खबर शहर , UP: इस सीट पर सपा-भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई वर्चस्व से… भितरघात से जूझ रहे दोनों दलों के उम्मीदवार – INA
दूसरी ओर सपा के जनप्रतिनिधियों की फेहरिस्त भी भाजपा से कम नहीं है। जो कुंदरकी सीट पर पार्टी के वर्चस्व बरकरार रखने में लगे हैं। इसके लिए पार्टी ने आठ जनप्रतिनिधियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी है।
-सपा ने भी उपचुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। पार्टी ने आठ जनप्रतिनिधियों को चुनाव मैदान में उतारा है। इसमें चार सांसद (एक राज्यसभा सांसद) और चार विधायक शामिल हैं। जिन पर कुंदरकी सीट पर पार्टी को लगातार चाैथी पर जीत दिलाने का दबाव है। वहीं उपचुनाव में सपा जीती तो प्रत्याशी हाजी रिजवान की यह चौथी जीत होगी।
– कुंदरकी विधानसभा सीट से दो जिले जुड़े हैं। यहां से दिल्ली और लखनऊ दोनों की सियासत होती है। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र मुरादाबाद जिले में आती है, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में जिला बदल जाता है। कुंदरकी विधानसभा सीट की लोकसभा संभल लगती है। जहां से अब डाॅ. शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क सांसद हैं।
- भूपेंद्र चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष एवं एमएलसी
- सत्यपाल सैनी, प्रदेश उपाध्यक्ष एवं एमएलसी
- जसवंत सैनी, मंत्री
- धर्मपाल सिंह, मंत्री
- जेपीएस राठौर, मंत्री
- गुलाब देवी, मंत्री
- रितेश गुप्ता, विधायक, मुरादाबाद नगर
- डॉ. शैफाली सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष
- डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त, एमएलसी
- गोपाल अंजान, एमएलसी
- रुचिवीरा, सांसद, मुरादाबाद
- जियाउर्रहमान बर्क, सांसद, संभल
- जावेद अली, राज्यसभा सांसद
- आदित्य यादव, सांसद, बदायूं
- कमाल अख्तर, विधायक, कांठ
- नवाबजान, विधायक, ठाकुरद्वारा
- मोहम्मद फहीम, विधायक, बिलारी
- हाजी नासिर कुरैशी, विधायक, मुरादाबाद देहात
भीतरघात से जूझ रहे उम्मीदवार
कुंदरकी उपचुनाव में उम्मीदवार अपने दल से टिकट के दावेदार के भीतरघात से जूझ रहे हैं। जैसे जैसे मतदान की तारीख नजदीक आने लगी है, वैसे-वैसे विरोध भी खुलकर होने लगा है। अपने भरोसेमंद सिपाहसलारों को व्हाट्सएप काॅल कर दिशा निर्देश देने में लगे हैं।
ये सिपाहसलार भी कम नहीं हैं। प्रत्याशियों का भरोसा जीतने के लिए अपने ही नेता जी की चुगली कर देते हैं। वहीं उम्मीदवार भी अपने साथ होने वाले भीतरघात को लेकर शांत नहीं बैठे हैं। चुनाव प्रचार में आने वाले प्रदेश के पदाधिकारियों और नेताओं के जरिये भीतरघातियों की शिकायत प्रदेश नेतृत्व तक पहुंचाने में देरी नहीं कर रहे हैं। शिकायत के साथ-साथ सबूत ही पेश करते हैं। व्हाट्सएप पर विरोध की इस सियासत से सत्ता के साथ-साथ विपक्ष के उम्मीदवार भी जूझ रहे हैं।