खबर शहर , UP News: काशी में वक्फ संपत्तियों की तलाश के लिए प्रशासन ने किया सर्वे, एसडीएम से लेकर लेखपाल तक काम में जुटे – INA

वाराणसी जिले में वक्फ संपत्तियों की तलाश प्रशासन ने शुरू कर दी है। सर्वे के जरिये वक्फ संपत्तियों का डाटा एकत्र किया जा रहा है। इसे 31 अक्तूबर तक शासन को भेजा जाएगा। इस कार्य में तीनों तहसील के एसडीएम से लेकर लेखपालों को लगाया गया है। जो शहर के 100 वार्डों और जिले के 694 गांवों में सर्वे कर रहे हैं।

प्रदेश सरकार की ओर से एक शासनादेश आया था कि यदि बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ के रूप में दर्ज है तो अब इसे खारिज कर पुन: बंजर, ऊसर भूमि राजस्व दस्तावेज में दर्ज किया जाए। रिकॉर्ड में वाराणसी में वक्फ बोर्ड की केवल 1469 संपत्तियां हैं। जबकि मौजूदा समय 3000 से अधिक वक्फ की संपत्तियां हैं। इनमें 1348 सुन्नी समुदाय की और 121 शिया समुदाय के नाम दर्ज हैं।

वक्फ से जुड़े अतीक अंसारी ने कहा कि 1890 में अंग्रेजों की सरकार के समय प्रिवी काउंसिल ने इसे हानिकारक बताया था। अंग्रेजों की मिलीभगत के चलते उस समय के लोगों ने न तो स्वीकार किया और न ही सुधार किया। मुसलमान वक्फ एक्ट बना दिया गया। उस दौरान वक्फ अलल औलाद पर आपत्ति थी। उस समय के राजा, रजवाड़े, नवाबों के पास बेतहाशा संपत्तियां थीं। जिसे बचाने के लिए वे संपत्तियों को वक्फ, अलल औलाद कर दिया। उस समय कोर्ट ने कहा था यह चैरिटी नहीं चीटिंग है।

इसे कहते हैं वक्फ संपत्ति


वक्फ संपत्ति दो तरह की होती है। समुदाय से जुड़े लोग मस्जिद, इमामबाड़ा समेत अन्य धार्मिक कार्य के लिए अपनी जमीन बैनामा यानी वक्फ बाई डीड करते हैं। बैनामा की इस सपंत्ति को अलल औलाद भी कहते हैं। डीड में कुछ लोग अपने परिवार को देखरेख की जिम्मेदारी तय करते हैं। कुछ वक्फ के हवाले कर देते हैं। दूसरी संपत्ति वक्फ बाई यूजर है, यानी अपनी जमीन धार्मिक प्रयोजन में स्वयं इस्तेमाल करते हैं।

क्या बोले अधिकारी
वक्फ की संपत्तियों का सर्वे कराया जा रहा है। अक्तूबर में शासन को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। इसके लिए क्षेत्रीय लेखपालों की मदद से डाटा जुटाया जा रहा है। रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। वहां से जो निर्देश मिलेगा उसके अनुसार . का कार्य होगा। -सार्थक अग्रवाल, एसडीएम सदर


Credit By Amar Ujala

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