017 में सूबे में भाजपा सरकार बनी तो फिरोजाबाद से सपा के जिला पंचायत अध्यक्ष विजय प्रताप के खिलाफ भाजपाई अविश्वास प्रस्ताव ले आए। इसमें फिरोजाबाद के भारौल निवासी संध्या यादव के पति अनुजेश यादव भी बतौर जिला पंचायत सदस्य शामिल थे। इसके चलते सपा ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद अनुजेश ने भाजपा का दामन तो नहीं थामा, लेकिन अंदरखाने भाजपा से गलबहियां कर लीं। बस फिर क्या था मैनपुरी में भी संध्या यादव के खिलाफ सपा जिला पंचायत सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। तब भी संध्या यादव के भाई सांसद धर्मेंद्र यादव के लिए धर्मसंकट की घड़ी थी। आखिर वे अपनी बहन का साथ दें या फिर पार्टी का, लेकिन उन्होंने रिश्तों को भुलाकर पार्टी को चुना। हालांकि भाजपा के समर्थन से किसी तरह संध्या यादव की कुर्सी बीच रही और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। तभी से सैफई परिवार और अनुजेश के बीच रिश्तों में खटास आ गई।

 


अनुजेश ने 2019 में ली थी भाजपा की सदस्यता
2019 में खुलकर अनुजेश ने भाजपा की सदस्यता ले ली और 2021 में संध्या यादव ने भी भाजपा के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। अब एक बार फिर सांसद धर्मेंद्र यादव को सियासत ने सात साल पुराने उसी दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया। एक तरफ करहल से सपा के टिकट पर उनके भतीजे तेज प्रताप यादव चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा से बहनोई अनुजेश यादव प्रत्याशी हैं। ऐसे में धर्मेंद्र को फिर रिश्ते या पार्टी में से किसी एक को चुनना होगा। ये निर्णय उनके लिए किसी धर्मसंकट से कम नहीं है। सभी को अब सांसद धर्मेंद्र यादव की प्रतिक्रिया का इंतजार है, लेकिन अब तक उन्होंने इस पर कोई बयान नहीं दिया है।

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2019 में धर्मेंद्र ने दी थी सफाई
अनुजेश यादव ने 2019 में जब भाजपा का दामन थामा तो सांसद धर्मेंद्र यादव ने सफाई दी थी। उन्होंने 25 मार्च 2019 को पत्र जारी कर कहा था कि अनुजेश प्रताप यादव भाजपा में शामिल हो गए हैं। अनुजेश को उनके बहनोई के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने लिखा था कि वह ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि भाजपा के किसी भी नेता से उनका कोई संबंध नहीं हो सकता है।
 


तेज प्रताप का नामांकन कराने आए थे धर्मेंद्र
21 अक्तूबर को करहल सीट के लिए सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव ने नामांकन किया था। उनके साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सांसद डिंपल यादव, विधायक शिवपाल सिंह यादव, प्रो. रामगोपाल यादव, सांसद आदित्य यादव और सांसद धर्मेंद्र यादव भी आए थे। धर्मेंद्र ने अपने बयान में तेजप्रताप की जीता का दावा करते हुए उन्हें नामांकन से पहले ही विजयी होने का आशीर्वाद भी दिया था।


Credit By Amar Ujala

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