खबर शहर , Taj Mahal: आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट पर आपत्ति, नीरी से कराएं सर्वे…सुप्रीम कोर्ट में दर्ज कराई आपत्तियां – INA

ताजमहल के पीछे सिल्ट हटाने के मामले में आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट में खामियां बताते हुए अधिवक्ता केसी जैन ने आपत्तियां दर्ज कराई हैं। उन्होंने सिल्ट हटाने की मांग दोहराई। सिल्ट के कारण पनप रहे खतरों से आगाह करते हुए नीरी से एक और अध्ययन कराने की मांग भी की है।

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को यमुना नदी के तलछट, कीचड़, और कचरे की सफाई के मुद्दे पर सुनवाई होनी थी। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष यह मुद्दा प्रस्तुत किया गया, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन ने आईआईटी की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई।

अधिवक्ता केसी जैन ने रिपोर्ट में कहा कि ताजमहल, एत्माद्दौला, और रामबाग के आसपास नदी का तल उथला होने का प्रमाण है, जो नदी के प्रवाह और प्रदूषण को बढ़ा रहा है। यमुना के किनारे बड़े पैमाने पर कचरे का जमाव भी देखा गया है। आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट में इस समस्या के समाधान का कोई ठोस सुझाव नहीं दिया गया है, जबकि नदी की स्वच्छता के लिए यह आवश्यक है।

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ताज पर धब्बों के जिम्मेदार कीड़े कैसे हटेंगे
कोर्ट में दर्ज आपत्ति में कहा गया है कि यमुना में प्रदूषण के कारण ताजमहल की दीवारों पर हरे और काले धब्बों का कारण बनने वाले कीड़ों का प्रजनन हो रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रसायन शाखा के मुताबिक ये कीड़े यमुना नदी के प्रदूषण के कारण उत्पन्न हो रहे हैं और ताजमहल के संगमरमर पर हरे, काले धब्बे छोड़ते हैं। रिपोर्ट में इस गंभीर मुद्दे का समाधान नहीं सुझाया गया है। उन्होंने फिर से गहन अध्ययन और इस बार नीरी के साथ एएसआई से भी रिपोर्ट की मांग की है।

 


समाधान के लिए गहन अध्ययन हो
अधिवक्ता केसी जैन के मुताबिक आईआईटी रुड़की ने यमुना के तल के गहराने का निष्कर्ष केवल केंद्रीय जल आयोग के पोइया घाट के आंकड़ों से निकाला है, जबकि ताज के पीछे यमुना तल उथला है। ताज पर कीटों का प्रभाव, कचरे की भरमार और एसटीपी की कमी जैसे गंभीर मुद्दों को दरकिनार करते हुए अधूरी रिपोर्ट दी है। ताज की सुरक्षा के लिए फिर से गहन अध्ययन की जरूरत है।

 


Credit By Amar Ujala

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