खबर शहर , UP News: डॉल्फिन और घड़ियाल को रास आ रही गंगा…बढ़ी अठखेलियां, वन विभाग कर रहा जलीय जीवों की गिनती – INA

जीव संरक्षण और पर्यावरण प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। गंगा में डॉल्फिन की उछल कूद दिखाई दे रही है, तो घड़ियाल भी तैरते नजर आ रहे हैं। वन विभाग की ओर से जलीय जीवों की गणना शुरू कराई गई है। अभी तक टीम ने 51 किलोमीटर तक गंगा में जलीय जीवों की गिनती की है।

इस दायरे में आठ डॉल्फिन व दो उनके बच्चे और दस घड़ियाल नजर आए हैं। गंगा किनारे कई दुर्लभ प्रजाति की चिड़िया भी देखी गई हैं। वन विभाग की ओर से विश्व वन्य जीव फंड नाम की संस्था से गंगा में जलीय जीवों की गणना कराई जा रही है।

संजीव कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम ने तीन दिन पहले बिजनौर बैराज से डॉल्फिन, घड़ियाल की गिनती का काम शुरू किया। इसमें शाहनवाज वन्य जीवों जैसे घड़ियाल, डॉल्फिन, मगरमच्छ और गंगा के आसपास रहने वाले पक्षियों के फोटो व वीडियो कैमरे में कैद कर रहे हैं।

बृहस्पतिवार टीम ने अमरोहा जिले की सीमा में प्रवेश किया। हसनपुर तहसील क्षेत्र के महरपुर गुर्जर और गंगानगर गांव सामने बुलंदशहर के भगवानपुर तक गिनती की। बिजनौर के खरसाली गांव से भगवानपुर तक 51 किमी के दायरे में आठ डॉल्फिन व दो उनके बच्चे गंगा में अठखेलियां करते दिखे।

वहीं, 10 घड़ियाल पाए गए। इनमें चार मादा हैं। इसके अलावा गंगा किनारे ब्लैक बेलीड टर्न, ब्लैक ड्रोंगो सहित कई दुर्लभ प्रजाति की चिड़िया भी देखी गईं। वन विभाग के एसडीओ विमल कुमार ने बताया कि बीते साल हुई गणना में बिजनौर से बुलंदशहर के नरौरा तक 50 डॉल्फिन पाई गई थीं। इस बार डॉल्फिन की संख्या 60 को पार कर सकती है।


एसडीओ ने समझाया घड़ियाल और मगरमच्छ का अंतर

मगरमच्छ व घड़ियाल में अंतर होता है। लेकिन, अधिकांश लोगों को इनके अंतर की जानकारी नहीं है। गंगा या आसपास के किसी तालाब में दिखाई दे जाने पर लोग उसे मगरमच्छ ही कहते हैं। वन विभाग के एसडीओ ने बताया कि घड़ियाल की थूथन लंबी होती है।

उसके मुंह में इंसान नहीं आ सकता। इसलिए वह मनुष्य के लिए खतरनाक नहीं है, जबकि मगरमच्छ का मुंह वी शेप में होता है। यह मनुष्य को निगल जाता है। घड़ियाल मगरमच्छ के बच्चे को खा जाता है और डॉल्फिन के साथ मिल कर रहता है। जबकि, मगरमच्छ अकेला रहता है।


Credit By Amar Ujala

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