दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को दो हिस्सों में बांटकर दो कंपनियां बनाने का निर्णय लिया गया है। 51 साल बाद आगरा की बिजली व्यवस्था फिर से निजी कंपनी के पास चली जाएगी। पहले आगरा इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी आगरा और इसके आसपास के क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति कर रही थी। अब आगरा, अलीगढ़ मंडल के आठ जिलों के लिए एक कंपनी और कानपुर, झांसी, बांदा मंडल के 12 जिलों के लिए दूसरी कंपनी बनाई जाएगी। मौजूदा डीवीवीएनएल का दायरा 20 जिलों में फैला हुआ है।
आगरा में 18 दिसंबर 1923 को 50 साल के लिए आगरा इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी को बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी 50 साल के लिए दी गई थी। ब्रिटिश राज में बिजली के निजीकरण को 50 साल तक चलाया गया, लेकिन 18 दिसंबर 1973 को लाइसेंस की अवधि पूरी होने के बाद राज्य विद्युत परिषद को कंपनी ने वितरण व्यवस्था हस्तांतरित कर दी। अब 51 साल के बाद फिर से कंपनी का दौर पीपीपी मॉडल पर लौटने वाला है।
5 लाख किमी की लाइनें देख रहा डीवीवीएनएल
आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, इटावा, एटा, फरूर्खाबाद, फिरोजाबाद, कानपुर, कानपुर देहात, बांदा, झांसी, कन्नौज, औरेया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, चित्रकूट, कांशीराम नगर में डीवीवीएनएल का क्षेत्र फैला है। इनमें आगरा अलीगढ़ मंडल के 8 जिलों की एक कंपनी बनाई जा रही है। मौजूदा डीवीवीएनएल में 57,527 किमी लंबी हाईटेंशन लाइनें और 5,10,805 किमी लंबी एलटी लाइनें हैं। डीवीवीएनएल में 77 डिवीजन और 6 जोन हैं।