खबर शहर , विदेशी बाजार में मंदी: हस्तशिल्प निर्यात में गिरावट.. घरेलू मैदान में उतरे निर्यातक, युद्ध व तनाव ने डाला असर – INA

तीन साल से चल रहे उतार-चढ़ाव के बीच हस्तशिल्प निर्यात में आई करीब 40 फीसदी की गिरावट से निर्यातक घरेलू बाजार की ओर रुख करने लगे हैं। इन तीन सालों में करीब 30 फीसदी निर्यातक घरेलू बाजार में भी हाथ आजमा रहे हैं। कोई फर्म का नाम बदल कर तो कोई नई कंपनी बनाकर घरेलू मैदान में उतरा है।

यह सभी पहले विदेशों ग्राहकों को ही हस्तशिल्प उत्पादों की सप्लाई करते थे। आने वाले समय में घरेलू बाजार से निर्यातकों को बड़े कारोबार की उम्मीद है। हस्तशिल्प निर्यात से जिले के छोटे-बड़े करीब 2400 निर्यातक जुड़े हैं, जो मुरादाबाद के हस्तशिल्प उद्योग को विदेशों में अलग पहचान दिलाते हैं।

जिले से हर साल औसतन 8000 से 9000 करोड़ रुपये का निर्यात होता है। लॉकडाउन के दौरान विदेशी ग्राहकों से निर्यातकों को 30 से 35 फीसदी अधिक ऑर्डर मिले थे, लेकिन लॉकडाउन खत्म के बाद हालात बदल गए। फिर समय अमेरिका में आर्थिक मंदी का आया तो दो देशों में युद्ध या तनाव ने भी निर्यात कारोबार पर असर डाला।

पिछले आठ महीने में निर्यात में करीब 40 फीसदी की गिरावट आ गई। ऐसी स्थिति में घरेलू बाजार में निर्यातकों को भविष्य की राह दिखने लगी है। यही वजह है कि पीतल की चमक बिखेरने के लिए निर्यातक घरेलू मैदान में उतरने लगे हैं।

30 फीसदी निर्यातकों ने बड़े पैमाने पर घरेलू बाजार में भी कारोबार शुरू कर दिया है। जानकारों के मुताबिक घरेलू बाजार में काम शुरू करने वालों की तादाद 50 फीसदी से अधिक है। इसके लिए ज्यादातर निर्यातकों ने फर्म का नाम बदल लिया है। कुछ ने यूनिट भी अलग से लगाई है।


घरेलू बाजार के लिए निर्यातकों ने खोला शोरूम

घरेलू बाजार में ग्राहकों तक पीतल उत्पादों को पहुंचाने के लिए निर्यातकों ने शोरूम खोले हैं। ज्यादातर निर्यातकों ने अपनी फर्म के एक हिस्से में शोरूम बनाया है। जिसमें पीतल उत्पाद रखे गए हैं। दिल्ली रोड और रामपुर रोड पर ऐसे कई फर्मों देखने को मिल जाएंगे।


एक हजार करोड़ से अधिक का सालाना कारोबार

उप्र संयुक्त व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल के मुताबिक घरेलू बाजार त्योहारों पर निर्भर है। शहर में बाजार और गली मोहल्लाें में पीतल से बने उत्पादों की छोटी बड़ी होल सेल और फुटकर की करीब पांच साै से अधिक दुकानें हैं। इनमें मूर्तियां, बर्तन, ट्राॅफी और गिफ्ट आइटम उपलब्ध रहते हैं। इस बाजार से सालाना एक हजार करोड़ से अधिक का कारोबार होता है।


देशभर में फैला घरेलू बाजार का कारोबार

पीतल कारोबारी राघव खन्ना बताते हैं कि घरेलू बाजार का कारोबार सिर्फ यूपी नहीं, बल्कि पूरे देश में फैला हुआ है। जो पूरी तरह से त्योहारी सीजन पर निर्भर है और सालभर चलता है। दक्षिण भारत में पीतल उत्पाद की सबसे अधिक सप्लाई होती है। इनमें धार्मिक मूर्तियां और गिफ्ट आइटम शामिल हैं। पीतल कारोबारी अंकुर अग्रवाल के मुताबिक दिवाली त्योहारी सीजन में शहर में पीतल उत्पाद की दुकानें बढ़ जाती है। गली मोहल्लों में भी दुकानें खुल जाती हैं।


रुस-यूक्रेन, इस्राइल-हमास युद्ध के कारण निर्यात प्रभावित हो रहा है। विदेशी ग्राहक भी कम ही रुचि दिखा रहे हैं। ऐसी स्थिति में कई निर्यातक घरेलू बाजार में उतर आए हैं। आने वाले समय में घरेलू बाजार में बड़ा स्कोप देखने को मिल रहा है। तीन चार सालों में तेजी से बदलाव आया है। – राघव गुप्ता, निर्यातक

हस्तशिल्प निर्यात में सरकारी सुविधाएं धीरे-धीरे कम होने लगी हैं। तीन-चार सालों से निर्यात में गिरावट भी आ रही है। इसके कई कारण हैं। निर्यातकों को घरेलू बाजार में भविष्य दिख रहा है। करीब तीस फीसदी निर्यातक घरेलू बाजार में उतर आए हैं। – हाजी इफ्तेखार, निर्यातक

इस्राइल युद्ध को लेकर निर्यात के क्षेत्र में उथल पुथल बढ़ी है। हस्तशिल्प निर्यात प्रभावित हो रहा है। यह स्थिति लाॅकडाउन के बाद से बनी हुई है। यही कारण है कि निर्यातकों का रुझान घरेलू बाजार में बढ़ने लगा है। कई निर्यातक ऐसे हैं जिन्होंने घरेलू बाजार में बड़े स्तर पर काम शुरू कर दिया है। – रजत अग्रवाल, निर्यातक


Credit By Amar Ujala

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