खबर शहर , Auraiya: गोद में भी नहीं सहारा, आधे से ज्यादा गोवंशों की मौत – INA

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बेसहारा बेजुबानों से जुड़ी यह जानकारी चौंकाने वाली है। सहभागिता योजना के तहत औरैया जिले में अब तक जिन 1875 गोवंश को गोद दिया गया उनमें से आधे से ज्यादा की मौत हो चुकी है। गोशालाओं में भी करीब एक तिहाई गोवंश दम तोड़ चुके हैं। इसके पीछे देखरेख का अभाव और चारा की कमी अहम वजह है।
किसानों की फसल को नुकसान से बचाने के लिए संचालित गोशालाओं की बदहाली जग जाहिर है। उन मवेशियों की भी हालत बेहतर नहीं है, जिन्हें ग्रामीणों के हवाले किया गया है। अब से पांच साल पहले अक्तूबर 2019 में बेसहारा मवेशियों खासकर गोवंशों की देखरेख के लिए गोशाला व आश्रय स्थल बनाने की पहल शुरू की थी। उसी के तहत यहां जिले के अलग-अलग हिस्सों में 53 गोशाला बनाकर गोवंशों को संरक्षित किया गया।
इसी कड़ी में इच्छुक लोगों को भी मवेशी पालने की मंजूरी मिली। गांव के लोग अपनी पसंद के मवेशी को अपने पास रख सकते हैं। उन्हें उनके चारा के लिए पहले रोजाना 30 रुपये की दर से मदद मिलती थी, जिसे बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है। इसी के तहत पिछले पांच साल में जिले में 845 लाभार्थियों को 1875 मवेशी सुपुर्द किए गए। अब पांच साल बाद की रिपोर्ट के मुताबिक जो मवेशी सुपुर्द किए गए थे, उनमें से आधे से ज्यादा 945 की मौत हो चुकी है। 930 ही जीवित हैं। जिनकी सुपुर्दगी में मवेशियों की मौत हुई, उनसे किसी तरह का जवाब तलब भी करना जरूरी नहीं समझा गया है।
गोशालाओं में भी सुरक्षित नहीं बेजुबान, एक तिहाई की गई जान
गोवंशों की देखरेख के लिए संचालित गोशालाओं की हालत भी बहुत बेहतर नहीं है। अमूमन किसी न किसी गोशाला से वहां बदहाली में रह रहे मवेशियों की मौत की खबरें आती रहती हैं। अक्सर उन पर पर्दा डाल दिया जाता है। कार्रवाई के नाम पर लकीर पीट दी जाती है। मौत का आंकड़ा छिपाने में जिम्मेदार माहिर हैं। जिले की 53 गोशाला में इन पांच साल के दौरान 9135 गोवंश संरक्षित किए गए, उनमें से 6775 मवेशी ही जीवित हैं। पूर्व में संरक्षित किए गए 2360 गोवंशों की भी अलग-अलग समय में मौत हो चुकी है।
मवेशियों की मौत की अहम वजह भूख
मवेशियों की बड़ी संख्या में मौत के पीछे की वजह तो कई है, लेकिन जो सबसे अहम है वह है उनके लिए चारा की कमी। मवेशी चाहे गोशाला में हों या किसी किसान को सुपुर्द किए जाएं, उनके चारा का बेहतर इंतजाम नहीं हो पाता है। एक मवेशी को पूरे दिन के चारा-भूसा के लिए सिर्फ 50 रुपये का ही खर्च निर्धारित है। हालांकि पहले के 30 रुपये ही मिलता था। फिर भी एक मवेशी की खुराक के लिए यह रकम कम पड़ती है। अमूमन गोशालाओं में भी सिर्फ भूसा ही दिया जाता है। दिखावे के लिए कभी-कभी हरा चारा दिया जाता है। जिन किसानों को मवेशी दिए जाते हैं, वह भी कम खर्च में उनकी देखरेख नहीं कर पाते। नतीजा भूख नहीं मिटने पर उनकी सेहत बिगड़ती है और उनकी जान चली जाती है। बीमारी की हालत में किसान भी उन्हें छुट्टा छोड़ देते हैं।
भुगतान में देरी से खुराक मिलना मुश्किल
विभाग की ओर से जिन किसानों को मवेशी गोद दिए गए हैं, उन्हें रोजाना 50 रुपये के हिसाब से महीने में 1500 रुपये का भुगतान सीधे शासन स्तर से उनके खातों में होता है। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले तीन महीने का भुगतान लंबित है। इसी वजह कर किसान भी देखरेख में लापरवाही करते हैं।
एक नजर में गोशाला और मवेशी
– 53 गोशाला में 6775 गोवंश संरक्षित हैं
– 2360 संरक्षित गोवंशों की मौत हो चुकी है
– 845 किसानों को 1875 गोवंश दिए गए गोद
– 945 गोद दिए गोवंशों की हो चुकी है मौत
– 930 गोद दिए गोवंश ही हैं जीवित

गोशालाओं में गोवंशों की देखरेख के पर्याप्त इंतजाम हैं। इच्छुक ग्रामीणों को भी गोवंश देने का प्रावधान है। उन्हें एक मवेशी के भूसा-चारा के लिए रोजाना 30 से बढ़ाकर 50 रुपये के हिसाब से भुगतान होता है। यह रकम उनकी खुराक के लिए पर्याप्त है। पुण्य समझ कर सेवा करनी चाहिए। – डॉ भानू प्रताप सिंह, सीवीओ औरैया


Credit By Amar Ujala

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