खबर शहर , Farrukhabad: नाले के प्रदूषित पानी में मर गईं लाखों मछलियां, पीसीबी समेत पांच विभागों के अफसरों ने की जांच – INA

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शहर से सटे भैरों घाट पर नाले के पानी में गंगा के मुहाने पर लाखों मछलियों के मरने की जांच शुरू हो गई है। इस मामले को अमर उजाला ने प्रमुखता के साथ उठाया था। शनिवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत पांच विभागों के अफसरों की टीम मौके पर पहुंची। तीन स्थानों से पानी के नमूने लिए गए। हालांकि पानी की आपूर्ति के वक्त नाले के पानी का बहाव तेज होने पर अधिकांश मछलियां गंगा में बह गईं। फिर भी बड़ी संख्या में मरी मछलियां दिखाई दीं।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानपुर के सहायक पर्यावरण अभियंता फरेश कुमार, साइंटिस्ट असिस्टेंट योगेंद्र द्विवेदी, अनु सहायक संजीव मिश्रा, योगेंद्र कुमार, गंगा प्रदूषण कंट्रोल यूनिट के सहायक परियोजना अभियंता सौरभ शुक्ला, प्रभारी डीसी दीक्षित, नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी विनोद कुमार, मत्स्य विभाग के नारद राणा, नमामि गंगे की निहारिका पटेल की टीम नमामि गंगे घाट पहुंची। यहां से अधिकारी घाट के किनारे जल का निरीक्षण करते हुए भैरोंघाट पहुंचे। पर्यावरण विभाग की एक टीम ने अफसरों संग नाले का निरीक्षण किया, जबकि दूसरी टीम ने तीन स्थानों से नाले के पानी के नमूने लिए।


इसके बाद अधिकारी मोटरबोट से नमामि गंगे घाट होकर नगर पालिका में ईओ को दफ्तर पहुंचे। वहां शाम तक निरीक्षण आख्या तैयार की जाती रही। सहायक पर्यावरण अभियंता फरेश कुमार ने बताया कि गंगा में पानी बढ़ने के साथ ही नाले के पानी का बहाव ठहर गया। मछली मरने का कारण क्या रहा, इसका पता लैब से रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा। प्रदूषित जल भी मरने का कारण हो सकता है।


फिलहाल कुछ स्पष्ट कहना जल्दबाजी होगी। वहीं जलापूर्ति के वक्त नाले के पानी का तेज बहाव होने के कारण बड़ी संख्या में मछलियां गंगा की धारा में बह गईं। हालांकि हजारों मछलियां अभी भी किनारों पर पड़ी दिख रही हैं। यही नहीं बड़ी संख्या में पक्षी मछलियों को भोजन बनाते दिख रहे हैं।


Credit By Amar Ujala

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