खबर शहर , UP: पति को देना होगा 20 हजार प्रतिमाह गुजारा भत्ता, नौ साल से चल रहा था मुकदमा, हाईकोर्ट के आदेश से खत्म – INA

कानपुर में पत्नी ने तलाक के बदले पति से एकमुश्त 48 लाख रुपये की मांग की, लेकिन पति इतनी बड़ी रकम देने में सक्षम नहीं था। तलाक की एकपक्षीय डिक्री के आधार पर पति दूसरी शादी भी कर चुका था। ऐसे में हाईकोर्ट ने बीच का रास्ता निकाला और पति को 20 हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण धनराशि जीवनभर के लिए पहली पत्नी को देने के निर्देश दिए। पत्नी भी तलाक का आदेश मानने को तैयार हो गई।

दोनों ओर से दाखिल सभी मुकदमों को वापस लेने और भविष्य में कोई मुकदमेबाजी न करने पर भी सहमति बन गई। जिसके बाद नौ साल से पति-पत्नी के बीच चल रही मुकदमेबाजी का अंत हो गया। कासगंज की युवती ने कैंट के रहने वाले युवक से वर्ष 201३ में विवाह किया था। युवक सरकारी स्कूल में अध्यापक है। विवाह के बाद तनाव बढ़ा तो दोनों अलग-अलग रहने लगे।


पति ने वर्ष 2016 में कानपुर में तलाक का मुकदमा दाखिल कर दिया तो पत्नी ने वर्ष 2017 में कासगंज में पति के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ और भरण-पोषण भत्ते के लिए दो मुकदमे दाखिल कर दिए। तलाक के मुकदमे में पत्नी के हाजिर न होने पर पति को वर्ष 2018 में पारिवारिक न्यायालय से एकपक्षीय तलाक की डिक्री मिल गई। कासगंज में पत्नी द्वारा दाखिल भरण-पोषण वाद में जब पति ने तलाक की डिक्री दाखिल की, तो पत्नी को इसकी जानकारी हुई।


2024 में मंजूर हो गई अर्जी
तलाक होने के बाद पति ने दूसरी शादी कर ली और उसे दो बच्चे भी हो गए। वहीं पत्नी को जब तलाक की जानकारी मिली, तो उसने कानपुर में पारिवारिक न्यायालय में एकपक्षीय आदेश को खारिज करने के लिए अर्जी दाखिल की जो वर्ष 2024 में मंजूर हो गई। छह साल विलंब के बावजूद पारित इस आदेश के खिलाफ पति हाईकोर्ट चला गया। हाईकोर्ट ने मामले को देखा, तो विषम परिस्थिति थी।


एकमुश्त 48 लाख रुपये की मांग की
एक ओर पति दूसरी शादी कर परिवार बसा चुका था, तो दूसरी ओर पहली पत्नी को भी जीवन गुजारने के लिए आर्थिक मदद की जरूरत थी। पत्नी ने एकमुश्त 48 लाख रुपये की मांग की, लेकिन पति देने में सक्षम नहीं था। पति ने पत्नी को जीवनभर 20 हजार रुपये प्रतिमाह भत्ता देने का प्रस्ताव रखा। दोनों पक्षों में सहमति बनने के बाद हाईकोर्ट ने जीवनभर भत्ते का यह विशेष आदेश पारित कर दिया।


हाईकोर्ट के एक आदेश से पांच मुकदमे खत्म
पत्नी ने पति के खिलाफ भरण-पोषण भत्ते, दहेज उत्पीडऩ व मारपीट, घरेलू हिंसा और पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करने के आरोप में चार मुकदमे दर्ज कराए थे। इसके अलावा तलाक का एकपक्षीय आदेश खत्म करने के लिए भी मुकदमा चल रहा था। हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि इसके बाद दोनों ओर से कोई मुकदमेबाजी नहीं होगी और जो मुकदमे दर्ज हैं उन्हें खत्म कराया जाएगा। भविष्य में भत्ते की धनराशि को बढ़ाने के लिए भी पत्नी कोई अर्जी नहीं देगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह सभी मुकदमे खत्म हो गए।


हाईकोर्ट का आदेश बना नजीर
वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप शुक्ला ने बताया कि हाईकोर्ट का यह आदेश नजीर बन गया है। ऐसे पति जो आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण चाहकर भी पत्नी द्वारा रखी गई एकमुुश्त धनराशि की शर्त को पूरा नहीं कर पाते उनके लिए हाईकोर्ट ने एक नया रास्ता निकाला है। इससे रुपयों के लिए सालों तक चलने वाली बेवजह की मुकदमेबाजी पर लगाम लगेगी। मुकदमे खत्म कर दोनों पक्षकार स्वतंत्र रूप से अपना जीवन व्यतीत कर सकेंगे।


Credit By Amar Ujala

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