खबर शहर , यूपी कैबिनेट बैठक: प्रदेश में ज्यादा आएगा विदेशी निवेश, एफडीआई नीति… अब एफसीआई नीति – INA

राजधानी लखनऊ में सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई। इसमें में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की रफ्तार बढ़ाने के लिए एफडीआई नीति में संशोधन किया गया है। अब केवल 10 फीसदी इक्विटी वाली विदेशी कंपनी को भी एफडीआई के दायरे में रखा गया है। नीति का लाभ पाने के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपए रखी गई है। 

इसी के साथ फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट नीति (एफडीआई नीति) को अब फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एंड फॉर्च्यून इंडिया 500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2023 कहा जाएगा। संक्षेप में इसे फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट नीति कहा जाएगा। सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस संशोधन को मंजूरी दे दी गई।

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एफडीआई नीति में संशोधन किया गया

सोमवार को कैबिनेट के इस महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि एक नवंबर 2023 की एफडीआई नीति में संशोधन किया गया है। उन्होंने बताया कि आरबीआई और भारत सरकार की एफडीआई की नीति अलग है। 

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निर्णय से प्रदेश में विदेशी निवेश बढ़ेगा

यूपी ने अपनी नीति को पहले से ज्यादा लचीला बनाकर दायरा बढ़ा दिया है। इस संशोधन के माध्यम से अब ऐसी विदेशी कंपनियां भी प्रदेश में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ-साथ लोन या किसी अन्य स्रोत से पैसों की व्यवस्था करती हैं। इस निर्णय से प्रदेश में विदेशी निवेश बढ़ेगा।
 


फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दिया गया

सुरेश खन्ना ने बताया कि नीति में अर्हता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपए रखी गई है। इसके लिए किए गए संशोधन को फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक एफडीआई के तहत कंपनी के पास अपनी इक्विटी होती थी लेकिन ज्यादातर कंपनी अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए बाहर से लोन के साथ ही दूसरे माध्यमों से भी धनराशि की व्यवस्था करती हैं। 

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डेब्ट सिक्योरिटी को भी शामिल किया गया

इसे स्वीकृति देते हुए फैसला किया गया है कि यदि किसी कंपनी के पास इक्विटी केवल 10 प्रतिशत है। 90 प्रतिशत निवेश राशि की व्यवस्था दूसरे स्रोतों से की होगी तो उसे भी नीति का लाभ मिलेगा। फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट के रूप में विदेशी कंपनी के लिए प्रिफरेंश शेयर, डिवेंचर्स, एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, स्टैंड बाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारंटी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी को भी शामिल कर दिया गया है। आरबीआई द्वारा तय अन्य स्रोत पहले से भी मान्य होंगे।


Credit By Amar Ujala

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